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भौतिक विकास के साथ आत्मिक विकास करने से ही मनुष्य सफल एवं आनंदित जीवन जी सकता है – पू. नीलेश सिंगबाळजी

हिन्दूसंगठन एवं धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु हिन्दू जनजागृति समिति

वाराणसी : आज के समय में चक्रवाती तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाएं, तीसरे विश्‍वयुद्ध की ओर अग्रसर विश्‍व और कोरोना जैसी मनुष्यनिर्मित आपदा के कारण समस्त विश्‍व आपातकाल का अनुभव कर रहा है । कोरोना विषाणु के कारण लाखों लोगों की मृत्यु हुई है, तो करोडों लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं । इसके कारण मनुष्य द्वारा किया गया भौतिक विकास और विज्ञान की आधुनिकता के कारण उत्पन्न अहंकार का पतन हुआ है । मनुष्य की स्वार्थी एवं अहंकारी वृत्ति और समष्टि प्रारब्ध ही आज के आपातकाल का कारण है । अतः भौतिक विकास के साथ ही आत्मिक विकास करने से ही मनुष्य सफल एवं आनंदित जीवन जी सकता है । हमारी महान हिन्दू संस्कृति सदैव ही प्रकृति की पूजा का पुरस्कार और दूसरों का विचार करती आई है, साथ ही प्रत्येक कर्म में सात्त्विकता देखते आई है । अतः हमें पाश्‍चात्त्यों का अंधानुकरण छोड देने आवश्यक है । हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक पू. नीलेश सिंगबाळजी ने यह मार्गदर्शन किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आपातकालीन स्थिति में मन को सकारात्मक रखने हेतु ‘ऑनलाइन श्रद्धा संवाद’ कार्यक्रम का हाल ही में आयोजित किया गया था । इस कार्यक्रम में संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे । इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश, साथ ही बिहार, झारखंड, बंगाल, ओडिशा एवं असम आदि पूर्वी राज्यों से २ सहस्र से अधिक जिज्ञासु और धर्मप्रेमी जुडे थे । इस कार्यक्रम का सूत्रसंचालन श्रीमती सानिका सिंह ने किया ।

क्षणिकाएं

  • पू. नीलेश सिंगबाळजी ने कोरोना महामारी के काल में आध्यात्मिक बल बढाने हेतु सनातन संस्था द्वारा बताया गया ‘श्री दुर्गादेव्यै नमः ।’ (३ बार) – ‘श्री गुरुदेव दत्त ।’ – ‘श्री दुर्गादेव्यै नमः । (३ बार) – ‘ॐ नमः शिवाय ।’ नामजप प्रतिदिन १०८ बार करने के लिए कहा ।
  • इस अवसर पर वैज्ञानिक दृष्टि से परिणामकारी सिद्ध हुआ अग्निहोत्र करने का आवाहन भी किया गया ।

सृष्टि का संचालन कोई भी सरकार अथवा कोई आर्थिक महासत्ता नहीं करती, अपितु परमात्मा करते हैं ! – पू. नीलेश सिंगबाळजी

इस सृष्टि का संचालन कोई भी सरकार अथवा आर्थिक महासत्ता नहीं करती, अपितु परमात्मा करते हैं । हमने इस संचालन का शास्त्र समझ नहीं लिया, तो आनेवाले वैश्‍विक संकट और उसके उपाय हमारी समझ में नहीं आएंगे । हमारा यह सौभाग्य है कि धर्मग्रंथों में सृष्टि और उसके संचालन के संदर्भ में स्थूल अध्ययन के साथ सूक्ष्म जानकारी भी दी गई है ।’’

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