भाजपा की ओर से विरोध !
- हिंदुओं के मंदिर में कौन पुजारी होगा, यह सरकार कैसे तय करेगी ? मस्जिद में कौन इमाम और मौलवी होगा या चर्च में कौन पादरी होगा, यह सरकार कभी तय करती है क्या ?
- कल को मंदिर में किस देवता की मूर्ति स्थापित करें, कौन सा त्योहार मनाएं, यह भी सरकार तय करेगी क्या ?
- हिंदुओं के मंदिरों का सरकारीकरण होने से ही इस स्थिति के निर्माण होने के कारण मंदिर सरकारीकरण रद्द करने के लिए हिंदुओं को संघठित होना चाहिए !
- हिंदुओं, आपके मंदिरों के विषय में ऐसे धर्मशास्त्र विरोधी निर्णय लेने वाली घटनाएं रोकने के लिए हिंदू राष्ट्र स्थापना के लिए कटिबद्ध हो जाएं !
चेन्नई (तमिलनाडू) – तमिलनाडू की नवनिर्वाचित द्रमुक पार्टी की सरकार ने १०० दिनों में राज्य के मंदिरों में २०० गैर ब्राम्हण पुजारियों की नियुक्ति करने की घोषणा की है । साथ ही १०० दिनों में ‘शैव अर्चक’ (पुजारी) अभ्यासक्रम चालू किया जाएगा । यह अभ्यासक्रम पूर्ण करने के बाद कोई भी पुजारी हो सकता है । ये नियुक्तियां ‘तमिलनाडु हिंदू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट डिपार्टमेंट’ के (हिंदू धार्मिक और धर्मादाय संपत्ति विभाग के) अन्तर्गत आने वाले ३६ सहस्र मंदिरों पर होने वाली हैं । जल्द ही ७० से १०० पुजारियों की पहली सूची जारी की जाएगी । इन नियुक्तियों का भाजपा ने विरोध करते हुए कहा कि, द्रमुक का स्तंभ ही हिंदू विरोध की मूल विचारधारा पर है । सरकार किसी भी मस्जिद या चर्च पर भी नियंत्रण करेगी क्या ?
Minister says pujas will be offered in Tamil in HR&CE temples, hints at appointments of non-brahmin priests https://t.co/2toc0SpyS0
— TOI Cities (@TOICitiesNews) June 8, 2021
१. राज्य के भाजपा उपाध्यक्ष के.टी. राघवन के अनुसार, मंत्र तमिल भाषा में बोले जाएं, ऐसी सरकार की इच्छा है; लेकिन यह कैसे संभव है ? द्रमुक राजकीय लाभ के लिए हिंदुओं में मतभेद निर्माण कर रही है ।
२. द्रमुक महिला मोर्चे की सचिव और सांसद कनिमोली ने ‘स्वयं को हिंदुओं का रक्षक कहने वाली भाजपा , हिंदुओं के एक वर्ग के साथ ही क्यों खडी है ?’, ऐसा प्रश्न पूछा । (नास्तिकतावादी द्रमुक हमेशा ही हिंदू विरोधी भूमिका क्यों लेती है ?, इसका उत्तर कनिमोली देंगी क्या ? – संपादक)
३. मद्रास विद्यापीठ के प्रा. मणिवन्नन ने कहा कि, गैर ब्राम्हण पुजारियों की लड़ाई पुरानी है । वर्ष १९७० में पेरियार ने यह सूत्र रखे थे, तब द्रमुक सरकार ने नियुक्ति का आदेश दिया । वर्ष १९७२ में उच्चतम न्यायालय ने आदेश को स्थगिति दी । वर्ष १९८२ में तत्कालीन मुख्यमंत्री एम.जी. राजचंद्रन ने आयोग स्थापित किया था । आयोग ने, सभी जाति के व्यक्तियों को प्रशिक्षण देने के बाद पुजारी के रुप में नियुक्ति करें, ऐसा आदेश दिया था ।