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देश में धर्माधिष्ठित राज्य स्थापन होने हेतु प्रतिदिन समाज का उद्बोध करना चाहिए – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे

हिन्दूसंगठन एवं धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु हिन्दू जनजागृति समिति

सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

जळगांव : बालोपसना के कारण मनुष्य सत्त्वगुणी और उसके उपरांत गुणातीत होता है; परंतु सत्त्वगुण की ओर जाने के लिए प्रतिदिन साधना कर साधक बनना पडेगा । प्रतिदिन नामजप और साधना के प्रयास कर स्वयं में निहित दोष और अहं पर नियंत्रण प्राप्त करना आवश्यक है । ऐसा करने से संकटकाल में ईश्‍वर के विचार ग्रहण करने में हमें सहायता मिलेगी । ईश्‍वर का भक्त बनने के लिए साधना का बल होना आवश्यक होता है, साथ ही मनोबल बढाने और अच्छे शिष्य से लेकर अच्छा भक्त बनने के लिए हमें समर्पित होकर साधना के प्रयास करने होंगे । साधना से ही व्यक्ति में व्यापकता उत्पन्न होकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होनेवाली है । देश में धर्माधिष्ठित राज्य स्थापन होने हेतु प्रतिदिन समाज का उद्बोधन करना होगा । उसके लिए अधिकाधिक स्थानों पर धर्म का प्रसार करना होगा । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने यह मार्गदर्शन किया । वे धर्मप्रेमियों के आयोजित किए गए ऑनलाइन शौर्यजागृति शिविर में मार्गदर्शन करते हुए ऐसा बोल रहे थे । इस शिविर में विविध जनपदों से ६३५ धर्मप्रेमी ऑनलाइन पद्धति से जुडे थे । इस शिविर का सूत्रसंचालन रत्नागिरी की कु. नयना दळवी और संभाजीनगर की कु. शताक्षी देशपांडे ने किया । इस शिविर में सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस एवं हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने भी धर्मप्रेमियों का मार्गदर्शन किया ।

बलोपासना में आत्मविश्‍वास एवं प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करने की क्षमता ! – चेतन राजहंस, प्रवक्ता, सनातन संस्था

समर्थ रामदासस्वामी ने भक्ति एवं शक्ति का संगम होने हेतु बालोपसना का आरंभ किया । इसके द्वारा बल का परिणामकारी उपयोग कर शरीर को प्रतिकारक्षम कैसे बनाना चाहिए, यह समझ में आता है । बलोपासना में आत्मविश्‍वास एवं प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करने का सामर्थ्य है । शारीरिक बल बढाने के साथ मन का बल भी बढाना होगा । उसके लिए मन में आनेवाली प्रतिक्रियायों का अध्ययन करना होगा । हमें विवेकपूर्ण विचार कर प्रामाणिकता के साथ कृत्य करना होगा, साथ ही आध्यात्मिक दृष्टिकोण से मन की स्थिरता एवं आत्मिक बल बढाना होगा । स्वरक्षा एक विद्या है तथा उसका उचित समय पर उपयोग किया जाना चाहिए ।

गांव-गांव हिन्दुओं का संगठन खडा करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिएं – सुनील घनवट, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति

हम सभी को हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए एकत्रितरूप से प्रयास करने चाहिएं । उसके लिए योजनाबद्ध पद्धति से धर्मकार्य कर गांव-गांव हिन्दुओं का संगठन खडा करने हेतु प्रयास करने चाहिएं । हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में हमें गिलहरी का नहीं, अपि तु हनुमानजी और सिंह का योगदान देने का समय अब आ गया है । उसके लिए सभी के योगदान की आवश्यकता है ।

धर्मप्रेमियों के विशेषतापूर्ण अभिप्राय

१. राजेश घुगे, नासिक : इस शिविर में दिया गया मार्गदर्शन उत्साहवर्धक था । हिन्दू राष्ट्र स्थापना के स्वप्न को साकार करने के लिए क्या करना होगा, यह इस शिविर से समझ में आया ।

२. हेमा दिवाकर : संगठितरूप से हिन्दू राष्ट्र स्थापना का कार्य करने हेतु मित्र-सखीयों, संबंधियों और परिचितों को स्वरक्षा के संबंध में जानकारी दूंगी ।

३. गणेश भोसले : शिविर में दिया गया मार्गदर्शन सुनने के उपरांत भाव जागृत हुआ । इससे हिन्दू राष्ट्र स्थापना के विषय का सहजता से आंकलन हुआ । हिन्दू राष्ट्र आने हेतु कौनसी तैयारी करनी चाहिए, उसके लिए आवश्यक प्रयासों के लिए हम कहां अल्प पडते हैं और उसके लिए कौनसे प्रयास करने चाहिएं ?, ये सूत्र ध्यान में आए ।

४. दीपक वाघ, नासिक : छोटे-छोटे कृत्यों से धर्मकार्य में किस प्रकार सहभाग लिया जा सकता है, यह अनेक उदाहरणों से ध्यान में आया । मैने स्वयं के दोषों पर नियंत्रण स्थापित करने हेतु स्वभावदोष निर्मूलन प्रकिया गंभीरता से अपनाऊंगा । इसके आगे साधना और बलोपासन करने हेतु समर्पित होकर प्रयास करूंगा ।

५. साक्षी दडगल, अकोला : समष्टि साधना कैसे करनी चाहिए, साथ ही हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता क्यों है, यह इस शिविर के माध्यम से ध्यान में आया । शिविर में दिया गया मार्गदर्शन सुनकर शक्ति और स्फूर्ति मिली । श्रीकृष्णजी सभी का मार्गदर्शन कर रहे हैं तथा स्वयं के साथ अन्यों को भी स्वसुरक्षा प्रशिक्षित करना पडेगा, यह ध्यान में आया ।

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