हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से पुणे जनपद में ‘ऑनलाइन वक्ता-प्रवक्ता शिविर’ का आयोजन !
पुणे : आजकल तथाकथित आधुनिकतावादी, नास्तिकतावादी और बुद्धिजीवी हिन्दू धर्म की आलोचना कर रहे हैं । वे हिन्दू धर्म में निहित श्रद्धाओं और परंपराओं पर आपत्तियां जताकर धर्म की अवहेलना कर रहे हैं । इसे रोकने तथा इस स्थिति में परिवर्तन लाने हेतु प्रत्येक हिन्दू को वक्ता-प्रवक्ता बनने की आवश्यकता है । हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने ऐसा प्रतिपादित किया । समिति की ओर से पुणे जनपद के धर्मप्रेमियों के लिए आयोजित ‘ऑनलाइन वक्ता-प्रवक्ता शिविर’ का हाल ही में आयोजन किया गया था, उसमें वे ऐसा बोल रह थे । इस शिविर में पुणे शहर, हडपसर, भोर, शिरवळ एवं पिंपरी-चिंचवड क्षेत्रों से अनेक धर्मप्रेमी जुडे थे । समिति के पुणे जनपद समन्वयक श्री. पराग गोखले ने शिविर का उद्देश्य स्पष्ट किया । इस अवसर पर श्री. घनवट ने इस पर भी बल दिया कि आदर्श वक्ता बनने हेतु नियमित अध्ययन करना, दैनिक सनातन प्रभात एवं ग्रंथों का अध्ययन करना, वर्तमान घटनाओं का तत्परता से अध्ययन करना और श्रोताआं को सकारात्मक रखना आवश्यक है ।
विशेषतापूर्ण
शिविर के पहले सत्र में धर्मप्रेमियों ने उन्हें दिए गए विषयों को अध्ययनपूर्ण और प्रभावशाली पद्धति से रखा । दूसरे सत्र में ‘क्या कुंभपर्व मरकज बन गया है ?’ और सामाजिक जालस्थलों से हिन्दू धर्म, देवताओं और धर्मग्रंथों का होनेवाला प्रचार और अनादर के संदर्भ में धर्मप्रेमियों की ऑनलाइन समूहचर्चा ली गई ।
विशेषतापूर्ण क्षणिकाएं
१. धर्मप्रेमियों द्वारा शिविर में विषय रखे जाने पर उन्हें उनमें करने आवश्यक सुधार बताए गए, तब धर्मप्रेमियों ने इन सुधारों को मन से स्वीकार किया । इससे उनमें निहित धर्मकार्य की लालसा दिखाई दी ।
२. शिविर से पूर्व धर्मप्रेमियों को वर्षा और इंटरनेट की समस्या का सामना करना पडा; परंतु धर्मप्रेमियों में तीव्र लालसा होने से उन सभी ने समस्याओं पर विजय प्राप्त कर शिविर में मन से भाग लिया ।
३. श्री. सुनील घनवट के मार्गदर्शन के उपरांत सभी ने ‘हम सभी हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु आदर्श वक्ता बनने के लिए तैयार हैं और अब हम आपके बताए अनुसार अभी से ही प्रयास आरंभ करेंगे, इस प्रकार से उत्स्फूर्त अभिप्राय दिए ।
धर्मप्रेमियों का विशेषतापूर्ण प्रत्युत्तर
‘आदर्श वक्ता बनने हेतु हमें पूर्वतैयारी और प्रत्यक्षरूप से किस प्रकार करनी चाहिए ?’, इसका मार्गदर्शन किए जाने के उपरांत श्री. सुनील घनवट ने प्रभावशाली पद्धति से सभी धर्मप्रेमियों के सामने स्वयं की समीक्षा कैसी करनी चाहिए ?, यह सूत्र रखा । साथ ही उन्होंने जब ‘हमें केवल वक्ता न बनकर साधक वक्ता और उसके उपरांत शिष्य वक्ता बनना है’, ऐसा कहा, तब सभी धर्मप्रेमियों ने उनका सकारात्मक प्रत्युत्तर किया । साथ ही सभी ने शिविर संपन्न होने के तुरंत उपरांत अच्छा वक्ता बनने हेतु आवश्यक प्रयास करने का निश्चय व्यक्त किया । इसके साथ ही सभी की नियमितरूप से पाक्षिक बैठक करने का नियोजन किया गया ।