पोरबंदर नाव धमाका : लश्कर ने भेजी थी बोट, २६/११ दोहराना चाहता था !

नई दिल्ली – सूत्रों के मुताबिक लश्कर-ए-तोएबा ने पोरबंदर की ओर बोट भेजा था। इस पूरे ऑपरेशन की साजिश लश्कर ने रची थी। इस बोट पर सवार लोग लश्कर के आतंकी थे। इनके निशाने पर पोरबंदर था।

लश्कर के इस बोट ने उसी रूट का इस्तेामल किया था जिस रूट का इस्तेमाल मुंबई हमले के मुजरिम कसाब ने किया था। अब ये बात साफ हो गई है कि ये बोट तस्करों का नहीं था। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी बोट पर हथियार और गोला बारूद थे।

सूत्रों के मुताबिक इस बोट पर चार आतंकी सवार थे जिनको लश्कर ने काफी पैसे दिए थे। बोट पर सवार चारों लगातार पाकिस्तानी सेना के संपर्क में थे। ये बोट करीब एक हफ्ते पहले ही एनटीआरओ के रडार पर आ गया था।

जिसके बाद उसको पकड़ने के पूरे ऑपरेशन को भारत के आला खुफिया अधिकारी और एनएसए की जानकारी में अंजाम दिया गया। गौरतलब है कि 31 दिसंबर की रात को ये सारा ऑपरेशन हुआ था। जब भारतीय कोस्टगार्ड ने इस बोट को रोकने की कोशिश की तो बोट पर सवार लोगों ने बोट को जला दिया था।

स्त्रोत : खबर आइबीएन


अद्ययावत


५ जनवरी २०१५

‘स्नाइपर राइफलों और विस्फोटक से लैस थी पाकिस्तानी बोट’

नई दिल्ली – गुजरात के समुद्री इलाके में खुद को विस्फोट में उड़ाने वाली पाकिस्तानी बोट पर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। हालांकि, एक टॉप सुरक्षा अधिकारी ने इसमें आतंकवाद के ऐंगल की पुष्टि करते हुए बताया कि एनटीआरओ के इंटरेसप्ट से पता चला है कि बोट पर सवार चार लोगों के पास स्नाइपर राइफल और विस्फोटक थे।

नैशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (एनटीआरओ) के इंटरसेप्ट के मुताबिक, इस बोट को उसी दिशा में लाया जा रहा था, जिसके जरिए कसाब और 26/11 के बाकी आत्मघाती हमलावर आए थे और नाव पर सवार सभी लोगों के अकाउंट्स में 5-5 लाख रुपये ट्रांसफर किए जाने थे।

इस बीच, भारत सरकार ने इस बात की जांच के आदेश दिए हैं कि नेवी ने एनटीआरओ की तरफ से मुहैया कराए गए इंटेलिजेंस पर कार्रवाई क्यों नहीं की। नए साल के मौके पर कोस्ट गार्ड द्वारा पीछा किए जाने पर इस बोट में सवार लोगों ने खुद को उड़ा लिया था।

इस तरह की खबरें भी आ रही थीं कि यह डीजल स्मगलर्स का मामला हो सकता है, जिनकी नौका कोस्ट गार्ड फायर में नष्ट हो गई। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस मामले में आतंकवाद के ऐंगल के लिए सबूत देने की मांग करते हुए कहा था कि सरकार को साफ करना चाहिए कि इसमें किस आतंकवादी संगठन का हाथ था।

एक सुरक्षा अधिकारी ने ईटी को बताया, ‘यह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का काम जान पड़ता है। वे संभवत: पोरबंदर में नेवल बेस के उद्घाटन के दौरान किसी अहम शख्स को निशाना बनाने चाहते थे या प्रवासी भारतीय दिवस पर कुछ करना चाहते थे, जो 7 जनवरी से शुरू हो रहा है।’

भारत की सीमा में घुसने के लिए उन्होंने नए साल का अवसर चुना। वे यह दिखाना चाहते थे कि वे अपनी मर्जी के मुताबिक हमला कर सकते हैं और वह भी 26/11 की तर्ज पर। हालांकि, इस बार हम तैयार थे।’ टेक्निकल इंटेलिजेंस के लिए जिम्मेदार संस्था एनटीआरओ ने इस बोट के बारे में कोस्ट गार्ड और नेवी, दोनों को 31 दिसंबर को ही सतर्क कर दिया था।

स्त्रोत : नवभारत टाइम्स


४ जनवरी २०१५

पोरबंदर नाव धमाका : पाकिस्तानी सेना के संपर्क में थे नावों पर सवार लोग

नई दिल्ली : भारत में घुसने की कोशिश कर रहे आतंकवादियों का हौसला बढ़ाने के लिए जमात उद दावा के प्रमुख और ‘मोस्ट वॉन्टेड’ आतंकवादी हाफिज सईद ने भारत की सीमा के नजदीक घुसपैठियों के साथ वक्त गुजारा। सूत्रों के मुताबिक खुफिया एजेंसियों को इस बारे में जानकारी मिली है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के सुकमाल में शनिवार शाम शाम सात बजे से नौ बजे तक सईद ने आतंकवादियों के साथ वक्त गुजारा। हाफिज सईद 8-10 गाड़ियों के काफिले के साथ वहां पहुंचा था और उसके साथ करीब 30-40 आतंकवादी थे।

दूसरी ओर, पाकिस्तान से अरब सागर में आईं दो संदिग्ध नावों में सवार लोग एक शख्स के जरिए पाकिस्तानी सेना और समुद्री सुरक्षा एजेंसी के संपर्क में थे। इनमें से एक नाव को एक जनवरी को अरब सागर में कोस्ट गार्ड्स ने भारतीय जल सीमा में रोका था और वह आग लगने की वजह से समुद्र में ही डूब गई थी। नावों पर सवार लोगों की बातचीत को नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (एनटीआरओ) ने टेप कर लिया था। सूत्रों के मुताबिक बातचीत सुनने से पता चलता है कि नावों पर सवार जिन लोगों की एक शख्स के जरिए पाकिस्तान सेना से बात हो रही थी, वह शख्स अक्सर थाईलैंड में भी किसी से बात करता रहता था।

सूत्र के मुताबिक, ‘पहली नाव डूब रही थी, तो दूसरी नाव के लोग बात कर रहे थे। उस बातचीत में दूसरी नाव के लोग काम खत्म करने के बाद लौटने की बात कही। हो सकता है कि दोनों नावों के लोग समंदर के बीच में ही हथियार और गोले बारूद की लेन-देन कर रहे हों।’ टेप हुई बातचीत से इस बात को बल मिलता है कि दोनों नावों के जरिए किसी संदिग्ध मिशन को अंजाम देने की कोशिश की जा रही थी।

स्त्रोत : दैनिक भास्कर


३ जनवरी २०१५

पोरबंदर नाव धमाका : पंतप्रधान मोदी थे आतंकियों के निशाने पर ?

नई दिल्ली – भारत-पाक समुद्री सीमा पर पोरबंदर के नजदीक जिस पाकिस्तानी नौका ने खुद को धमाके से उड़ा लिया, ऐसा लगता है कि उसमें सवार आतंकियों के निशाने पर कोई और नहीं बल्कि पीएम मोदी थे। इंडियन कोस्टगार्ड की सूझबूझ और निगरानी के दम पर आतंकियों की इस मंशा को नाकाम कर दिया गया।

इस आशंका को बल इसलिए भी मिलता है क्योंकि पाकिस्तानी नौका को कोस्टगार्ड और सुरक्षा एजेंसियों ने पोरबंदर से सटे समुद्री सीमा पर खदेड़ा और पीएम नरेंद्र मोदी को भी वाइब्रेंट गुजरात समिट में शामिल होने के लिए पोरबंदर ही जाना था। इससे भी बड़ा तथ्य मीडिया में आ रही खबरों से मिलता है। वह यह कि घटना के बाद पीएम मोदी ने पोरबंदर की 12 जनवरी की अपनी यात्रा टाल दी है।

वहीं, रक्षा मंत्रालय का दावा भी आतंकियों के निशाने पर मोदी के होने की आशंका को बल देता है। मंत्रालय के मुताबिक पाकिस्तानी नौका में भारी मात्रा में गोला-बारूद थे।अब अगर आतंकियों और विस्फोटकों से भरी नौका का रुख उस ओर हो जहां मोदी का दौरा प्रस्तावित है तो आशंका तो होगी ही कि आतंकवादियों के निशाने पर पीएम नरेंद्र मोदी ही थे। अगर ऐसा नहीं है तो मोदी ने अपना दौरा रद्द क्यों कर दिया?

स्त्रोत : नवभारत टाइम्स


२ जनवरी २०१५

दो आतंकियों ने लगाई थी समंदर में छलांग, तलाश जारी

अहमदाबाद. गुजरात के पोरबंदर तट पर कराची से आ रही नाव के मामले में नया खुलासा हुआ है। पता चला है कि नाव में चार आतंकी सवार थे, जिनमें से दो धमाके से पूर्व समंदर में कूद गए थे। अब कोस्ट गार्ड उनकी तलाश में जुटे हैं।

इस बीच, कोस्ट गार्ड की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया गया है कि नाव में सवार लोग मछुवारे नहीं थे। उन्होंने टीशर्ट और हॉफ पेंट पहन रखी थी।

जानकारी के मुताबिक, जिस बोट में विस्फोट हुआ था, उसमें सवार चार आतंकियों में से दो को लाइफ जैकेट के साथ समंदर में कूदते देखा गया।

पोरबंदर पोर्ट से 350 किलोमीटर दूर दो पाकिस्तानी नावें थीं। एक नाव में विस्फोट हुआ लेकिन दूसरी नाव पाकिस्तान की तरफ चली गई। अब भारतीय कोस्ट गार्ड्स कोशिश कर रहे हैं कि दूसरी नाव के लोकेशन का पता लगाया जा सके।

स्त्रोत : नर्इ दुनिया


१ जनवरी २०१५, पौष शुक्ल पक्ष द्वादशी

भारत में घुसी पाकिस्तानी नाव, रोकने पर खुद को उड़ाया

26/11 दोहराने की थी तैयारी !

नई दिल्ली : क्या आतंकियों द्वारा 26/11 जैसा एक और हमला करने की तैयारी थी? यह सवाल इसलिए उठा है क्‍योंकि 31 दिसंबर की रात भारतीय जलक्षेत्र में घुसी एक संदिग्ध पाकिस्तानी नाव ने इंडियन कोस्टगार्ड के जवानों द्वारा रोके जाने और पीछा किए जाने के बाद खुद को धमाके से उड़ा लिया था। शुक्रवार को रक्षा मंत्रालय की ओर से प्रेस नोट जारी कर यह जानकारी दी गई है। घटना ऐसे वक्त में हुई है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के इस महीने भारत दौरे को लेकर सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। बता दें कि 6 साल पहले नाव पर सवार होकर भारत में घुसे 10 आतंकियों ने मुंबई में भीषण नरसंहार किया था।

इंडियन कोस्टगार्ड ने जलती नाव की यह तस्वीर जारी की है।

इंटेलिजेंस एजेंसियों को खबर मिली थी कि पाकिस्तान स्थित कराची के केटी बंदर की एक मछली पकड़ने वाली नाव अरब सागर में किसी संदिग्ध काम को अंजाम देने वाली है। इन इन्पुट्स के आधार पर 31 दिसंबर की रात एक ऑपरेशन चलाया गया था। इस ऑपरेशन में इंडियन कोस्ट गार्ड के शिप्स और एयरक्राफ्ट शामिल हुए थे। ऑपरेशन में अरब सागर में भारत और पाकिस्तान की जलसीमा के करीब इस संदिग्ध मछली पकड़ने वाली नाव को ढूंढ़कर निकाला गया। यह नाव भारतीय जलक्षेत्र 10 से 15 किमी अंदर घुस आई थी। कोस्टगार्ड की नाव ने पोरबंदर के तट से 350 किमी की दूरी पर दिखे इस नाव के लोगों को रुकने और जांच में सहयोग करने की चेतावनी दी। लेकिन, नाव ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और भारतीय जलक्षेत्र से भागने की कोशिश की। इंडियन नेवी के जहाजों ने उसका करीब एक घंटे तक पीछा किया। इसके बाद, फायरिंग आदि करके उसे रुकने के लिए मजबूर कर दिया। नाव पर चार लोग सवार थे, जिन्होंने सभी चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया। रोके जाने के बाद संदिग्ध नाव के डेक कंपार्टमेंट के पीछे छिप गए और उसमें आग लगा दी। उस पर पहले से विस्फोटक लदा था, जिसकी वजह से उसमें धमाका हो गया और नाव बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। खराब मौसम, अंधेरे और तेज हवाओं की वजह से नाव या लोगों को बचाया नहीं जा सका। नाव जलने के बाद वहीं डूब गई। इसके बाद, कोस्टगार्ड और एयरक्राफ्ट ने किसी के बचे होने की उम्मीद में अपना तलाशी अभियान जारी रखा।

26 नवंबर, 2008 को पोरबंदर (गुजरात) में रजिस्‍टर्ड मछली पकड़ने वाली बोट कुबेर में बैठ कर आतंकी मुंबई आए थे। पहले उन्‍होंने बोट के पांच क्रू मेंबर्स की जान ली और फिर उसके कैप्‍टन को मारा। इसके बाद मुंबई में उतर कर उन्‍होंने 154 महिलाओं, पुरुषों और बच्‍चों को मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना के बाद समुद्री सीमा पर निगरानी की व्‍यवस्‍था मजबूत करने की जरूरत तो समझी गई, लेकिन इस पर सही तरीके से अमल नहीं हो रहा।

स्त्रोत : भास्कर

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