इस प्रकार से क्या कभी धर्मांधों और जिहादी आतंकियों के कार्यक्रमों के संदर्भ में क्या कभी पूछताछ की जाती है ?
हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से हाल ही में एक विषय पर ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया था । उसमें एक राज्य के एक हिन्दुत्वनिष्ठ और अन्य एक राज्य के हिन्दू जनजागृति समिति के एक कार्यकर्ता वक्ता के रूप में सहभागी थे । इस कार्यक्रम के दूसरे दिन इन दोनों वक्ताओं को गुप्तचर विभाग के अधिकारियों का चलितभाष आया था । उस समय उनमें हुआ संवाद यहां दे रहे हैं –
१. गुप्तचर विभाग के अधिकारी और परिचर्चा में सहभागी हिन्दुत्वनिष्ठ वक्ता के मध्य निम्न संवाद हुआ –
अधिकारी : आप अपने कार्यक्रमों से दो धर्मों में विद्वेष क्यों फैलाते हैं ?
हिन्दुत्वनिष्ठ : मैने तो वास्तविकता सामने रखी है । मेरे वक्तव्य में कुछ भी अनुचित नहीं है ।
अधिकारी : आप यहां हिन्दू जनजागृति समिति के किस कार्यकर्ता के संपर्क में हैं ?
हिन्दुत्वनिष्ठ : मैं यहां समिति के किसी भी कार्यकर्ता के संपर्क में नहीं हूं । इस कार्यक्रम में मैने जो बोला, वह सामाजिक माध्यमों पर उपलब्ध है और उसमें आपत्तिजनक कुछ भी नहीं है । मैं आपको विज्ञप्ति भेजता हूं ।
इसपर वह अधिकारी कुछ नहीं बोले ।
२. गुप्तचर विभाग के अधिकारी और परिचर्चा में सहभागी हिन्दू जनजागृति समिति के एक कार्यकर्ता के मध्य निम्न संवाद हुआ –
अधिकारी : आप कहां हैं ? आप आजकल क्या करते हैं ?
कार्यकर्ता : मैं पारिवारिक कारणों से घर आया हूं ।
अधिकारी : मैं हिन्दू जनजागृति समिति के ऑनलाइन कार्यक्रम देखता हूं । आप कोरोना के विषय से सीधे तीसरे विश्वयुद्ध पर कैसे आ गए ?
कार्यकर्ता : आज की कुल स्थिति को देखते हुए तीसरा विश्वयुद्ध होने की संभावना है । द्रष्टा संत और अनेक भविष्यवेत्ताओं ने भी इस संदर्भ में सूचित किया है । विदेशों में नागरिकों को प्राथमिक चिकित्सा और आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाता है । भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है । ऐसे समय में यदि बाढ, कोरोना जैसी महामारी आई; साथ ही तीसरा विश्वयुद्ध हुआ, तो नागरिकों को कौनसी सतर्कता बरतनी चाहिए और स्वयं की रक्षा कैसी करनी चाहिए, इस संदर्भ में ऐसे कार्यक्रमों में जानकारी देकर नागरिकों का उद्बोधन किया जाता है ।
कार्यकर्ता का यह उत्तर सुनने के उपरांत वह अधिकारी कुछ भी नहीं बोले ।