अवैध धर्मांतरण के दुनिया भर में फैले रैकेट की जड़ों को खंगाल रही उत्तर प्रदेश ATS ने अहम सबूत जुटाए हैं। इस मामले में उत्तर प्रदेश के आरोपितों के नेटवर्क खाड़ी देशों के अलावा अमेरिका और इंग्लैंड से भी जुड़े मिले हैं। इन आरोपितों को अवैध धर्मांतरण के लिए पैसे हवाला रैकेट से पहुँचाए जाते रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस प्रकरण की जाँच कर रही UP ATS ने अब तक ₹100 करोड़ से भी अधिक अवैध फंडिंग के सबूत जुटा लिए हैं। पकड़े गए आरोपितों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल करते हुए ATS अब तक 89 करोड़ रुपये की फंडिंग की जानकारी भी दे चुकी है।
UP ATS के आरोप पत्र के अनुसार इस पूरे गिरोह का सरगना मौलाना उमर गौतम है, जिसे ब्रिटिश संस्था अल-फला ट्रस्ट से ₹57 करोड़ की फंडिंग हुई थी। यह पैसा हवाला और अन्य माध्यमों से भेजा गया था। इस आरोप पत्र में कुल 4 अभियुक्तों का जिक्र किया गया है। बाकी 3 आरोपित अवैध धर्मांतरण रैकेट के मुखिया मौलाना उमर गौतम के साथी और सहयोगी हैं।
मौलाना उमर गौतम अवैध धर्मांतरण के लिए पैसा ‘अल-हसन एजुकेशनल एंड वेलफेयर फाउंडेशन’ में मँगाया करता था। मौलाना उमर गौतम को पैसे भेजने वाले स्रोतों ने ही एक अन्य मौलाना कलीम सिद्दीकी को भी 22 करोड़ रुपए भेजे थे। यह पैसे मौलाना कलीम सिद्दीकी के ट्रस्ट ‘जामिया इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट’ में ट्रांसफर किए गए थे।
इसी रैकेट से जुड़े वडोदरा के रहने वाले सलाहुद्दीन को भी पैसे भेजे गए थे। सलाहुद्दीन की संस्था अमेरिकन फेडरेशन ऑफ मुस्लिम ऑफ इंडियन ओरिजिन है। इस संस्था को 5 वर्षों में लगभग 28 करोड़ रुपए मिले थे। सलाहुद्दीन ने ये पैसे उमर गौतम को दे दिए थे।
एक रिपोर्ट के अनुसार उमर गौतम ने भेजे गए पैसे का 60 प्रतिशत हिस्सा ही धर्मांतरण पर खर्च किया। कलीम सिद्दीकी ने नोएडा, मुजफ्फरनगर समेत कई जगहों पर जमीन खरीदा था। बाद में उसे कम दाम में अपने ही करीबियों को बेच दिया था। इस जमीन को उसने ट्रस्ट के नाम पर खरीदा था।
ATS की पूछताछ में आरोपित खर्च किए गए पैसे की जानकारी नहीं दे पाए। ATS द्वारा पकड़े गए आरोपितों के बैंक खातों में अमेरिका, इंग्लैंड व अन्य खाड़ी देशों से हवाला के जरिए पैसे ट्रांसफर हुए हैं। ट्रांसफर हुआ यह अवैध धन करोड़ों में है, जिसकी जाँच जारी है।
ATS की पूछताछ में आरोपित अपनी कमाई के स्रोतों के बारे में भी नहीं बता पाए हैं। जाँच एजेंसी के अनुसार इन पैसों को आरोपितों द्वारा अपने व्यक्तिगत कार्यों में भी खर्च किया गया है। हवाला से मिली इस फंडिंग से अपने लिए चल अचल सम्पत्तियाँ खरीदी गईं हैं। गिरफ्तार हुए 2 आरोपितों के कनेक्शन आतंकी समूह अल क़ायदा से भी बताए जा रहे हैं।
संदर्भ : OpIndia
धर्मांतरण मामले में गिरफ्तार मौलाना कलीम ने नोएडा सहित कई शहरों में खरीदी जमीनें
October 10, 2021
उत्तर प्रदेश के एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) द्वारा लोगों का इस्लाम में धर्मान्तरण कराने के मामले में गिरफ्तार किए गए मौलाना कलीम सिद्दीकी की एक और करतूत सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, सिद्दीकी ने नोएडा, मुजफ्फरनगर समेत कई जगहों पर जमीन खरीदा था। बाद में उसे कम दाम में अपने ही करीबियों को बेच दिया। इस जमीन को उसने ट्रस्ट के नाम पर खरीदा था।
दरअसल, धर्मान्तरण रैकेट चलाने के मामले में गिरफ्तार किए गए मौलाना कलीम सिद्दीकी की संपत्तियों की जाँच भी एटीएस कर रही है। जैसे-जैसे एटीएस की जाँच का दायरा बढ़ रहा है, वैसे-वैसे खुलासे हो रहे हैं। इसी तरह से मुजफ्फरनगर में कलीम सिद्दीकी ने साल 2019 में ट्रस्ट के नाम पर साढ़े 9 लाख रुपए की जमीन खरीदा था। इस जमीन को उसने इसी साल अप्रैल में 2 लाख में अपने बेटे को बेच दिया था। शेष राशि का का भुगतान किस्तों में 2024 तक करना है। इसके अलावा उसने दिल्ली, मेरठ और नोएडा में भी जमीनें खरीद रखी हैं।
इस बीच एटीएस को पता चला है कि सिद्दीकी ने नोएडा में भी एकड़ में जमीन खरीदा था। फिलहाल, उसके लेनदेन और ट्रस्ट की छानबीन शुरू कर दी गई है। मौलाना कलीम सिद्दीकी का एक और सक्रिय साथी है, जो उसके फाइनैंशियल लेनदेन का हिसाब रखता था। एटीएस लगातार उसे भी तलाश रही है। कलीम के करीबी उसको ट्रस्ट का प्रबंधक सरफराज अली ने पूछताछ में उसके बारे में खुलासा किया है। ऐसे में जाँच एजेंसी सरफराज को नए सिरे से इंटेरोगेट करना चाहती है। शुक्रवार (8 अक्टूबर 2021) को स्पेशल कोर्ट ने उसकी 6 दिन की पुलिस रिमांड मंजूर की थी।
गौरतलब है कि सिद्दीकी के करीबी सहयोगी माने जा रहे सरफराज अली जाफरी को इस्लामी धर्मान्तरण मामले में ATS ने गुरुवार (7 अक्टूबर 2021) को गिरफ्तार किया था। उसे अमरोहा जिले से गिरफ्तार किया गया। उसकी गिरफ्तारी पर ATS के आईजी जीके गोस्वामी ने खुलासा किया था कि मौलाना सिद्दीकी से पूछताछ के दौरान सरफराज अली जाफरी के बारे में जानकारी मिली थी। उन्होंने कहा था, “मौलाना कलीम सिद्दीकी के ग्लोबल पीस सेंटर में जाफरी काम करता था। वह रिवर्ट, रिहैब और दावा व्हाट्सएप ग्रुप का भी मेंबर था। इसी के जरिए उसके गिरोह के लोगों ने धार्मिक नफरत फैलाने के साथ ही लोगों को लालच देकर उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित किया।”
वहीं मौलाना कलीम सिद्दीकी को मेरठ से आतंक निरोधी दस्ते (एटीएस) ने 22 सितंबर 2021 को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने बताया था कि मौलाना जामिया इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट चलाता है, जो कई मदरसों को फंड देता है। इसके लिए उसे विदेशों से भारी फंडिंग मिलती है।
संदर्भ : OpIndia
समाजसेवा की आड में इस्लामी धर्मांतरण करवाता था सरफराज अली जाफरी : यूपी एटीएस ने किया गिरफ्तार
October 8, 2021
इस्लामी धर्मान्तरण रैकेट की जाँच कर रही उत्तर प्रदेश ATS ने गुरुवार (7 अक्टूबर 2021) को बड़ी कार्रवाई करते हुए मौलाना कलीम सिद्दीकी के सहयोगी सरफराज अली जाफरी को गिरफ्तार किया। उसे अमरोहा जिले से गिरफ्तार किया गया। वह भारत के ‘सबसे बड़े धर्मांतरण सिंडिकेट’ चलाने के आरोपित मौलाना कलीम सिद्दीकी के साथ मिलकर काम कर रहा था और 2016 से ही इसमें लिप्त था।
पश्चिमी यूपी के सबसे बड़े मौलवियों में से एक मौलाना कलीम सिद्दीकी को पिछले महीने ही ATS ने गिरफ्तार किया था। ATS के आईजी जीके गोस्वामी ने खुलासा किया कि मौलाना सिद्दीकी से पूछताछ के दौरान सरफराज अली जाफरी के बारे में जानकारी मिली थी। उन्होंने कहा, “मौलाना कलीम सिद्दीकी के ग्लोबल पीस सेंटर में जाफरी काम करता था। वह रिवर्ट, रिहैब और दावा व्हाट्सएप ग्रुप का भी मेंबर था। इसी के जरिए उसके गिरोह के लोगों ने धार्मिक नफरत फैलाने के साथ ही लोगों को लालच देकर उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित किया।”
ATS के मुताबिक, धर्म परिवर्तन के रैकेट में शामिल जाफरी जामिया नगर का रहने वाला है। वह कथित तौर पर कलीम सिद्दीकी के ग्लोबल पीस सेंटर के कामकाज देखता था। इसके अलावा समाज सेवा की आड़ में लोगों का धर्मान्तरण कराने वाले नई दिल्ली स्थित ह्यूमैनिटी फॉर ऑल ऑर्गनाइजेशन को भी संचालित करता था।
विदेशों से फंडिंग
रिपोर्ट्स से यह बात सामने आई है कि ये लोग धर्मान्तरण करने वाले लोगों को काम दिलाने में मदद करने का वादा करते थे। इसके लिए जाफरी को मौलाना सिद्दीकी से फंडिंग मिलती थी। उसके सेलफोन की जाँच से पता चला है कि गैरकानूनी धर्मान्तरण की गतिविधियों के लिए उसे विदेशों से भी फंडिंग मिलती थी। अधिकारियों का कहना है कि अब तक गिरफ्तार किए गए सभी आरोपितों पर उत्तर प्रदेश धर्मान्तरण निषेध अधिनियम, 2020 और भारतीय दंड संहिता के तहत आरोप तय किए गए हैं।
मौलाना के ठिकानों पर भी हुई थी छापेमारी
मौलाना कलीम सिद्दीकी के कई ठिकानों पर उत्तर प्रदेश ATS ने पिछले दिनों छापेमारी की थी। जाँच एजेंसी ने दिल्ली में मौलाना सिद्दीकी और उसके सहयोगियों की दो आवासीय और दो व्यावसायिक संपत्तियों की तलाशी 5 अक्टूबर 2021 को ली थी। ATS द्वारा जारी एक प्रेस नोट के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में कई स्थानों पर की गई छापेमारी से डेस्कटॉप, टैबलेट और दस्तावेज जब्त किए गए। नई दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में स्थित सिद्दीकी के आवास के साथ-साथ उसके संगठनों ग्लोबल पीस सेंटर और वर्ल्ड पीस ऑर्गनाइजेशन समेत अब्दुल रहमान के घर पर छापे मारे गए थे।
गौरतलब है कि यूपी ATS ने इस साल जून में उमर गौतम और उसके सहयोगी की गिरफ्तारी करने के बाद धर्म परिवर्तन रैकेट की जाँच शुरू की थी। दोनों अपने अन्य सहयोगियों के साथ इस्लामिक दावा सेंटर (IDC) नामक संगठन चला रहे थे। लोगों को शादी, नौकरी, पैसे का लालच देकर धर्मांतरण में लगे थे। इतना ही नहीं उमर गौतम पर दिव्यांग बच्चों को मानव बम बनाने का भी आरोप है। जाँच में गौतम और उसके साथियों को मिली अवैध विदेशी फंडिंग का भी खुलासा हुआ था।
संदर्भ : OpIndia
अवैध धर्मान्तरण मामले में यूपी ATS ने 3 को किया गिरफ्तार, हवाला के जरिए हुई करोड़ों की विदेशी फंडिंग
September 28, 2021
उत्तर प्रदेश समेत देशभर में कट्टरपंथी इस्लामिक धर्मान्तरण के मामले में आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन और लोगों को गिरफ्तार किया है। रविवार को हुई इस गिरफ्तारी को लेकर जाँच एजेंसी ने कहा है कि आरोपित धर्मान्तरण कराने के साथ ही विदेशों से हवाला के जरिए वित्त पोषण कर रहे थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, एटीएस ने इसको लेकर एक बयान में कहा है कि ये लोग अवैध धर्मान्तरण कराने के साथ हवाला के जरिए फंडिंग हासिल की थी। जाँच एजेंसी ने दो आऱोपित मोहम्मद इदरीस औऱ मोहम्मद सलीम को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से और महाराष्ट्र के नासिक के रहने वाले कुणाल अशोक चौधरी उर्फ आतिफ को गिरफ्तार किया है।
इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना सलाहकार शलभमणि त्रिपाठी ने कहा, “योगीजी के राज में निरंतर चालू है एटीएस, वही सदैव आपकी सेवा में तत्पर है।”
योगीजी के राज मे निरंतर चालू है ATS ? वही सदैव आपकी ‘सेवा’ में तत्पर वाली ? pic.twitter.com/bAnJYuPS5e
— Shalabh Mani Tripathi (@shalabhmani) September 26, 2021
इससे पहले बीते रविवार को एटीएस ने बुधवार (22 सितंबर, 2021) को अवैध धर्मान्तरण मामले में मौलाना कलीम सिद्दीकी को गिरफ्तार किया था। भारत के सबसे बड़े धर्मान्तरण गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए एटीएस ने यह गिरफ्तारी मेरठ से की थी। पुलिस ने बताया कि मौलाना जामिया इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट चलाता है, जो कई मदरसों को फंड देता है। इसके लिए उसे विदेशों से भारी फंडिंग मिलती है। मौलाना को पूछताछ के लिए मेरठ से लखनऊ लाया गया है। यूपी एटीएस ने कलीम के साथ ही उसके तीन सहयोगी मौलानाओं और ड्राइवर को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था।
इसी सिलसिले में जून में एटीएस ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में ए़टीएस की टीम ने धर्मान्तरण कराने वाले दो मौलानाओं को गिरफ्तार किया था। इसमें से एक उमर गौतम पहले हिंदू ही था। वह करीब 30 साल पहले धर्मान्तरण कर मुस्लिम बन गया था। इसके बाद से ही वो दिल्ली के जामिया नगर इलाके में इस्लामिक दावा सेंटर चला रहा था। यहीं से धर्मान्तरण का सारा खेल खेला जाता है।
संदर्भ : OpIndia
ब्राह्मण-क्षत्रिय लड़कियों को निशाना बना रहा था मौलाना कलीम सिद्दीकी, वायरल हुआ ऑडियो
September 23, 2021
लालच देकर व धोखे से इस्लामी धर्मांतरण करने वाले गिरोह के मौलाना कलीम सिद्दीकी को गिरफ्तार किया गया है। अब उसके एक ऑडियो से खुलासा हुआ है कि ब्राह्मण-क्षत्रिय लड़कियों को खास कर के निशाना बनाया जा रहा था। ‘जिहादी’ सोच वाले मौलाना कलीम सिद्दीकी का पाकिस्तान से भी कनेक्शन सामने आया है। वो चाहता था कि हर एक हिन्दू को धर्मांतरण कर के इस्लाम अपना लेना चाहिए। विदेशी फंडिंग का भी खुलासा हुआ है।
वायरल ऑडियो में वो एक अन्य मौलाना के साथ ब्राह्मण लड़कियों के धर्मांतरण की बात कर रहा है। इसमें वो कहता है, “इंशा अल्लाह.. इंशा अल्लाह! कोई कहेगा वो छोटी जात की है। उन्होंने हमें लिख कर भेजा था और कहा था कि छोटी जात का है तो नहीं बदलवाने का। बड़ी जात, जैसे कि क्षत्रिय-ब्राह्मण होगी तो जम जाता है।” ‘इस्लामी दावा सेंटर’ के मौलाना उमर गौतम ने इसकी पोल खोली, जो पहले ही पुलिस के शिकंजे में है।
भारतीय इस्लाम की दुनिया में मौलाना कलीम सिद्दीकी एक बड़ा नाम है और कई तकरीरों में उसे बुलाया जाता है। उसकी सभाओ में मुस्लिम समाज के प्रतिष्ठित लोग आते रहे हैं और यूट्यूब पर हजारों लोग उसे सुनते रहे हैं। काफी पढ़े-लिखे मौलाना कलीम सिद्दीकी को उसके करीबी काफी मृदुभाषी बताते हैं, लेकिन उसकी करतूतें इसके एकदम विपरीत हैं। 64 वर्षीय मौलाना ने मेरठ से विज्ञान में स्नातक किया हुआ है।
मौलाना कलीम सिद्दीकी की तमन्ना है कि पूरी धरती को मुस्लिम बना दिया जाए। धर्मांतरण के लिए नियम-कानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए उसने अब तक 5 लाख लोगों को अपना शिकार बनाया है। मेरठ के लिसाडीगेट थाना इलाके से गिरफ्तार किया गया मौलाना कलीम सिद्दीकी जमीयत-ए-वलीउल्लाह और ग्लोबल पीस सेंटर का अध्यक्ष है, जिसे विदेश से हवाला के जरिए अवैध फंडिंग प्राप्त होती थी।
#EXCLUSIVE : मौलाना कलीम के वायरल ऑडियो से बड़ा खुलासा, धर्मांतरण के लिए निशाने पर थी ब्राह्मण की लड़कियां, सुनें ऑडियो #MaulanaKaleemSiddiqui #MaulanaKaleemSiddiquiAudio
अन्य Videos यहां देखें – https://t.co/ZoADfwSi4S pic.twitter.com/JdYVevSapk
— Zee News (@ZeeNews) September 23, 2021
अब तक उसके द्वारा 3 करोड़ रुपए की विदेशी फंडिंग प्राप्त करने की बात पता चला चली है, जिसमें से आधे बहरीन से आए हैं। उधर ‘अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU)’ में उसके समर्थन में तनाव का माहौल है। छात्रों ने उसकी गिरफ़्तारी के विरुद्ध प्रदर्शन किया। सोशल मीडिया पर पोस्टर्स डाल कर ऐलान किया कि जुमे की नमाज के बाद जामा मस्जिद से बाब-ए-सैयद तक विरोध मार्च निकाला जाएगा और विश्वविद्यालय प्रशासन के माध्यम से जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
उधर विनोद नाम के एक वयक्ति ने मौलाना कलीम सिद्दीकी और उसके पाँच अन्य साथियों के खिलाफ जबरन धर्मांतरण का मामला दर्ज करवाया है। उसने बताया है कि 2011 में वह अपने परिवार के साथ सेक्टर-17 की प्रेम नगर की झुग्गियों में रहता था। उसके पड़ोस में कुछ मुस्लिम रहते थे जो इस्लाम का महिमामंडन कर हिंदू धर्म की बुराई करते थे। विनोद के मुताबिक, आरोपित उसे बीच-बीच में पैसे और अन्य जरूरी सामान भी दिया करते थे। इस्लामी तालीम के लिए गुजरात और उत्तर प्रदेश भी भेजा गया।
संदर्भ : OpIndia
मौलाना कलीम सिद्दीकी को यूपी ATS ने गिरफ्तार, अवैध धर्मांतरण के लिए की हवाला के जरिए फंडिंग
September 22, 2021
उत्तर प्रदेश के आतंक निरोधी दस्ते (एटीएस) ने बुधवार (22 सितंबर, 2021) को अवैध धर्मांतरण मामले में मौलाना कलीम सिद्दीकी को गिरफ्तार किया है। भारत के सबसे बड़े धर्मांतरण गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए एटीएस ने यह गिरफ्तारी मेरठ से की है। पुलिस ने बताया कि मौलाना जामिया इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट चलाता है, जो कई मदरसों को फंड देता है। इसके लिए उसे विदेशों से भारी फंडिंग मिलती है। मौलाना को पूछताछ के लिए मेरठ से लखनऊ लाया गया है। यूपी एटीएस ने कलीम के साथ ही उसके तीन सहयोगी मौलानाओं और ड्राइवर को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।
UP ATS has arrested Maulana Kaleem Siddiqui, a resident of Muzaffarnagar, in connection with India's largest religious conversion syndicate busted by the ATS. He runs Jamia Imam Waliullah trust that funds several madrassas for which he received huge foreign funding: Police pic.twitter.com/XxHIYhxJKx
— ANI UP (@ANINewsUP) September 22, 2021
एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार मौलाना की गिरफ्तारी को लेकर आज यूपी पुलिस मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करेंगे। इस दौरान वह मौलाना की गिरफ्तारी से जुड़ी जानकारी साझा करेंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौलाना कलीम अवैध धर्मांतरण मामले जून 2021 में गिरफ्तार किए गए उमर गौतम का करीबी है। बताया जा रहा है कि उमर से पूछताछ के बाद मिले सुराग के आधार पर एटीएस ने यह कार्रवाई की है।
64 वर्षीय इस्लामिक स्कॉलर संदिग्ध गतिविधियों को लेकर पहले से ही सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर था। मौलाना कलीम ग्लोबल पीस सेंटर और जमीयत-ए-वलीउल्लाह का अध्यक्ष भी है। इसके अलावा पश्चिमी यूपी के सबसे बड़े मौलवियों में से एक कलीम सिद्दीकी कई मदरसों का प्रभारी भी है।
चेहरा इस्लामिक स्कालर का, काम अवैध धर्मांतरण का, ठीक वैसे ही जैसे आपका चेहरा सफेदपोश नेता का, पर असल काम दंगे भड़काने का !! https://t.co/VMBxNAnxK1 pic.twitter.com/xTNqhNyfdi
— Shalabh Mani Tripathi (@shalabhmani) September 22, 2021
बताया जा रहा है कि कलीम मुजफ्फरनगर के फूलत गाँव का रहने वाला है। वह मुजफ्फरनगर से मेरठ के लिसाड़ीगेट के हुमायूँनगर में स्थित एक मस्जिद के इमाम शारिक में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आया था। मंगलवार (21 सितंबर 2021) रात लगभग नौ बजे नमाज अदा करने के बाद मौलाना वापस मुजफ्फरनगर लौट रहा था, इसी दौरान उसे ATS की टीम ने गिरफ्तार कर लिया।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश एटीएस ने धर्मांतरण कराने के मामले में गिरफ्तार किए गए मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहाँगीर आलम कासमी को जून में दिल्ली के जामिया नगर इलाके से गिरफ्तार किया गया था। उन पर पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) से कथित फंडिंग के साथ बधिर छात्रों और गरीब लोगों को इस्लाम में कन्वर्ट करने की कोशिश करने का आरोप लगा था।
संदर्भ : OpIndia
5 राज्यों में बनवाई 103 मस्जिदें, ₹60 करोड की फंडिंग : धर्मांतरण रैकेट का संबंध J&K से भी
August 28, 2021
गुजरात के वडोदरा शहर की पुलिस ने धर्मांतरण रैकेट की जाँच के सिलसिले में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा पहले गिरफ्तार किए गए आरोपितों (सलाहुद्दीन और उमर गौतम) के बारे में बड़ा खुलासा किया है। दोनों आरोपितों के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने सलाहुद्दीन और उमर गौतम के खिलाफ आईपीसी की धारा 153-A, 465, और 120-b के अंतर्गत केस दर्ज किया है।
Hawala funds used to come via Dubai. They (accused) also received foreign donations from UK, USA & UAE via a trust. Accused also got 103 mosques built in 5 states. They also used hawala funding for anti-govt protests and have connections in J&K also: Shamsher Singh, CP, Vadodara
— ANI (@ANI) August 28, 2021
वडोदरा पुलिस कमिश्नर शमशेर सिंह ने बताया कि पिछले 5 सालों में आरोपितों को हवाला के जरिए 60 करोड़ के साथ-साथ विदेशी चंदे से 19 करोड़ रुपए मिले हैं। सिंह ने बताया कि हवाला फंड दुबई के रास्ते आता था। आरोपितों को एक ट्रस्ट के जरिए यूके, यूएस और यूएई से विदेशी चंदा भी मिलता था। उन्होंने बताया कि आरोपितों ने 5 राज्यों में 103 मस्जिदों का निर्माण भी करवाया है। इसके अलावा सरकार विरोधी प्रदर्शन के लिए भी हवाला फंडिंग का इस्तेमाल किया गया है और इन आरोपितों का जम्मू-कश्मीर से भी संबंध हैं।
पुलिस के अनुसार, दोनों आरोपित – मोहम्मद उमर गौतम और सलाहुद्दीन शेख – फिलहाल लखनऊ जेल में बंद हैं और वडोदरा पुलिस की टीम एक स्थानीय अदालत द्वारा जारी पेशी वारंट के साथ वहाँ पहुँची थी। दिल्ली निवासी उमर गौतम को जून में यूपी आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने धोखे से लोगों को इस्लाम में परिवर्तित करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
वहीं शेख को यूपी एटीएस ने पिछले महीने वडोदरा के पानीगेट इलाके से गिरफ्तार किया था। उसने कथित तौर पर गौतम और अन्य को अवैध धर्मांतरण के लिए धन मुहैया कराया था। मामले की आगे की जाँच करने के लिए वडोदरा पुलिस द्वारा पाँच सदस्यीय विशेष जाँच दल (SIT) का भी गठन किया गया था।
पिछले दिनों यूपी और गुजरात ATS की जाँच में पता चला था कि सामाजिक सेवा के नाम पर सलाउद्दीन की संस्था AFMI (अमेरिकन फेडरेशन ऑफ मुस्लिम्स ऑफ इंडियन ओरिजिन) विदेशों से फंड इकट्ठा करने का काम करती थी। इस संस्था को पिछले 5 सालों में मिले लगभग 24.48 करोड़ रुपए में से 19.03 करोड़ रुपए ट्रस्ट के FCRA खाते में आई थी, जबकि बाकी राशि हवाला के माध्यम से प्राप्त हुई थी।
बुधवार (25 अगस्त 2021) को वडोदरा पुलिस ने बताया था कि AFMI ट्रस्ट द्वारा इकट्ठा किए गए फंड में से सलाउद्दीन ने लगभग 5.91 करोड़ रुपए मौलाना उमर गौतम और अन्य सहयोगियों को गैर-मुस्लिमों के इस्लामी धर्मांतरण और गुजरात समेत अन्य राज्यों में मस्जिदों के निर्माण के उद्देश्य से दिए थे। यह फंड उमर गौतम की संस्था इस्लामिक दावा सेंटर (IDC) को दिया गया था।
संदर्भ : OpIndia
UP धर्मांतरण गिरोह : महाराष्ट्र से 3 दबोचे गए, इजिप्ट और मिडिल ईस्ट तक गिरोह का नेटवर्क
July 18, 2021
उत्तर प्रदेश के आतंकनिरोधी दस्ता (ATS) ने बड़ी जानकारी दी है कि इस्लामी धर्मांतरण गिरोह के तार मिस्र (Egypt) से लेकर मध्य-पूर्व (Middle East) के कई मुल्कों तक फैले हुए हैं। ‘इस्लामी दावा सेंटर’ के मौलाना मोहम्मद उमर गौतम और जहाँगीर काजी की गिरफ़्तारी के बाद इस मामले का पर्दाफाश हुआ था। अब ATS ने महाराष्ट्र से तीन नई गिरफ्तारियाँ की हैं। इन तीनों को नागपुर से गिरफ्तार किया गया।
जिन तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया गया, उनके नाम हैं – कौशर आलम, रामेश्वर काँवरे उर्फ़ एडम और भूपिंदर बंदो उर्फ़ डॉक्टर अर्सलान। इस मामले में 6 लोगों की गिरफ़्तारी पहले ही हो चुकी है। नागपुर से गिरफ्तार ये तीनों इस धर्मांतरण गिरोह की अहम कड़ी हैं। इनके जरिए ही महाराष्ट्र और इसके आसपास के इलाकों में इस्लामी धर्मांतरण का जाल फैलाया जा रहा था। कौसर आलम झारखंड के धनबाद स्थित झरिया का निवासी है।
वहीं एडम नागपुर का ही रहने वाला है। भूप्रिय बंदो मूल रूप से गढचिरौली का निवासी है, लेकिन फ़िलहाल वो नागपुर में ही रह रहा था। इन तीनों को शुक्रवार (16 जुलाई, 2021) की रात गिरफ्तार किया गया। इन्हें सड़क मार्ग से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ लाया गया। अगले दिन मध्य रात्रि में तीनों लखनऊ पहुँचे। 30 वर्षीय ग्रेजुएट एडम इस गिरोह की बड़ी कड़ी है, जिसकी बीवी माई हसन अली इजिप्ट की रहने वाली है।
ADG L&O UP, Prashant kumar on the arrest of three accused from Nagpur, Maharashtra by UP ATS in the religious conversion racket run by Umar Gautam. pic.twitter.com/YUywXopgM9
— UP POLICE (@Uppolice) July 17, 2021
वो महाराष्ट्र में धर्मांतरण गिरोह का काम देखने के साथ-साथ अपने अन्य साथियों से भी जुड़ा हुआ था। मध्य एशिया के कई मुस्लिम बहुल मुल्कों में इनका तगड़ा नेटवर्क है, जिसके सहारे ये इस्लामी प्रोपेगंडा के प्रचार-प्रसार में लगे थे। वहीं 51 वर्षीय कौसर आलम बीज का व्यापार करता है। उमर और कौसर पुराने परिचित हैं। बीज व्यापार की आड़ में वो महाराष्ट्र व कर्नाटक में गिरोह का कामकाज देख रहा था।
उमर गौतम द्वारा दिल्ली में ‘रिवर्ट गेट टुगेदर’ के वार्षिक कार्यक्रम आयोजित करता रहा है, जिसमें एडम और अर्सलान के साथ कौसर भी 2018 से ही हिस्सा ले रहा था। वहीं चामोसी निवासी डॉक्टर अर्सलान हिजामा थेरेपी (Vacuum Cupping) का विशेषज्ञ है। इसके जरिए शरीर से टॉक्सिन्स निकाले जाते हैं। वो धर्मांतरण गिरोह की फंडिंग का काम देख रहा था। इस मामले में सलाउद्दीन, इरफान शेख, राहुल भोला और मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान पहले से ही जेल में हैं।
संदर्भ : OpIndia
धर्मांतरण गिरोह के 6 ठिकानों पर ED की छापेमारी, कई करोड़ की विदेशी फंडिंग
July 3, 2021
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस्लामी धर्मांतरण गिरोह से जुड़े 6 ठिकानों पर छापेमारी की। ED ने शनिवार (जुलाई 3, 2021) को दिल्ली और उत्तर प्रदेश के इन ठिकानों पर छापा मारा। जाँच एजेंसी ने अपनी इस कार्रवाई के दौरान कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए, जिससे बड़े स्तर पर इस्लामी धर्मांतरण की बात पता चली। मौलाना मोहम्मद उमर गौतम कई संगठनों के साथ मिल कर ये काला कारोबार चला रहा था।
साथ ही ED को इस मामले में विदेशी फंडिंग के भी सबूत मिले हैं। केंद्रीय जाँच एजेंसी का आकलन है कि अवैध धर्मांतरण के लिए इन संगठनों को कई करोड़ रुपए विदेश से मिले हो सकते हैं। ये खुलासा इन्हीं दस्तावेजों से हुआ है। दिल्ली में तीन और यूपी में 3 ठिकानों पे ED की छापेमारी हुई। इसमें दिल्ली के जामिया नगर स्थित ‘इस्लामिक दावा सेंटर (IDC)’ का मुख्य दफ्तर भी शामिल है, जो इन अवैध गतिविधियों का गढ़ था।
यहीं से मौलाना मोहम्मद उमर गौतम और मुफ़्ती काजी जहाँगीर कासमी ऑपरेट करते थे। फ़िलहाल दोनों उत्तर प्रदेश पुलिस की गिरफ्त में हैं। ‘अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन’ के लखनऊ और ‘गाइडेंस एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी’ के संत कबीर नगर स्थित ठिकानों को भी ED ने खँगाला। इन संगठनों के साथ उमर गौतम और जहाँगीर कासमी का सम्बन्ध था। ये अवैध धर्मांतरण में बड़ी भूमिका निभा रहे थे।
ED has conducted search at 6 premises located in Delhi and UP in a forced religious conversion case of Mohd. Umar Gautam, his associate Mufti Qazi Jahangir Qasmi and others. pic.twitter.com/M4rvj9I1En
— ED (@dir_ed) July 3, 2021
ED ने ये कार्रवाई ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ के आरोपों की जाँच के तहत शुरू की है। ATS द्वारा दर्ज की गई FIR को ही इसके लिए आधार बनाया गया है, जिसमें इसका जिक्र है कि कैसे धन का लालच देकर पिछड़ों और दिव्यांगों का धर्मांतरण कराया जा रहा था। ED ने बयान जारी कर इस कार्रवाई की जानकारी दी। अभी इस मामले में आगे की जाँच की जा रही है, जिससे कई राज़ निकलने की संभावना है।
इधर ATS भी उत्तर प्रदेश के 32 जिलों में धर्मांतरण गिरोह का नेटवर्क खँगालने में जुटी है। ये इतना बड़ा नेटवर्क है कि इसके लिए 100 से अधिक अधिकारियों की ज़रूरत पड़ रही है। जाँच के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है, जो आरोपितों को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है। इरफान शेख, राहुल भोला और अब्दुल मन्नान उर्फ मन्नू यादव को लखनऊ जिला जेल से कस्टडी में लिया गया है।
वहीं मौलाना मोहम्मद उमर गौतम ने इलाहबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच में याचिका दायर कर के जाँच को रोकने की माँग की है, जिस पर रमेश सिन्हा और विकास कुंवर श्रीवास्तव की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई भी हुई। इस दौरान आदेश को सुरक्षित रख लिया गया है। ये भी सामने आया है कि उमर और जहाँगीर ने सीएए-एनआरसी के विरोध के दौरान भी 300 से अधिक लोगों का धर्म परिवर्तन कराया। अपनी सभाओं में ये लोग कहते थे कि CAA और NRC को हटाना है तो इस्लाम को मजबूत बनाना होगा।
संदर्भ : OpIndia
गुजरात से दबोचा गया उमर गौतम का साथी सलाहुद्दीन शेख, 4 साल में NGO को ₹10 करोड की विदेशी फंडिंग
July 2, 2021
इस्लामी धर्मांतरण के बड़े गिरोह का पर्दाफाश करने के बाद से ही उत्तर प्रदेश एटीएस इस मामले में लगातार कार्रवाई कर रही है।इसी क्रम में छठी गिरफ्तारी हुई है। गुजरात और यूपी एटीएस ने संयुक्त कार्रवाई में सलाहुद्दीन शेख को दबोचा है।
देश गुजरात की रिपोर्ट के अनुसार सलाहुद्दीन शेख वडोदरा के AFMI के चैरिटेबल ट्रस्ट का मैनेजिंग ट्रस्टी है। वह इस्लामिक धर्मांतरण के लिए उमर गौतम को विदेशी फंडिंग उपलब्ध कराता था।
इंडियन एक्सप्रेस से इस बारे में चर्चा करते हुए गुजरात एटीएस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आरोपित सलाहुद्दीन शेख को वडोदरा से गिरफ्तार कर बुधवार (30 जून) की शाम को अहमदाबाद की अदालत में पेश किया गया जहाँ से 3 जुलाई तक की हिरासत मिली उसे यूपी एटीएस टीम को सौंप दिया गया है।
यूपी एटीएस ने भी अपने वक्तव्य में यह सूचना दी है कि शेख ने कबूल किया है कि वह उमर गौतम को जानता है और धर्मांतरण के लिए उसे हवाला का पैसा उपलब्ध कराता था। शेख ने कथित तौर पर उमर गौतम को 30 लाख रुपए उपलब्ध कराए हैं। उमर गौतम इस्लामिक दावाह केंद्र का संस्थापक है जो इस मामले में जाँच के दायरे में है।
फंडिंग की डिटेल
FCRA के अनुसार 2016-21 के दौरान सलाहुद्दीन शेख के एनजीओ को लगभग 10 करोड़ रुपए की विदेशी फंडिंग मिली। देश गुजरात की रिपोर्ट के अनुसार शेख के संगठन AFMI को 2016-17, 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के दौरान क्रमशः 1.62 करोड़, 1.4 करोड़, 2.75 करोड़ रुपए और 4 करोड़ रुपए की फंडिंग प्राप्त हुई। हालाँकि अभी 2020-21 के आँकड़े प्राप्त नहीं हो सके हैं।
अधिकांश फंड यूके और अमेरिका के संगठनों से प्राप्त हुए हैं। इनमें यूके के जुलेखा जिंगा फाउंडेशन, मजिलिस अल फतह ट्रस्ट, फ़िरदौस फाउंडेशन, इखार विलेज वेल्फेयर ट्रस्ट, नॉर्थ वेस्ट रिलीफ़ ट्रस्ट और गुजराती मुस्लिम एसोसिएशन ऑफ अमेरिका शामिल हैं।
यह फंड अस्पतालों के संचालन, गरीबों की शिक्षा और विधवाओं को मासिक तौर पर राशन प्रदान करने के नाम पर लिए गए हैं। यह दावा किया गया है कि AFMI चैरिटेबल ट्रस्ट छोटा उदयपुर के जनजातीय इलाकों में अंग्रेजी मीडियम स्कूल चलाता है।
इससे पहले रिपब्लिक टीवी ने एक रिपोर्ट में बताया था कि कट्टरपंथी जाकिर नाईक और उसके सहयोगी बिलाल फिलिप्स के साथ उमर गौतम के संबंध हैं। ये दोनों ही आतंकी संगठनों तालिबान और हमास से जुड़े हुए हैं।
संदर्भ : OpIndia
धर्मांतरण रैकेट : संतोष जब हो गया अनाथ, तो उसे बना दिया गया अब्दुल्ला
July 1, 2021
देश में इस्लामिक धर्मान्तरण की एक के बाद एक खबर आ रही है। अब गुजरात से भी धर्म परिवर्तन का मामला सामने आया है। राज्य के सूरत शहर स्थित आजाद नगर का रहने वाला संतोष पंढारे धर्मान्तरण कर अब्दुल्ला बन गया है। इस मामले की जानकारी मिलते ही उसके बड़े भाइयों ने उसे वापस लाने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहे।
आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, सूरत का रहने वाला संतोष धर्मान्तरण का शिकार हो गया है। वह आजाद नगर में अपने दो बड़े भाइयों के साथ रहता था। तीनों के माता-पिता का बेचपन में देहांत हो गया था। अनाथ होने के बाद तीनों का जीवन गरीबी में कट रहा था। वर्ष 2013 में एक दिन 16 वर्षीय नाबालिग संतोष (अब अब्दुल्ला) घर से काम की तलाश में निकला तो वापस नहीं लौटा।
उसके भाइयों ने उसे काफी ढूँढा, लेकिन वो नहीं मिला। करीब 7-8 साल बीतने के बाद एक दिन वह अपने भाइयों के माोबाइल पर फोन करता है और अपने बारे में बताता है। फोन पर बात होने के बाद उसके भाइयों राजेश और दिनेश ने उसे सूरत वापस लाने की काफी कोशिश की, लेकिन वो उसमें सफल नहीं हुए।
संतोष के भाई राजेश के मुताबिक, उस दौरान वो नाबालिग था, इसलिए उसे पहला-फुसला कर कुछ लोग अपने साथ ले गए और धर्मान्तरण करवा दिया। उसने ये भी बताया कि दो साल पहले उसे सूरत लाया गया था, जहाँ उसने अपने ही भाइयों को मारने के लिए गुंडे बुलाए थे। हालाँकि, एक दिन अचानक से वो गायब हो गया था।
संतोष के भाइयों के मुताबिक, उन्होंने बजरंग दल के देवी प्रसाद दुबे से मदद माँगी थी। इसके अलावा सूरत के तत्कालीन कमिश्नर सतीश शर्मा ने मामले में संज्ञान लिया था। जिसके बाद क्राइम ब्राँच की टीम उसे सूरत वापस लाई थी। फिलहाल वो उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कहीं रह रहा है।
संदर्भ : OpIndia
धर्मांतरण रैकेट में विदेशी फंडिंग का खुलासा, UK-मिडिल ईस्ट से आए करोडो रूपए
June 29, 2021
उत्तर प्रदेश में सामूहिक धर्मांतरण रैकेट मामले में विदेशी फंडिंग का खुलासा हुआ है। इसमें हवाला के माध्यम से फंडिंग की बात सामने आई है जिसमें कतर, दुबई और आबूधाबी से ट्रांजेक्शन होने के सबूत मिले हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश एटीएस ने इस मामले में तीन अन्य आरोपितों को भी गिरफ्तार किया है।
यूपी एडीजी (लॉ &ऑर्डर) की प्रेस कांफ्रेंस में बताया गया है कि उमर गौतम जो पूर्व से ही हिरासत में है, उसने इरफान के साथ मिलकर प्रलोभन देकर धर्मांतरण करने का कार्य किया है। इनका पूरा गैंग था जो प्रलोभन देकर लोगों के धर्म परिवर्तन का कार्य करता था।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा गया है कि सामूहिक धर्मांतरण के इस मामले अलीगढ़, बनारस, नोएडा और सहारनपुर समेत 27 जिलों के एसपी को पत्र लिखकर सत्यापन करवाया जा रहा है। आरोपितों द्वारा कई मूक-बधिरों का धर्मांतरण कराया गया। इन मूक-बधिरों के ब्रेन वाश करने का काम एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए राहुल भोला के द्वारा किया जाता था।
जाँच में विदेशी फंडिंग का एंगल भी सामने आया है। एटीएस के अनुसार 2 करोड़ रुपए यूनाइटेड किंगडम से आए जिनका उपयोग मुख्य आरोपित उमर गौतम और मुफ्ती कासिम के द्वारा किया गया। एटीएस के मुताबिक यूके से यह फंडिंग गुजरात के किसी व्यापारी के खाते के माध्यम से की गई जिसकी जानकारी को वैरिफाई किया जा रहा है। इस पूरी फंडिंग में लगातार फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट अधिनियम का उल्लंघन होता रहा और जिसकी जाँच ईडी के द्वारा की जा रही है।
इसके अलावा यह जानकारी भी सामने आ रही है कि एटीएस को दोनों मुख्य आरोपितों के बैंक खातों में मध्य-पूर्वी देशों से फंडिंग के भी सबूत मिले हैं। इस पूरे मामले में विभिन्न पहलुओं पर जाँच की जा रही है। हालाँकि एटीएस ने आज (28 जून) ही तीन अन्य आरोपितों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपितों में मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान निवासी गुरुग्राम हरियाणा, इरफान शेख निवासी बीड महाराष्ट्र और राहुल भोला निवासी नई दिल्ली शामिल हैं। इसके अलावा शनिवार (26 जून) को एटीएस मुख्य आरोपितों को एनसीआर के आसपास उन 4 जिलों में लेकर गई जहाँ आरोपितों के द्वारा बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के उद्देश्य से यात्राएं की गई।
उत्तर प्रदेश में भूचाल मचा देने वाले इस धर्मांतरण मामले में फतेहपुर के नूरुल हुदा इंग्लिश मीडियम स्कूल की भूमिका भी संदिग्ध रही है। जाँच के दौरान यह जानकारी सामने आई थी कि नूरुल हुदा स्कूल का उपयोग उमर गौतम अपने धर्मांतरण के कार्य के लिए करता था। इस स्कूल में पढ़ाने वाली अंग्रेजी की एक टीचर ने भी स्कूल में इस्लामी धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर आवाज उठाई थी। हिन्दू बच्चों को उर्दू और अरबी पढ़ाने का विरोध करने पर अंग्रेजी की टीचर को स्कूल से निकाल दिया गया था और उनके साथ बदतमीजी भी की गई थी। हालाँकि ऑपइंडिया की रिपोर्ट के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने फतेहपुर के DM और SP को तलब किया था।
ज्ञात हो कि यूपी ATS ने मूक बाधिर छात्रों व कमजोर आय वर्ग के गरीबों-असहायों को धन, नौकरी व शादी करवाने का प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने वाले एक बड़े गिरोह के दो मौलानाओं को गिरफ्तार किया था। इन दोनों पर अब तक करीब 1000 मूक बधिर, महिलाएँ और बच्चों को निशाना बनाकर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप है। यही नहीं, इस मामले में यूपी पुलिस ने आईएसआई और विदेशी फंडिंग होने का शक भी जताया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ये इस्लामी गिरोह ब्रेनवाश के जरिए हिंदुओं का धर्मांतरण कराते थे। गिरफ्तार आरोपितों में मुफ्ती काजी जहाँगीर आलम कासमी और मोहम्मद उमर गौतम शामिल हैं। उमर गौतम का खुद इस्लामीकरण हुआ था।
संदर्भ : OpIndia
केंद्रीय मंत्रालय तक धर्मांतरण गिरोह की पहुंच, अधिकारी देता था बच्चों की सूची
June 27, 2021
जहाँ देश भर में धर्मांतरण का मुद्दा गरमाया हुआ है और दिल्ली से दो मौलवियों की गिरफ़्तारी के बाद इस पर चर्चा जोड़ पकड़ रही है, वहीं अब केंद्र सरकार के एक अधिकारी के धर्मांतरण रैकेट में शामिल होने की बात पता चली है। ATS (आतंकवाद निरोधी दस्ता) की जाँच में महिला एवं बाल विकास विभाग का एक अधिकारी पकड़ा गया है। वो अनाथ बच्चों की सूची बना कर ‘इस्लामी दावा सेंटर’ को मुहैया कराता था।
केंद्रीय मंत्रालय तक पहुँची इस्लामी धर्मांतरण गिरोह की जाँच
गिरफ्तार मौलवी उमर गौतम इस संस्थान का संचालन करता था, जो मुख्य रूप से मूक-बधिर बच्चों को निशाना बनाता था। सूची मिलने के बाद वो उन बच्चों को प्रलोभन देता था और एक साजिश के तहत उसका धर्मांतरण किया जाता था। उक्त अधिकारी के बारे में पता चला है कि वो खुद धर्म बदल कर हिन्दू से मुस्लिम बना है। ATS फ़िलहाल उससे पूछताछ कर रही है। इस तरह ISI के इशारे पर चल रही इस्लामी धर्मांतरण रैकेट की जाँच अब स्मृति ईरानी के मंत्रालय की चौखट तक पहुँच गई है।
वो ऐसे बच्चों की सूची धर्मांतरण गिरोह को मुहैया कराता था, जो आर्थिक और शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं। इसके बाद मौलाना मोहम्मद उमर गौतम उन बच्चों के अभिभावकों से संपर्क करता था और इस्लामी सेंटर लाकर उन्हें मुस्लिम बनाता था। जिन बच्चों के परिजन राजी नहीं होते थे, उन बच्चों को रोजगार का लालच देकर नोएडा की डेफ सोसाइटी जैसी संस्थाओं में पहुँचा दिया जाता था। वहाँ उनका सिस्टेमेटिक ब्रेनवॉश होता था।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में अक्सर विभिन्न योजनाओं के तहत आवेदन आते हैं और उक्त अधिकारी उन्हीं आवेदनों से बच्चों की सूची तैयार करता था। कई साल से वो अधिकारी ‘इस्लामी दावा सेंटर’ से जुड़ा हुआ है और मौलाना मोहम्मद उमर गौतम का करीबी भी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों की आर्थिक मदद व संरक्षण की जिम्मेदारी ली है। इस काम में कई NGO को भी लगाया गया है।
ऐसे समय में इस तरह का मामला सामने आना सरकार के कान खड़े करने वाला है। इस क्षेत्र में कार्य कर रही कुछ NGO को हटा भी दिया गया है। बच्चों की सूची तैयार करने के लिए कुछ चुनिंदा और भरोसेमंद अधिकारियों को ही लगाया गया है। उत्तर प्रदेश का बाल आयोग भी इस मामले के सामने आने के बाद सतर्क हो गया है। किस NGO के तार किन इस्लामी जिहादियों से जुड़े हो सकते हैं, ये कहना मुश्किल है।
मेरठ: जेल में 2 लाख रुपए देकर धर्मांतरण का आरोप
उधर उत्तर प्रदेश के मेरठ से एक मामला सामने आया है, जहाँ जेल में बंद ताराचंद ने अपनी दाढ़ी बढ़ा ली थी। अब उसने दाढ़ी कटवा कर कहा है कि उसने सिर्फ नमाज पढ़ी है, इस्लाम कबूल नहीं किया है। हिन्दू संगठनों ने आरोप लगाया था कि उसने अपना धर्म बदल लिया है। मुंडाली थाना क्षेत्र अंतर्गत मऊ खास गाँव का ताराचंद 2017 से ही जेल में बंद था। जेल से छूट कर आने के बाद वो गाँव में नमाज पढ़ने लगा था।
साथ ही हो गाँव के कुछ युवाओं पर इस्लाम मजहब कबूल करने के लिए दबाव भी बना रहा था। लोगों का आरोप है कि जेल में ही 2 लाख रुपए देकर उसका धर्मांतरण करा दिया गया। अब उसने कहा है कि उसने इस्लाम कबूल नहीं किया है। एक युवक ने थाने में उसके खिलाफ तहरीर भी दी है और ख़ुफ़िया विभाग इस घटना पर नजर रखे हुए है। पुलिस ने उसका बयान दर्ज किया है। उसका कहना है कि जबरन धर्मांतरण वाली कहने के लिए उस पर दबाव बनाया जा रहा है।
प्रयागराज की ऋचा और ज्योतिका: उच्च-शिक्षित भी बनी शिकार
धर्मांतरण गिरोह की जाँच कर रही टीम को प्रयागराज की एक युवती के बारे में भी पता चला है, जो अशोक नगर में रहती है। उसका नाम ज्योतिका बताया जा रहा है, लेकि अब उसने इस्लाम अपना लिया है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बीटेक और फिर एमटेक कर चुकी ज्योतिका दिल्ली में रह कर आगे की पढ़ाई कर रही थी, लेकिन गिरोह ने उसे भी अपना शिकार बना लिया। प्रयागराज में उसके परिजनों से संपर्क करने की कोशिश प्रशासन कर रहा है।
उच्च-शिक्षित होने के बावजूद युवती किन हालत में इस्लामी धर्मांतरण गिरोह का शिकार हुई, ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है। ज्योतिका के घर वालों को इस बात का पता है या नहीं, ये भी पता लगाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि दिल्ली में पढ़ाई के दौरान ही उसे विभिन्न कार्यक्रमों में बुला कर माइंडवॉश किया गया था। इसी तरह कानपुर की एक ऋचा के धर्मांतरण का मामला सामने आया था।
ऋचा भी ज्योतिका की तरह उच्च-शिक्षित थी। दोनों प्रयागराज की हैं और दिल्ली में उनका धर्म-परिवर्तन हुआ, ऐसे में पता लगाया जा रहा है कि दोनों के बीच कॉमन लिंक क्या है। बीएससी और एमबीए कर चुकी ऋचा ने जयपुर और नोएडा में जॉब भी किया था। ऋचा के पिता ने बताया कि उनकी बेटी पढ़ाई के दौरान किसी शाहिद का नाम लेती थी। शाहिद जमातियों को पनाह देने के आरोप में जेल जा चुका है।
वो पेशे से प्रोफेसर है। उसके वकील अदील अहमद खान का कहना है कि प्रोफेसर को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शाहिद का इस छात्रा से कभी कोई सम्बन्ध रहा ही नहीं। उन्होंने दावा किया कि उक्त प्रोफेसर दूसरे विभाग में पढ़ाते हैं, जिसमें ऋचा नहीं पढ़ती थी। मौलाना उमर गौतम की जड़ें भी प्रयागराज में गहरी हैं। उसने वहाँ से पढ़ाई की थी। जॉर्ज टाउन की एक युवती ने भी झाँसा देकर जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाया है।
गिरफ्तार मौलानाओं को लेकर सबूत खँगालने निकली ATS
उधर उत्तर प्रदेश ATS दोनों मौलानाओं को लेकर राज्य के 4 जिलों में गई, जहाँ सबूत जुटाने का काम चल रहा है। मुफ़्ती काजी जहाँगीर कासमी और मौलाना उमर गौतम को साथ लेकर ATS सबूत खँगाल रही है। जिन 1000 लोगों का उसने धर्मांतरण कराया है, उसके बारे में भी पता लगाया जा रहा है। कुछ दस्तावेज मिले हैं, जिनकी पुष्टि की जा रही है। 4 जिलों में इन आरोपितों को कई बार ले जाया गया।
अधिकारियों ने बताया कि ये दोनों पिछले समय में गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर और मेरठ में रहे हैं। गाजियाबाद में वो कई दिनों तक रहे थे, जहाँ कई लोगों का धर्मांतरण कराया गया था। असम की एक सदिग्ध संस्था से भी दोनों के सम्बन्ध पता चले हैं। इसका विवरण असम पुलिस से साझा किया जा रहा है। ‘इस्लामी दावा सेंटर’ के नाम पर भी अधिकतर फंडिंग रिसीव की जाती थी, जिसके स्रोतों का पता लगाया जा रहा है।
संदर्भ : OpIndia
मो उमर गौतम ने किया मेधावी छात्राओं का भी ब्रेनवॉश: ATS को मिली ग्रामीण इलाकों की मुस्लिम बनीं 33 युवतियों की लिस्ट
June 26, 2021
उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा धर्मांतरण कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश करने के बाद से इस मामले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। एटीएस को आरोपितों के पास से 33 लड़कियों की एक सूची मिली है, जिनमें आधे से ज्यादा युवतियाँ ग्रामीण इलाकों की रहने वाली हैं। धर्म परिवर्तन मामले में गिरफ्तार मोहम्मद उमर गौतम और काजी जहाँगीर ने एटीएस को बताया कि वे ग्रामीण इलाकों की युवतियों को अपना शिकार बनाते थे, क्योंकि गाँवों में रहने वाली युवतियों का ब्रेनवॉश करने में आसानी होती थी।
बताया जा रहा है कि बीहूपुर गाँव घाटमपुर निवासी ऋचा उर्फ माहीन अली का खुलासा होने के बाद एटीएस ने एक बार फिर मोहम्मद उमर गौतम की संस्था इस्लामिक दावा सेंटर से बरामद 33 युवतियों और महिलाओं की सूची की दोबारा पड़ताल शुरू कर दी है। एटीएस के सूत्रों के अनुसार सूची की जाँच के बाद पता चला कि ज्यादातर युवतियाँ और महिलाएँ झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुवाहाटी समेत अन्य राज्यों के ग्रामीण इलाकों की हैं। गिरोह के सदस्य उन्हें लालच देकर अपने जाल में फँसाते हैं और इसके बाद उनका ब्रेनवॉश करके धर्मांतरण करा देते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूछताछ में आरोपितों ने यह भी कबूला कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाली इन युवतियों और महिलाओं को दबा-कुचला वर्ग मानकर कई बार इनका तिरस्कार किया गया है। इसका फायदा उठाकर उनका गिरोह उन महिलाओं और युवतियों को अपना शिकार बनाते हैं और उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन व हक दिलाने का झाँसा देकर उनका ब्रेनवॉश करते हैं। महिलाओं को बताया गया कि इस्लाम में इन्हें पूरा हक और सुरक्षा मिलेगी, जिसके कारण उन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया।
33 में से 12 युवतियाँ मेधावी
एटीएस के सूत्रों के अनुसार, धर्मांतरण की शिकार हुई ग्रामीण इलाकों की 33 युवतियों व महिलाओं में 12 युवतियाँ मेधावी रही हैं। एमबीए, बीएड, बीएससी, एमएससी करने वाली इन युवतियों ने स्कॉलरशिप के साथ अपनी पढ़ाई पूरी की है। उसके बाद भी गिरोह के सदस्य इन युवतियों का ब्रेनवॉश कर उनका धर्मांतरण करा देते हैं।
मालूम हो कि धर्मांतरण मामले में जारी हुई लिस्ट में MBA पास ऋचा देवी का भी नाम दर्ज है। घाटमपुर की 26 वर्षीय ऋचा ने कानपुर और प्रयागराज से पढ़ाई की है। सिविल सर्विसेज की तैयारी के दौरान वह एक मुस्लिम प्रोफेसर के संपर्क में आई और अपना धर्म बदल लिया। अब उसने अपना नया नाम माहीन अली रख लिया है। ऋचा उर्फ माहीन एक कंपनी में जॉब करती है और परिवार से अलग नोएडा में रहती है। गुरुवार (जून 24, 2021) को एटीएस ने छात्रा के घर पहुँच कर इसकी जानकारी जुटाई थी।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश एटीएस ने सोमवार (21 जून 2021) को मूक-बाधिर छात्रों व कमजोर आय वर्ग के गरीबों-असहायों को धन, नौकरी व शादी करवाने का प्रलोभन देकर धर्मान्तरण कराने वाले एक बड़े गिरोह के दो मौलानाओं, मोहम्मद उमर गौतम और जहाँगीर कासिम को गिरफ्तार किया था। इन दोनों पर अब तक करीब 1,000 मूक-बधिर, महिलाएँ और बच्चों को निशाना बनाकर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप है। इस मामले में यूपी पुलिस ने आईएसआई और विदेशी फंडिंग होने का शक भी जताया था।
इसमें से एक उमर गौतम पहले हिंदू ही था। वह करीब 30 साल पहले धर्मान्तरण कर मुस्लिम बन गया था। इसके बाद से ही वह दिल्ली के जामिया नगर इलाके में इस्लामिक दावा सेंटर चला रहा था। यहीं से धर्मान्तरण का सारा खेल खेला जाता है। गिरफ्तार किए गए मोहम्मद उमर गौतम को लेकर फतेहपुर के एक स्कूल में अंग्रेजी की टीचर रही कल्पना सिंह ने खुलासा किया था कि उन पर भी धर्मांतरण का दबाव बनाया गया था। हिंदू बच्चों को उर्दू और अरबी पढ़ाने का विरोध करने पर उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया था।
संदर्भ : OpIndia
पहले दावत, फिर गीता और आखिर में कुरान: इस तरह इस्लाम कबूल करवाता था मौलाना उमर का गैंग, 24 राज्यों में नेटवर्क
June 25, 2021
इस्लामी धर्मांतरण रैकेट से जुड़े मोहम्मद उमर गौतम और जहाँगीर आलम की गिरफ्तारी के बाद से उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ता (यूपी एटीएस) लगातार पूछताछ कर रही है। रोज नए खुलासे हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इनका नेटवर्क 24 राज्यों में फैला है। इस बीच उमर और उसकी संस्था के यूट्यूब चैनल से कुछ वीडियो डिलीट किए गए हैं। अधिकारी यह जानने की कोशिश में हैं कि उन वीडियो में क्या था।
पूछताछ में उमर ने एटीएस को फंडिंग से संबंधित कुछ अहम जानकारी दी है। मामला संवेदनशील होने के कारण यह भी जानने का प्रयास किया जा रहा है कि इन आरोपितों और उनकी संस्था को दी जाने वाली फंडिंग कहाँ से हो रही थी और इसके पीछे का वास्तविक उद्देश्य क्या था। क्या इसके पीछे सिर्फ धर्मांतरण ही उद्देश्य है या कुछ और, इस तथ्य की विशेष रूप से छानबीन की जा रही है।
इसके साथ ही उन संस्थाओं की भी छानबीन की जा रही है, जिससे उमर किसी न किसी रुप में जुड़ा रहा है। उमर के अन्य ठिकानों के साथ-साथ उसके मददगारों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है। सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध उमर की स्पीच के वीडियो को भी एटीएस खँगाल रही है। इस्लामिक दावाह सेंटर के नाम से यूट्यूब चैनल भी है। इस पर उमर की स्पीच के कई वीडियो अपलोड हैं। कुछ वीडियो पूरा मामला सामने आने के बाद डिलीट भी कर दिए गए हैं। उनके बारे में भी पड़ताल की जा रही है।
उत्तर प्रदेश के एडीजी (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया कि धर्मांतरण से जुड़े सभी संगठनों की विस्तृत जाँच की जा रही है। जिन लोगों का धर्मांतरण किया गया है उनके परिजनों से पुलिस लगातार संपर्क में है। उन्होंने कहा कि जिन 24 राज्यों के बारे में उमर व जहाँगीर ने बताया है, वहाँ की पुलिस से संपर्क कर सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा रहा है। मौलाना उमर और मुफ्ती जहाँगीर आलम को धर्मांतरण के लिए इस्लामिक देशों से लगातार मदद मिलती थी। इनका लक्ष्य अधिक से अधिक लोगों का मतांतरण कराना था। उमर ने बताया है कि असम से सांसद बदरुद्दीन अजमल के कहने पर 2011 से 2012 के बीच दिल्ली में इस्लामिक दवाह सेंटर की स्थापना की गई थी।
उत्तर प्रदेश शासन में अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि मतांतरण के प्रकरण में विदेशों से फंडिंग के पुख्ता सुबूत मिले हैं। एक खाता भी कनफर्म हो गया है, जिसमें विदेशों से रकम आती थी। यह धनराशि क्यों और कैसे आती थी, इसकी जाँच की जा रही है। जाँच में पता चला कि मौलाना उमर के पास इस्लामिक देशों से मिले फंड से अरबों की संपत्ति भी है। उमर की गाजियाबाद के साथ ही नई दिल्ली में भी संपत्ति का पता चला है। इसके अलावा, उसकी गौतमबुद्ध नगर की संपत्ति के कागजों की जाँच चल रही है। यह भी सामने आया है कि मौलाना गाजियाबाद के किसी स्कूल में फंड देने का भी काम करता था। एटीएस अब मौलाना उमर के बैंक डिटेल्स भी चेक कर रही है।
मौलाना उमर ने पूछताछ में बताया कि मतांतरण के लिए दावत का इंतजाम किया जाता था। मतांतरण के लिए सबसे पहले गीता पढ़ाया जाता था। फिर कुरान पढ़ाते थे। दोनों का अंतर और गीता में कमी बताई जाती थी। उसके बाद हदीस पढ़ाया जाता था। हदीश पढ़ाने के बाद पूरी तरह से ब्रेन वॉश किया जाता है और फिर लोगों को धीरे-धीरे इस्लाम के प्रति आकर्षित कर लिया जाता है।
बता दें कि यूपी एटीएस ने उमर गौतम और जहाँगीर आलम को गिरफ्तार कर बड़े पैमाने पर हो रहे धर्मांतरण का खुलासा किया था। उमर गौतम दिल्ली के जामिया नगर स्थित बटला हाउस में इस्लामिक दावा सेंटर नामक संस्था का संचालक है। यहीं से धर्मान्तरण का सारा खेल खेला जाता है। उमर पर आरोप है कि उसने नोएडा के मूक-बधिर स्कूल के दर्जनों छात्रों का उसने धर्मांतरण कराया है। उमर गौतम पहले हिंदू ही था। वह करीब 30 साल पहले धर्मान्तरण कर मुस्लिम बन गया था।
संदर्भ : OpIndia