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गोवा की सरकार द्वारा पोर्तुगीजों के सालाजारशाही का साक्षी सत्तरी तहसील में स्थित कारागार का जतन करने के संदर्भ में गोवा सरकार से उपेक्षा !

गोवावासियों के संघर्ष के ज्वलंत प्रतीक नष्ट होने की कगार पर !

  • प्रशासन गोवा में पोर्तुगीजों की स्मृतियों को संजोने के लिए तो अनेक प्रयास करती है; परंतु गोमंतक का इतिहास जतन करने की मांग करनी पडती है !
  • पोर्तुगीजों के कार्यकाल में गोमंतकवासियों का हुआ उत्पीडन

वाळपई : पोर्तुगीजों ने गोमंतक पर ४५० वर्ष राज्य किया । इस अन्यायकारी कार्यकाल में गोमंतकियों का अमानवीय पद्धति से उत्पीडन किया गया । इन अत्याचारों के विरोध में सत्तरी के नागरिकों ने लगभग २५ से ३० बार प्रखर संघर्ष किया, जिसके कारण पोर्तुगीजों को सत्तरी तहसील पर अधिक समयतक शासन करना संभव नहीं हुआ । पोर्तुगीजों ने सत्तरी के स्वतंत्रतासेनानियों को पकडकर उनका उत्पीडन करने हेतु तहसील के अनेक स्थानों पर कादय (कारागार) बनाए थे । ये कादय (कारागार) तो पोर्तुगीजों के सालाजारशाही के (सालाजार नाम के क्रूरता के साथ व्यवहार करनेवाले राजकर्ताओं की तानाशाही) साक्ष हैं । भावी पीढी के लिए उनका जतन होना आवश्यक है; परंतु सरकार की उपेक्षा के कारण ये कारागृह समाप्त होने की कगार पर हैं ।

इस संदर्भ में मान्यवरों की प्रतिक्रियाएं आगे दे रहे हैं –

सरकार कारागारों का तत्काल जतन करें ! – पैट्रिसन आंद्राद

भिरोंड एवं सत्तरी में स्थित कादयों की स्थिति अत्यंत दयनीय हुई है, वो कभी भी गिर सकते हैं । कादयों के जतन के लिए हमने सरकार के साथ पत्राचार किया है; परंतु उसका कोई उपयोग नहीं हुआ । मैं सरकार से पुनः यह मांग करता हूं कि वे कादय के संवर्धन का काम तुरंत हाथ में लें ।

‘कादय’ का जतन किया, तो तत्कालीन विद्रोह की जानकारी युवा पीढीतक पहुंच सकेगी ! – प्रा. राजेंद्र केरकर, इतिहास के अभ्यासी

सत्तरी स्थित पोर्तुगीजकालीन ‘कादय’ का नवीनीकरण किया गया, तो उसका उपयोग इतिहास के अभ्यासियों के लिए हो सकता है । ये वास्तुएं सत्तरी के स्वतंत्रतासेनानियों द्वारा पोर्तुगीज के विरोध में किए गए ऐतिहासिक विद्रोह की जानकारी युवा पीढीतक पहुंचाने का अच्छा साधन सिद्ध हो सकते हैं ।

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