झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में पुणे में व्याख्यान का आयोजन
पुणे : शौर्य नाम का उच्चारण करते ही हमारी आंखों के सामने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्यादेवी होळकर, राणी चन्नम्मा, स्वतंत्रतासेनानी प्रीतीलता वड्डेदार, धैर्यशील, अवंतिबाई लोधी जैसी वीरांगनाओं, साथ ही अनेक शूरवीर एवं स्वतंत्रतासेनानियों का चित्र खडा हो जाता है । ऐसा भले ही हो; परंतु शौर्य की परंपरा प्राप्त भारत में उनका पराक्रम, बलिदान और राष्ट्रप्रेम सिखाया नहीं जाता सिखाया नहीं जाता, यह बहुत ही दुर्भाग्यशाली है । इस स्थिति में परिवर्तन लाने हेतु हिन्दुओं को सक्षम बनने की तथा धर्मशिक्षा लेकर धर्माचरण करने की आवश्यकता है । आजकल लव जिहाद, महिलाओं के साथ बलात्कार और हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों की घटनाएं बढती जा रही हैं । इन सभी को रोकने हेतु आज की युवा पीढी को हिन्दुओं की शौर्य की परंपराओं का आदर्श लेना आवश्यक है । हिन्दू जनजागृति समिति की कु. मृणाल जोशी ने ऐसा प्रतिपादित किया । झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किए गए ऑनलाइन महिला शौर्यजागृति व्याख्यान में वे ऐसा बोल रही थीं ।
इस कार्यक्रम में वीडियो के माध्यम से शौर्य को जगानेवाले तथा स्वरक्षा के ऑनलाइन प्रात्यक्षिक दिखाए गए । ११६ धर्मप्रेमियों ने इस व्याख्यान का लाभ उठाया । कु. गार्गी पाटिल ने व्याख्यान का सूत्रसंचालन किया ।
विशेषतापूर्ण : इस व्याख्यान में दिखाए गए स्वरक्षा के प्रदर्शनों को देखकर सभी के लिए ७ दिवसीय शौर्यवर्ग का आयोजन किया गया ।