लडकियों के सामने गौरवशाली स्त्रियों का आदर्श सामने रखकर उनका दिशादर्शन किया जाए, तो लडकियां आत्महत्या करने से स्वयं को बचा सकेंगी ! – श्रीमती राजश्री तिवारी, हिन्दू जनजागृति समिति
- हिन्दू संगठन एवं धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु हिन्दू जनजागृति समिति
- हिन्दू जनजागृति समिति की महिला वक्ताओं का सहभाग
तासगाव (जनपद सांगली) : स्त्री केवल मातृशक्ति का प्रतीक नहीं है, अपितु वह धैर्य एवं पराक्रम का भी प्रतीक है । इसकी साक्षी बनी गार्गी, मैत्रेयी, कैकयी, सीता, भारतीदेवी, अहिल्याबाई होळकर, राणी लक्ष्मीबाई, जिजामाता आदि परिवारवत्सल तो थीं ही; परंतु उनमें युद्धकौशली और राजशकट चलाने का ज्ञान भी था । आज की छात्राओं को ऐसी स्त्रियों के जीवनचरित्र का अध्ययन करने और उनके गुणों को स्वयं में अंतर्भूत करने हेतु प्रयास करने की आवश्यकता है । हमने युवतियों के सामने भारत की इन गौरवशाली स्त्रियों का आदर्श रखकर उनका दिशादर्शन किया, तो ऐसी लडकियां आत्महत्या करने से स्वयं को बचा सकेंगी । हिन्दू जनजागृति समिति की श्रीमती राजश्री तिवारी ने ऐसा प्रतिपादित किया । यहां के पी.डी.वी.पी. महाविद्यालय के महिला सक्षमीकरण एवं आंतरिक मूल्यमापन विभाग की ओर से महिलाओं के लिए आयोजित ३ दिवसीय व्याख्यानमाला का हाल ही में आयोजन किया गया था । उसमें ‘भारतीय स्त्रियों का गौरवशाली इतिहास’ विषय पर श्रीमती तिवारी ऐसा बोल रही थीं । इस ३ दिवसीय ऑनलाइन व्याख्यानमाला में समिति की कु. प्रतिभा तावरे एवं श्रीमती मधुरा तोफखाने ने भी महाविद्यालय की छात्राओं का मार्गदर्शन किया ।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. मिलिंद हुजरे ने इस कार्यक्रम में अध्यक्षीय मनोगत व्यक्त किया, साथ ही महिला सक्षमीकरण एवं आंतरिक मूल्यमापन प्रमुख डॉ. (श्रीमती) अलका इनामदार ने कार्यक्रम की प्रस्तावना की । ५० छात्राओं ने इस व्याख्यानमाला का लाभ उठाया । इन छात्राओं ने इन व्याख्यानों से हमें अच्छी जानकारी मिली, यह अभिप्राय व्यक्त किया ।
दुष्प्रवृत्तियों के विरोध में महिलाओं को स्वयं में निहित शौर्य को जागृत करना ही एकमात्र उपाय ! – कु. प्रतिभा तावरे, हिन्दू जनजागृति समिति
शौर्यजागृति विषय पर मार्गदर्शन करते हुए समिति की कु. प्रतिभा तावरे ने कहा कि, वर्तमान स्थिति का विचार करते हुए हमारी लडकियां उच्चशिक्षित तो रहो रही हैं; परंतु वे सुरक्षित हैं, ऐसा कहना साहसपूर्ण होगा । हमारे न्यायतंत्र में महिलाओं पर होनेवाले अत्याचारों के लिए तुरंत दंड देने का प्रावधान न होने से समाज में स्त्री की ओर कुदृष्टि रखने की वृत्ति प्रतिदिन बढ रही है । महिलाओं को स्वयं में निहित शौर्य को जागृत करना ही इसका एकमात्र उपाय है । महिलाओं को स्वरक्षा हेतु न्यूनतम लाठी, कराटे आदि का प्रशिक्षण लेना आवश्यक है । हिन्दू जनजागृति समिति सहित कुछ स्वयंसेवी संगठन स्वरक्षा का निःशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं । लडकियों को इसका लाभ उठाना चाहिए ।
आज की पीढी का उचित दिशादर्शन करने हेतु भारतीय संस्कृति का अध्ययन करना आवश्यक ! – श्रीमती मधुरा तोफखाने, हिन्दू जनजागृति समिति
भारतीय संस्कृति में आभूषण एवं वेशभूषा का महत्त्व विषय पर मार्गदर्शन करते हुए समिति की श्रीमती मधुरा तोफखाने ने कहा कि आज संपूर्ण विश्व भारतीय संस्कृति का अध्ययन कर उसके अनुसार आचरण करने का प्रयास कर रहा है । आभूषण केवल सुंदरता बढाने हेतु धारण नहीं किए जाते, अपितु शरीर के अलग-अलग अंगों पर स्त्रियों के संबंधित अंगों पर बिंदूदाबन होकर उससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है । उसके कारण मन का उत्साह बढता है और शारीरिक विकार दूर होते हैं । आज सभी पर पाश्चात्त्यों के अंधानुकरण का प्रभाव है । अतः आज की पीढी का उचित दिशादर्शन करने हेतु हमें पुनः भारतीय संस्कृति तथा उसकी महानता का अध्ययन करना चाहिए ।