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गुरु-शिष्य परंपरा के द्वारा पुनः एक बार धर्मसंस्थापना का कार्य करने का समय आ गया है – पू. नीलेश सिंगबाळजी

हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से उत्तर प्रदेश, बिहार एवं ओडिशा राज्य के धर्मप्रेमियों के लिए ऑनलाइन हिन्दूसंगठन कार्यक्रम का आयोजन

वाराणसी : भारत की गौरवशाली परंपरा में गुरु-शिष्य परंपरा को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है । धर्म को आई ग्लानि के कारण जब-जब राष्ट्र एवं धर्म पर संकट आए, तब-तब गुरु-शिष्य परंपरा ने भगवान श्रीकृष्ण-अर्जुन, आर्य चाणक्य-चंद्रगुप्त मौर्य, समर्थ रामदास स्वामी-छत्रपति शिवाजी महाराज, श्रीरामकृष्ण परमहंस-स्वामी विवेकानंद जैसे अनेक गुरु-शिष्यों ने अग्रणी भूमिका निभाकर धर्मसंस्थापना का कार्य किया । आज भी हिन्दू धर्म पर लव जिहाद, मंदिर सरकारीकरण, गोहत्या, साधु-संत एवं हिन्दुत्वनिष्ठों की हत्याएं, हिन्दुओं का वंशविच्छेद और धर्मांतरण आदि अनेक आघातों के कारण हिन्दू धर्म संकट में है । ऐसे समय में अब गुरु-शिष्य परंपरा को पुनः एक बार धर्मसंस्थापना का कार्य करने का समय आ गया है । हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक संत पू. नीलेश सिंगबाळजी ने यह मार्गदर्शन किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से हाल ही में ऑनलाइन हिन्दूसंगठक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, उसमें मार्गदर्शन करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे । उत्तर प्रदेश, बिहार एवं ओडिशा राज्य के अनेक धर्मप्रेमियों ने इस कार्यक्रम का लाभ उठाया ।

इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्य समन्वयक श्री. विश्‍वनाथ कुलकर्णी ने सभी धर्मप्रेमियों को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अलौकिक कार्य का परिचय कराया । समिति के श्री. प्रकाश मालोंडकर ने समिति के कार्य का परिचय कराया, तो समिति के श्री. राजन केसरी ने आनेवाली गुरुपूर्णिमातक हम व्यष्टि एवं समष्टि स्तर पर कौन से प्रयास कर सकते हैं, इसकी जानकारी दी । श्री. राकेश श्रीवास्तव ने कार्यक्रम का सूत्रसंचालन किया । इस समय उपस्थित धर्मप्रेमियों ने धर्मशिक्षावर्ग से उन्हें मिले लाभ एवं प्राप्त अनुभूतियों के संदर्भ में बताया ।

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