वैशाख कृष्ण ९, कलियुग वर्ष ५११५
नैतिक अधःपतन हुए रा.स्व. संघसे उत्पन्न भाजपाद्वारा क्या कभी हिंदू, हिंदू संस्कृति एवं हिंदूधर्मके लिए कार्य करनेकी संभावना है ?
जबलपुर – `लिव इन’ रिलेशनशिपको मध्यप्रदेश राज्यमें वैधानिक स्वीकृति मिलनेकी संभावना है । राज्यसरकारकी ओरसे महिला विषयक नीतिका अंतिम सार स्वीकृतिके लिए भेजा गया है, जिसमें `लिव इन’ दंपतिको कानूनी सुरक्षा देनेकी सिफारिश की गई है ।
१. राज्य महिला आयोगकी अध्यक्षा उपमा रायने कहा कि `लिव इन’ रिलेशनशिपके विषयमें यह सिफारिश प्रमुख रूपसे आदिवासी एवं पिछडे समाजकी दुर्बल महिलाओंको सामने रखकर किया गया है । इन महिलाओंपर अत्याचार एवं शोषण होनेके संदर्भमें अनेक परिवाद प्रविष्ट हैं ।
२. झाबुआ, धार एवं राजोगढ आदि अधिकांश आदिवासी जनपदोंमें नत्रा नामक पद्धति अभी भी आरंभ (जारी ) है । मध्यप्रदेशके `वूमेन रिसोर्स सेंटर इन अकादमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन’ की संचालिका प्रतिभा राजगोपालनने कहा कि इस पद्धतिके अनुसार कोई विवाहित महिला अन्य पुरुषसे संबंध रख सकती है; परंतु इसके लिए उस पुरुषको विवाहिताके पति एवं अभिभावकोंको कुछ राशि देनेकी स्वीकृति देनी होती है । कानूनद्वारा इस संबंधको स्वीकृति नहीं दी गई है । इसलिए उस स्त्रीका तथा अन्य पुरुषसे हुए उसके बच्चोंके वारिस अधिकारका प्रश्न उत्पन्न होता है । यदि `लिव इन’ रिलेशनशिपको स्वीकृति मिली, तो इसे कानूनी सुरक्षा मिलनेकी संभावना है । (समाजके लिए हानिकारक प्रथाओंको दूर करनेके स्थानपर उन्हें स्वीकृति देनेका प्रयास करनेवाली भाजपा जनताद्रोही ही है ! ऐसे शासक कभी हिंदू राष्ट्र स्थापित नहीं कर सकते ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
महिला सक्षमीकरणकी सहायक संचालिका सपना सोमाणीने कहा कि यदि यह अनुबंध स्वीकृत हुआ, तो `लिव इन’ के दंपतियोंको विधवा अथवा घटस्फोटितोंके समान वैधानिक स्तर प्राप्त होगा । इसके लिए `लिव इन’ रिलेशनकी पर्याप्त कालावधि होनी चाहिए । कुछ कालावधिके लिए एकत्रित आए दंपतियोंको यह सुरक्षा नहीं मिलेगी ।”
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात