पौष शुक्ल पक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११६
बांध को लेकर इस तरह का कदम आस्था बनाम विकास की बहस को और हवा दे सकता है। खासतौर पर ऐसे वक्त में जब राष्ट्रीय स्तर पर हिंदुत्व और इससे जुड़े तमाम मसले सुर्खियां बन रहे हैं !
नई देहली : अरुणाचल प्रदेश में पवित्र चट्टान को बचाने के लिए केंद्र सरकार सक्रिय हो गई है। केंद्र यह पक्का करेगा कि लोहित नदी पर बने बांध के कारण भगवान परशुराम को समर्पित यह चट्टान पानी में न डूबे। यह चट्टान अरुणाचल प्रदेश की लोहित नदी के तट के किनारे सर्कुलर शक्ल में है और इसे परशुराम कुंड के नाम से जाना जाता है। यहां हर साल मकर संक्रांति के मौके पर हजारों श्रद्धालु अपना ‘पाप धोने’ यहां आते हैं। हालांकि, इसी पवित्र स्थान के पास राज्य सरकार ने हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। राज्य की बीजेपी यूनिट को आशंका है कि इससे परशुराम कुंड डूब सकता है।
गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू भी इस पर सक्रिय हो गए हैं। रिजीजू अरुणाचल प्रदेश से ही सांसद हैं। उन्होंने इसका जायजा लेने और यह पक्का करने का फैसला किया है कि कुंड नहीं डूबे। साथ ही, इसके लिए संस्कृति मंत्रालय को सहयोग करने के लिए भी कहा है। उन्होंने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘हम यह ऐसा तरीका ढूंढ रहे हैं ताकि परशुराम कुंड को कोई नुकसान नहीं पहुंचे।’
परशुराम कुण्ड
एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि बीजेपी की अरुणाचल इकाई से बांध की लोकेशन को शिफ्ट करने का कोई दबाव नहीं है। अधिकारी ने बताया, ‘हम बांध की साइट को कुछ किलोमीटर दूर करने या इसकी ऊंचाई घटाकर क्षमता कम करने जैसे विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।’ इससे १,७५० मेगावॉट के डैमवे लोअर हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट में और देरी हो सकती है, जिस पर २०११ से काम अटका हुआ है। यूपीए शासनकाल में तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने वन विभाग से जुड़ी एक्सपर्ट कमिटी की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए इसे २०१२ में मंजूरी दी थी।
बांध को लेकर इस तरह का कदम आस्था बनाम विकास की बहस को और हवा दे सकता है। खासतौर पर ऐसे वक्त में जब राष्ट्रीय स्तर पर हिंदुत्व और इससे जुड़े तमाम मसले सुर्खियां बन रहे हैं। हालांकि, ऊपर कोट किए गए सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को इसके मौजूदा फॉर्म में मंजूरी नहीं मिलनी चाहिए थी। अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया, ‘अरुणाचल सरकार और केंद्र को इस मामले में धार्मिक संवेदनशीलता दिखानी चाहिए थी।’ इस मामले में नवंबर में राज्य बीजेपी से ज्ञापन मिलने के बाद ऊर्जा मंत्रालय ने भी प्रोजेक्ट की समीक्षा करने की बात कही थी। बीजेपी यूनिट ने इस बात की भी जांच की मांग की थी कि किस तरह से इस प्रोजेक्ट की इजाजत दी गई।
स्त्रोत : नवभारत टाईम्स