वैशाख कृष्ण ९, कलियुग वर्ष ५११५
सरबजीतके समर्थन एवं केंद्रसरकारकी ढुलमुल नीतिके विरोधमें हिंदू जनजागृति समितिद्वारा ३ मईसे देशभरमें आंदोलन
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मुंबई –
पाकिस्तानके नियंत्रणमें रहनेवाले सरबजीत सिंहका निधन १ मईकी रात्रिमें हुआ । पाकिस्तानके षडयंत्रकारी शासकोंद्वारा कारागृहमें नियोजनपूर्वक उनकी हत्या की गई । कुछ दिनों पूर्व इसी प्रकारसे पाकिस्तानके शासकोंद्वारा पूर्वनियोजित षडयंत्रद्वारा भारतीय सैनिकोंका सिरच्छेद किया गया था । और कितने लोगोंकी बलि चढनेके पश्चात भारतीय केंद्र सरकार जागृत होगी ? कसाब एवं अफजलको फांसी देनेके पश्चात मानवाधिकारका उल्लंघन होनेका दिखावा करनेवाले अब कहां गए ? कहीं इन मानवाधिकारवालोंको ऐसा तो नहीं प्रतीत होता कि हिंदुओंको मानवधिकार है ही नहीं ? हिंदू जनजागृति समितिके महाराष्ट्र राज्य समन्वयक श्री. सुनील घनवटने एक प्रसिद्धिपत्रकद्वारा मत व्यक्त किया है कि भारतके प्रधानमंत्री एवं केंद्रसरकारद्वारा आजतक सरबजीतकी मुक्तका प्रश्न प्रलंबित रखा गया तथा इस विषयमें कोई निश्चित नीति नहीं अपनाई गई । इसीलिए सरबजीतकी मृत्यु हुई है । इस मृत्युके लिए पाकिस्तानके साथ भारतीय केंद्र सरकार भी उतनी ही उत्तरदायी है । श्री. घनवटने चेतावनी दी है कि सरबजीतके समर्थन एवं केंद्रसरकारकी ढुलमुल नीतिके विरोधमें हिंदू जनजागृति समितिद्वारा ३ मईसे संपूर्ण देशमें भयंकर आंदोलन छेडा जाएगा ।१. सरबजीतसमान सैकडों निर्दोष भारतीय नागरिक पाकिस्तानके कारागृहमें सड रहे हैं । उन्हें मुक्त करने हेतु भारतीय राजनेताओंद्वारा कोई प्रयास नहीं किए गए ।
२. आजतक सैकडो हिंदू पाकिस्तानके मुसलमानोंद्वारा होनेवाले अत्याचारोंसे पीडित होकर भारत आए हैं । भारतीय शासक इन हिंदूओंको, `वे भारतके नागरिक नहीं हैं’ ऐसा कहकर सहायता नहीं करते । परंतु बांग्लादेशी घुसपैठियोंको तत्काल सीधापत्रिका तथा सभी प्रकारकी सुविधाओंकी पूर्ति की जाती है ।
३. चीनद्वारा भारतीय भूमि हथियाई गई, तो प्रधानमंत्री स्थानीय समस्या कहकर इस समस्याकी ओर अनदेखी कर रहे हैं । ये सभी घटनाएं देशको परतंत्रताकी ओर ले जानेवाली हैं । इसलिए प्रधानमंत्रीको अब त्यागपत्र देना ही चाहिए !
४. छोटासा देश होते हुए भी इस्रायलके शासक एक ज्यू नागरिककी हत्याके लिए उत्तरदायी व्यक्तिको उसके देशमें जाकर मारनेका आदेश देते हैं तथा एक सैनिककी हत्याको कारणभूत शत्रुराष्ट्रका सैनिकी तल उद्ध्वस्त करते हैं ।
५. ऐसी स्थितिमें भारतके सभी दृष्टिसे युद्ध हेतु सिद्ध होते हुए भी भारतीय राजनेता सदैव राष्ट्रहितके विरोधमें भूमिका अपना कर पूरे विश्वमें इस देशकी अपकीर्ति करते रहे हैं ।
६. शासकोंकी अकार्यक्षमताके कारण इस देशकी सुरक्षाव्यवस्था खोखली हो गई है । केंद्रसरकारकी सभी नीतियोंके विरोधमें आज राष्ट्रव्यापी आंदोलन करनेकीr आवश्यकता है । इसलिए समितिके इस आंदोलनके माध्यमसे केंद्रसरकारको उसकी चूकोंका भान करा दिया जाएगा ।
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