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बार काउंसिल ने धर्म परिवर्तन, निकाह के लिए चैंबर उपयोग करने पर वकील इकबाल का लाइसेंस किया निलंबित

बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने धर्म परिवर्तन और निकाह (इस्लामी विवाह) करने के लिए अपने चैंबर का उपयोग करने के लिए वकील इकबाल मलिक के लाइसेंस को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। दिल्ली बार काउंसिल के सचिव पीयूष गुप्ता ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि शिकायत मिलने पर यह कार्रवाई की गई।

बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने पाया कि इस तरह का आचरण ‘कानूनी पेशे की गरिमा को नुकसान पहुँचाता है’। काउंसिल द्वारा पारित एक प्रस्ताव में कहा गया है, “न ही कथित अवैध गतिविधियों की अनुमति नहीं है और न ही यह एक वकील की व्यावसायिक गतिविधियों का हिस्सा है। निकाह कराने और धर्मांतरण और निकाहनामा / विवाह प्रमाण पत्र जारी करने में आपका आचरण पूरी तरह से शर्मनाक है और यह कानूनी पेशे की गरिमा के विपरीत है।”

इसमें आगे कहा गया है, “शिकायत और दस्तावेजों के कथन के अनुसार, प्रथम दृष्टया एक वकील या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा चैंबर/कोर्ट परिसर में निकाह कराने जैसी गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जा सकती है और इस तरह गतिविधि पर बार काउंसिल द्वारा तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।”

प्रस्ताव में आगे कहा गया, “माननीय अध्यक्ष रमेश गुप्ता ने इस मुद्दे की गंभीरता पर विचार करते हुए और कानूनी बिरादरी की गरिमा और सम्मान को बनाए रखने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया नियम के रूल 43 और एडवोकेट्स एक्ट, 1961 की धारा 6 (1) (डी) के तहत प्रदत्त विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए इस मुद्दे को विशेष अनुशासनात्मक समिति के पास भेजा और एक अंतरिम उपाय के रूप में, अनुशासन समिति द्वारा आपके प्रैक्टिस के लाइसेंस को निलंबित करना आवश्यक और उचित माना है।”

यह फैसला तब आया जब एक पिता ने शिकायत की कि उनकी बेटी को जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया गया था और उसके बाद कड़कड़डूमा कोर्ट में वकील के चैंबर में निकाह कर दिया गया था। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, पिता का यह भी तर्क है कि दस्तावेजों में अदालत के चैंबर को मस्जिद के रूप में दिखाया गया था।

संदर्भ : OpIndia

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