नगर (महाराष्ट्र) : असामान्य पराक्रम से निरंतर प्रेरणा देनेवाले वर्ष १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम में चमकी हुईं झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान दिवस मनाकर हमारे गौरवशाली इतिहास का हमें स्मरण हो रहा है । अपनी आयु के केवल २३वें वर्ष में ही रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से संघर्ष करते हुए अपनी अंतिम सांसतक लडते हुए वीरमरण का स्वीकार किया । ऐसी शूरवीर झांसी की रानी के इतिहास का स्मरण कर माता-बहनें स्वयं में निहित शौर्य का जागरण करें, साथ ही महिलाआें पर हो रहे अत्याचारों की रोकने हेतु प्रत्येक स्त्री को स्वरक्षा प्रशिक्षण लेना आवश्यक है । हिन्दू जनजागृति समिति की कु. प्रतीक्षा कोरगांवकर ने ऐसा प्रतिपादित किया । यहां की महिलाआें के लिए हाल ही में आयोजित एक ऑनलाइन व्याख्यान में वे ऐसा बोल रही थीं । इस अवसर पर सनातन संस्था की श्रीमती मनीषा कावरे ने भी उपस्थित महिलाआें का मार्गदर्शन किया । इस व्याख्यान का अनेक महिलाआें ने लाभ उठाया ।
धर्माचरण कर ईश्वर की कृपा संपादन करेंगे ! – श्रीमती मनीषा कावरे, सनातन संस्था
हम ईश्वर का अधिष्ठान रखकर कार्य करते रहेंगे, तो हम पर निश्चितरूप से ईश्वर की कृपा हुए बिना नहीं रहेगी । हिन्दू संस्कृति के अनुसार आचरण करना प्रत्येक हिन्दू का कर्तव्य है । आज समाज पर बडी मात्रा में पाश्चात्त्यों का प्रभाव देखने को मिलता है । आज हिन्दुआें द्वारा ही अपने ही धर्म का उपहास होता हुआ दिखाई देता है । ऋषिमुनियों द्वारा बताया गया इतिहास, रुढीयों, परंपराआें और संस्कृति का हमें पालन और जतन करना चाहिए । हमें जीवन में यदि आनंदित रहना हो, तो प्रत्येक व्यक्ति को धर्मपालन करना चाहिए । हमारी वेशभूषा, आहार एवं आचार आदि सभी का पालन कर हम भगवान की कृपा के लिए पात्र बनेंगे ।