सिंहस्थपर्वकी पूर्वसिद्धतामेंं लापरवाहीके विषयमें महन्त ज्ञानदास महाराजकी चेतावनी
नाशिक (महाराष्ट्र) – जुलाई २०१५ में नाशिक एवां त्र्यंबकमें सिंहस्थपर्वको आरम्भ होगा । इससे अढाई से तीन माह पूर्व से ही पूरे विश्वसे साधू एवं महन्तोंका नाशिक एवं त्र्यंबकमें आगमन होना आरम्भ होता है । यह सब देखते हुए अबतक नाशिकमें साधुग्रामके लिए भूमि सम्पादित नहीं की गई है । राज्यशासन एवं प्रशासन सिंहस्थके विषयमें गंभीर नहीं है । यदि साधुग्रामके लिए भूमि ही नहीं होगी, तो सिंहस्थपर्व कैसे होगा ? यह चित्र ऐसा ही रहा, तो सभी साधू एवं महन्त एकत्रित आकर विचार-विमर्श करेंगे एवं वैसा समय आनेपर सिंहस्थपर्व न होते ही सभी चले जाएंगे, अखिल भारतीय अखाडा परिषदके अध्यक्ष महन्त श्री ज्ञानदास महाराजने ऐसी चेतावनी दी है । ३ जनवरीको सायं समय कुंभनगरी नाशिकमें उनका आगमन हुआ । तदुपरान्त वे बोल रहे थे । उन्होंने आगे कहा,
१. ‘‘साधूग्राम ही सिद्ध नहीं है, तो उस स्थानको संलग्न करनेवाले मार्ग क्यों बना रहे हो ? क्या दलाली (कमिशन) मिलनेके लिए शाहीमार्गका कार्य किया जा रहा है ? सद्यस्थितिमें शाहीमार्गकी अपेक्षा साधूग्रामका प्रश्न महत्त्वपूर्ण है ।
२. प्रशासनद्वारा सिंहस्थका उल्लेख त्र्यंबक-नाशिक हो अथवा नाशिक-त्र्यंबक इस विषयमें विवाद उत्पन् न हो गया है; किन्तु यह विवाद निरर्थक है ।’’
हिन्दू जनजागृति समितिने महन्त ज्ञानदास महाराजके आशीर्वाद लिए ।
![swami](https://www.hindujagruti.org/hindi/wp-content/uploads/sites/2/2015/01/swami.jpg)
हिन्दू जनजागृति समितिके महाराष्ट्र राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट, अधिवक्ता श्री. पी.आर.गीतेने महन्त ज्ञानदास महाराजसे भेंट कर उनके आशीर्वाद लिए । उन्हें समितिद्वारा चलाए जानेवाले विविध उपक्रमोकी जानकारी दी तथा कुम्भपर्व २०१२ में सनातन संस्थाके कार्यकी दृक्श्राव्यचक्रिका दर्शाई । उनको सनातन संस्थाके देवद (पनवेल) एवं रामनाथीके (गोवा) आश्रमोंमें आनेका आमन्त्रण दिया गया । उन्होंने समितिके कार्यको आशीर्वाद देकर ‘साधूग्राममें समितिके प्रदर्शन कक्षको भूमि उपलब्ध कर देंगे, ऐसा कहा ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात