आषाढ शुद्ध पूर्णिमा अर्थात गुरुपूर्णिमा : २३ जुलाई २०२१
‘ २३ जुलाई को गुरुपूर्णिमा है । गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का यह दिन शिष्य के लिए अविस्मरणीय होता है । इस दिन गुरु के कृपाशीर्वाद एवं उनके द्वारा प्रक्षेपित होनेवाला शब्दातीत ज्ञान सामान्य की तुलना में सहस्रों गुना अधिक कार्यरत होता है । अतः गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में गुरुसेवा एवं धन का त्याग करनेवाले व्यक्ति को गुरुतत्त्व का सहस्र गुना अधिक लाभ मिलता है ।
१. शिष्य के जीवन में गुरु का महत्त्व !
निर्गुण परमेश्वर का पृथ्वीतल पर कार्यरत सगुण रूप होते हैं गुरु ! गुरु शिष्य को ज्ञान देकर उसकी पारमार्थिक उन्नति होने हेतु निरंतर परिश्रम उठाते रहते हैं । इसलिए शिष्य के लिए गुरु के बिना अन्य कोई उपाय नहीं होता । शिष्य के लिए गुरु को अपना सबकुछ अर्पण कर उनकी सेवा करना ही सच्ची गुरुदक्षिणा होती है । अतः शिष्य पर गुरुकृपा का अखंड प्रवाह बना रहता है ।
२. गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में गुरुकार्य हेतु अर्थात धर्मकार्य हेतु धन अर्पण कीजिए !
इस गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में तन, मन एवं धन का अधिकाधिक त्याग कर गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का स्वर्णिम अवसर सभी को प्राप्त हुआ है । इसलिए जिज्ञासु, साथ ही शुभचिंतक धर्मप्रसार का कार्य करना और उसके लिए धन अर्पण करने के माध्यम से गुरुपूर्णिमा का आध्यात्मिक स्तर पर लाभ उठाएं ।
आज का समय धर्मग्लानि का समय होने के कारण ‘धर्मप्रसार का कार्य करना’ सर्वश्रेष्ठ अर्पण है । इसलिए धर्मप्रसार का कार्य करनेवाले संतों, संस्थाओं एवं संगठनों के कार्य के लिए धन का दान देना काल के अनुसार आवश्यक है । सनातन संस्था विगत अनेक वर्षों से अत्यंत निस्वार्थभाव से यह कार्य कर रही है । अतः अर्पणकर्ताओं द्वारा हिन्दू जनजागृति समिति को दिए जानेवाले अर्पण का विनियोग निश्चितरूप से धर्मकार्य हेतु ही होनेवाला है ।
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