वैशाख कृष्ण १३, कलियुग वर्ष ५११५
विदेशी लेखक स्टीफन नेप द्वारा लिखी पुस्तकमें हिंदू मंदिरोंके संदर्भमें प्रसिद्ध की गई आश्चर्यजनक तथा उद्वेग उत्पन्न करनेवाली सद्यःस्थिति !
१. सामान्य जनता सत्य स्थितिके संदर्भमें अनभिज्ञ
२. भारतके सहस्रों मंदिरोंके धनकी राज्यप्रशासन द्वारा की जानेवाली लूट तथा अहिदुओं हेतु किया जानेवाला उसका दुरुपयोग !
भारतमें सहस्रों मंदिर बनवाए गए; किंतु अधिनियमोंकी आडमें मंदिरोंकी बहुमूल्य संपत्ति, तथा धनका दुरुपयोग अहिंदू पंथों हेतु हो रहा है ।
अ. आंध्र शासनद्वारा प्रसिद्ध तिरूपति तिरुमला मंदिरके ३ सहस्र १०० कोटि रुपयोंकी वार्षिक संपत्तिका ८५ प्रतिशत धन राज्यकोषमें स्थानांतरित किया गया । वह हिंदू मंदिरोंके अतिरिक्त मस्जिद तथा चर्च हेतु काममें लाया जाता है ।
आ. आंध्रप्रदेश शासनने गोल्फ क्रीडांगण निर्माण करने हेतु १० मंदिर उद्ध्वस्त किए हैं ।
इ. कर्नाटक शासनने दो लाख मंदिरोंसे ७६ कोटि रुपए इकट्ठा किए । मंदिरोंपर केवल ७ कोटि व्यय हुए । बचे हुए शेष पैसोंसे ५६ कोटि रुपए मदरसा तथा हजयात्रा हेतु तथा १३ कोटि रुपए चर्चको अनुदान स्वरूप दिए गए । दूसरी ओर यही शासन आर्थिक मंदीके कारण ५ सहस्र मंदिर बंद करनेकी सिद्धतामें है ।
ई. केरल शासनने एक ओर गुरुवायूर मंदिरकी दानराशि अन्य स्थानोंपर व्यय की तथा दूसरी ओर ४५ मंदिरोंकी दुरवस्थामें सुधार हेतु नकार दिया ।
उ.अय्यप्पा तथा शबरीमाला देवस्थानकी बहुमूल्य भूमिपर शासकीय सुरक्षामें चर्चको अतिक्रमण करनेकी अनुमति दी गई।
ऊ.ओडिशा शासन प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिरकी ७ सहस्र एकड भूमि बेचनेकी सिद्धतामें है ।
ए.अकेले आंध्रप्रदेशमें ४३ सहस्र मंदिर प्रशासकीय नियंत्रणमें हैं । उनकी कुल आयके केवल १८ प्रतिशत धन मंदिरोंपर खर्च किया जाता है ! (मासिक गीता स्वाध्याय, सितंबर २०१२)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात