शंकराचार्य बोले, फिल्म प्रदर्शन पर रोक लगाकर रिवाइनल कमेटी को भेजी जाए
जबलपुर – केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने ‘पीके’ को पास कर दिया। इस फिल्म में कई ऐसे सीन हैं, जिनसे हिन्दू धर्म का अपमान हो रहा है। कुछ गरमागरम सीन भी हैं, लेकिन सेंसर बोर्ड मेंबरों ने इस फिल्म को ‘ए के बजाय ‘यूए ग्रेड का सर्टिफिकेट दिया है। प्रोड्यूसर ने फिल्म पास कराने बोर्ड मेंबरों से सौदा किया है। इस पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। सोमवार को यह बात शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने परमहंसी आश्रम, झोतेश्वर में पत्रकारों से चर्चा में कही।
शंकराचार्य ने पत्रकारों से कहा कि सेंसर बोर्ड मेंबरों ने जानकर भी पीके के आपत्तिजनक दृश्यों में काट-छांट नहीं की। वहीं बोर्ड मेंबर सतीश कल्याणकर ने यह फिल्म पास होने से पहले हिन्दुओं की भावनाओं पर प्रहार करने वाले दृश्य हटाने को कहा था। सेंसर बोर्ड के सीईओ राकेश कुमार ने वह दृश्य नहीं हटाए और सतीश कल्याणकर का नाम बोर्ड मेंबर सूची से हटा दिया। इसलिए पीके पर तुरंत रोक लगाकर इसे रिवाइनल (पुर्नरीक्षण) कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए। उक्त 7 सदस्यीय कमेटी ही इस फिल्म में जरूरी काट-छांट करके ‘ए या ‘यूए ग्रेड का सर्टिफिकेट देगी।
टैक्स फ्री करना गलत
शंकराचार्य ने कहा कि कुछ प्रदेशों ने ‘पीके को टैक्स फ्री कर दिया है। इसी तरह मप्र सरकार भी इसको टैक्स फ्री कर सकती है। लेकिन इस फिल्म को टैक्स फ्री करने से प्रदेश सरकार पर कर्ज का बोझ ही बढ़ेगा। वजह इस फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे बच्चों को कोई सीख मिले।
गाय हमारी माता
इस फिल्म में एक दृश्य में हिन्दुओं की माता ‘गाय को जानवर बताते हुए कहा गया है कि जानवर को रोटी खिलाते हो, गरीब को खिलाना चाहिए। जबकि गाय मीठा दूध देती है। उसके गोबर से खाद व मूत्र से जीवनरक्षक दवाएं बनती हैं। उसके बेटे खेती करने के काम आते हैं, बेटियां फिर ‘मां बनतीं हैं। वहीं गाय मरने के बाद चमड़ा देती है।
भगवान का अपमान
शंकराचार्य ने कहा कि पीके में हिन्दुओं के आराध्य भगवान शंकर के लिए ऑटो और टायलेट में दिखाकर उनका अपमान किया गया। जबकि भगवान शंकर त्याग की प्रतिमूर्ति हैं, जिनसे हमें बहुत कुछ सीखने मिलता है। इस फिल्म में थूंकने से पत्थर का रंग बदलने पर उसकी भगवान की तरह पूजा करते दिखाया है। जबकि हिन्दुधर्म में किसी मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करने के बाद ही उसकी पूजा-अर्चना की जाती है।
ऐसे रिलीज हुई फिल्म
केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के मेम्बर सतीश कल्याणकर ने पत्रकारों को बताया कि चार सदस्यीय बोर्ड मेंबरों को पीके फिल्म देखकर उसमें जरूरी काट-छांट करके उसे रिलीज करना था। बोर्ड मेंबर कमेटी में श्वेता आर जाधव, गुलशन बेगम, संजय के तिल्लानी और मैं शामिल रहा। यह फिल्म देखने के बाद मैंने कुछ दृश्यों पर आपत्ति दर्ज कराकर उन्हें हटाने की रिपोर्ट बोर्ड अधिकारी विजया चार्वक को दी। मेरी आपत्ति को बोर्ड में शामिल अन्य सदस्यों ने पूरी तरह नकार दिया।
इसके बाद फिल्म प्रोड्यूसर आमिर खान का एक कर्मचारी बोर्ड अधिकारी विजया चार्वक से मिला और जिन्होंने दूसरे दिन इस फिल्म को काट-छांट किए बगैर ‘यूए ग्रेड का सर्टिफिकेट देकर रिलीज कर दिया। जबकि यह फिल्म रिलीज करने का अधिकार आरओ राकेश कुमार के पास रहा। इस घटनाक्रम को लेकर सूचना प्रसारण मंत्रालय और केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से शिकायत की है। इस दौरान बोर्ड मेंबर प्रेमरतन शर्मा, पूर्व महापौर कल्याणी पांडे सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
स्त्रोत : नर्इ दुनिया