वैशाख कृष्ण अमावास्या , कलियुग वर्ष ५११५
वारकरियोंके संगठित बलके समक्ष मंदिर समितिका साष्टांग प्रणाम !
हिंदुओ, इस सफलताके लिए विट्ठलके चरणोंमें कृतज्ञता व्यक्त करें !
पंढरपुर : यहांके श्री विट्ठलकी मूर्तिकी घिसाई होनेका कारण बताकर वर्ष २०१० से महापूजा एवं अभिषेक बंद किया गया है । तदुपरांत हाल ही में श्री विट्ठल रुक्मिणी मंदिर समितिद्वारा उत्सवमूर्ति बनानेका षडयंत्र रचा गया था । ह.भ.प.माधव महाराज शिवणीकर, राष्ट्रीय वारकरी सेनाके भीष्माचार्य ह.भ.प.निवृत्ति महाराज वक्ते एवं अन्य वारकरियोंने इसका तीव्र विरोध किया । अतः मंदिर समितिको पीछे हटकर यह निर्णय स्थगित करना पडा । (वारकरियोंको राजनेताओंको फटकार कर कहना चाहिए कि विट्ठलकी मूर्ति शासनकृत मंदिर समितिकी संपत्ति अथवा पैसा कमानेकी वस्तु नहीं, अपितु भक्तोंकी श्रद्धाका एक माध्यम है । वारकरी शासनकृत मंदिर समितिकी संपत्ति अथवा पैसा कमानेकी वस्तु नहीं, अपितु भक्तोंकी श्रद्धाका एक माध्यम है । वारकरियोंको मूल मूर्तिका पूजन-अर्चन करनेकी अनुमति प्राप्त करनेका प्रयास करना चाहिए ऐसी अपेक्षा है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) पुरातत्त्व विभागद्वारा कहा गया है कि विट्ठलकी मूर्तिकी घिसाई हो रही है । इसलिए मूर्तिपर अभिषेक एवं पूजा नहीं कर सकते । अतः उत्सवमूर्ति बिठानेके विषयमें मंदिर समितिके अध्यक्ष अण्णा डांगेद्वारा परस्पर यह निर्णय लिया गया था । मंदिर समितिद्वारा वर्ष २०१० में इसके लिए पंचधातुकी मूर्ति सिद्ध करा ली गई थी; परंतु वह मूल मूर्तिके समान नहीं दिखाई देती थी । इसलिए उसका विरोध किया गया था । तदुपरांत २६ अप्रैल २०१३ को डांगेने पाषाणकी दूसरी मूर्ति बिठाए जानेका निर्णय घोषित किया; परंतु अभी भी डांगेका विरोध होनेके कारण इसमें मुंहकी खानी पडी अर्थात असफलता मिली ।
नास्तिकके सिरपर प्रहार करेंगे ! – ह.भ.प. वक्ते महाराज
ह.भ.प. निवृत्ती महाराज वक्ते
वारकरियोंका ध्यान न रखते हुए मंदिर समितिद्वारा उत्सवमूर्ति बनानेका निर्णय लेकर हम वारकरियोंको फंसानेका ही निर्णय लिया गया था । इस निर्णयके विरोधमें दिंडी फडकरीके अध्यक्ष ह.भ.प.माधव महाराज शिवणीकर एवं समस्त वारकरियोंने स्पष्ट भूमिका अपनाकर विरोध दर्शाया, जिससे श्री.अण्णा डांगेको नरमीकी भूमिका अपनानी पडी । संत तुकाराम महाराजकी `नास्तिकके सिरपर प्रहार करेंगे’ इस शिक्षाके समान ही अब वारकरियोंपर हुआ अन्याय दूर करनेका प्रयास करना है । देशको स्वतंत्र हुए ६५ वर्ष होनेके उपरांत भी शासक पंढरपुरकी दुस्थितिको अनदेखा कर रहे हैं । इसलिए श्री विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर समितिके अध्यक्षपदपर वारकरियोंकी नियुक्ति होनेतक हमें आगे बढना है । पक्षमें निष्ठा रखनेवाले अध्यक्षके स्थानपर विट्ठलपर निष्ठा रखनेवाले वारकरियोंकी नियुक्ति की गई, तो भविष्यमें ऐसी समस्याएं नहीं आएंगी, इसीलिए `नाक दबानेपर मुंह खुलता है’, इस कहावतके अनुसार वारकरियोंको चाहिए कि किसीकी चिंता न करते हुए इस अन्यायका विरोध करने हेतु सिद्ध रहें । जय हरि ।
– ह.भ.प.निवृत्ति महाराज वक्ते,अध्यक्ष राष्ट्रीय वारकरी सेना,पंढरपुर, महाराष्ट्र
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात