माघ कृष्ण पक्ष तृतीया, कलियुग वर्ष ५११६
हरीयाणा के शिक्षामंत्री का स्तुत्य प्रयत्न !
हरियाणा के शिक्षामंत्री प्रोफेसर रामबिलास शर्मा ने कहा कि प्रदेश के स्कूल व कॉलेजों में श्रीमद भागवत गीता के अध्यायों को कक्षा तीन से कक्षा बारह तक पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाएगा। साथ ही कॉलेजों में इसे विषय के तौर पर शामिल किया जा सकता है।
शर्मा रविवार को सूरजकुंड स्थित राजहंस होटल में भाजपा विधायकों के प्रशिक्षण के बाद हिन्दुस्तान से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हरियाणा कुरूक्षेत्र गीता की जन्मास्थली है। हरियाणा देश का सांस्कृतिक प्रदेश है। गीता यहां प्राचीनकाल से घर-घर में पढ़ी जाती है। आने वाल पीढ़ी को सांस्कृतिक मूल्यों से अवगत कराने के लिए यह आवश्यक है। गीता भारतीय संस्कृति का दर्शन है और जीवन जीने की कला सिखाती है। गीता दुनियों को आत्मज्ञान देती है। गीता जीवन का महत्वपूर्ण ग्रंथ है, इसलिए इसमें अब देरी नहीं होगी बल्कि इसे अगले सत्र से ही शुरू किया जाएगा। पहले चरण में इसे स्कूल और संस्कृत विद्यालयों में शुरू कर दिया जाएगा। लेकिन मदरसों में अभी लागू नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने विदेशी दौरों में वहां के राष्ट्राध्यक्षों को गीता भेंट की हैं। उन्होंने कहा कि समाज में संस्कार और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी गीता सहायक है। छोटी कक्षाओं के पाठ्यक्रमों में गीता के कुछ श्लाकों की व्याख्या को शामिल किया जाएगा। माध्यामिक कक्षाओं के इसके अध्याय शामिल होंगे। जबकि कॉलेजों में इस विषय के रूप में शामिल करने पर सरकार विचार कर रही है। गीता देश का धार्मिक के साथ-साथ सांस्कृतिक ग्रंथ भी है। अन्य धर्म के लोग भी इसे पढ़ सकते हैं। हालांकि यह अनिवार्य विषय नहीं होगा। प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि गीता ज्ञान से मनुष्य जीवन की कठिनाईयों को दूर कर सकता है। सभी लोगों को पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेशों का अनुसरण करना चाहिए और एक अच्छे समाज का निर्माण करने में अपना सहयोग देना चाहिए।
हरियाणा के स्कूलों में एक नजर
प्राथमिक पाठशाला: करीब 8156
मिडिल स्कूल: करीब -3214
सेंकेंडरी स्कूल: करीब -2416
सीनियर सेंकेडरी: करीब-1451
स्त्रोत : लाईव्ह हिंदुस्तान