वैशाख कृष्ण अमावास्या , कलियुग वर्ष ५११५
मुंबई – कर्नाटकमें कांग्रेसकी जीत नहीं, अपितु भाजपाकी हार हुई है । २०१४ के लोकसभा चुनावमें भाजपा हिंदुत्व नहीं, विकासके सूत्रोंपर चुनाव लडेगी, भाजपाके राष्ट्रीय अध्यक्ष ऐसा कह रहे हैं । कर्नाटककी प्रचारसभाओंमें गुजरातके मुख्यमंत्री श्री.नरेंद्र मोदीजीद्वारा विकासके सूत्र प्रस्तुत किए गए थे । किंतु जनताने भाजपाके विकासके सूत्र स्वीकार नहीं किए; क्योंकि भाजपा द्वारा किए गए विकाससे अधिक उसकेद्वारा किया भ्रष्टाचार ही सूर्यप्रकाश जैसा स्पष्ट दिखता है । केंद्रका कांग्रेसका प्रशासन दिनबदिन भ्रष्टाचारके कीचडमें गहराईतक फंसता जा रहा है । बढती महंगाई , घोटाले, अपराध, असुरक्षा आदि कारणोंसे जनता कांग्रेससे पूरी तरह ऊब (उकता) चुकी है । उसे परिवर्तन चाहिए । भाजपाके लिए यह बहुत अच्छा अवसर था; किंतु भाजपा द्वारा विकासके सूत्रपर राजनीति करनेका निर्णय लिए जानेपर कर्नाटककी जनताने भी, भाजपाका भ्रष्टाचारसे लिप्त विकासवाद नहीं चाहिए, यह संकेत दे दिया है, क्या भाजपा इससे कुछ सीख लेगी ? कर्नाटकमें विकासके सूत्रोंकी दुर्दशाके पश्चात क्या भाजपा अब हिंदुत्वको स्वीकार करेगी ? ऐसा वक्तव्य हिंदू जनजागृति समितिके प्रवक्ता श्री.रमेश शिंदेजीने प्रसिद्धिपत्रकमें दिया है ।
श्री. शिंदेजीने आगे कहा है, भाजपा केवल हिंदुत्वके सूत्रोंके कारण ही शासनमें आई थी, यह बात वे ना भूलें । उधर निधर्मी कहलानेवाले पक्ष आज धर्मांधोंकी खुले आम चापलूसी करते हैं तथा भाजपा हिंदुओंपर होनेवाले अन्यायके विषयमें कुछ भी नहीं बोलती । कर्नाटकमें जब भाजपाका शासन था तब विकासके नामपर हिंदुओंकी भावनाओंका विचार न करते हुए २०० से अधिक मंदिर तोडे गए । राममंदिरके पुनर्निर्माणकी कल्पना करनेवाले भाजपाके नेताओंकी समझमें हिंदुओंका मंदिरसंस्कृतिके साथ जन्मसे जुडा संस्कार न आना, आश्चर्यजनक है । अब केंद्रके चुनाव निकट आ रहे हैं । ‘ हिंदुत्व ही राष्ट्रीयत्व ’, निरंतर ऐसा कहनेवाली; किंतु चुनावके समय हिंदुत्वको छोड (तलाक) देनेवाली भाजपा क्या कर्नाटकमें हुई हारका आत्मचिंतन करेगी ?
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात