केरल राज्य में हिंदू जनजागृति समिति के धर्मप्रसार कार्य का माह नवम्बर २०१४ का ब्यौरा

माघ कृष्ण पक्ष चतुर्थी, कलियुग वर्ष ५११६

हिंदू जनजागृति समितिद्वारा किया गया धर्मप्रसार का कार्य – केरल राज्य

१. वैश्य समाज और अन्य हिंदुत्वनिष्ठों द्वारा आयोजित किए गए कार्यक्रम में ‘लव जिहाद’ के विषय में प्रबोधन

‘वैश्य समाज एवं अन्य हिंदुत्वनिष्ठोंने मिलकर १६.११.२०१४ को हिंदू परिवारोंको ‘लव जिहाद’ के विषय में जागृत करने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया था । २०० से अधिक लोगोंने इस कार्यक्रम का लाभ उठाया । हिंदू जनजागृति समिति की ओर से मैंने (कु. प्रणिता सुखठणकर ने) ‘लव जिहाद’ रोकने हेतु क्या करना चाहिए ?’ और ‘धर्माचरणका महत्व’ इन विषयों पर मार्गदर्शन किया तथा ‘हिंदू हेल्पलाईन’ के श्री. अनीष ने ‘लव जिहाद’ के व्यापक स्वरूप के विषय में मार्गदर्शन किया ।

२. जिज्ञासू और धर्माभिमानियोंका धर्मप्रसार के कार्य में अनुकरणीय सहभाग

२ अ. सात्विक उत्पादन और पंचांग क्रय कर मंदिरमें वितरण कक्ष बनानेवाले श्री. मनीष नायर ! : श्री. मनीष नायर अंग्रेजी सनातन प्रभात के सदस्य हैं । उनके निवास स्थान के निकट स्थित एक मंदिर में शबरीमला जानेवाले भक्त आते हैं । (शबरीमला में अय्यप्पा स्वामी का मंदिर है तथा वह मंदिर भक्तों के लिए नवम्बर से मकर संक्रांति तक खुला होता है ।) श्री. मनीष नायर कोची सेवाकेंद्र आए तथा उन्होंने १ सहस्र रुपयोंके सात्विक उत्पादन और पंचांग क्रय किए एवं मंदिर में स्वयं सात्विक उत्पादनों का कक्ष बनाया ।

२ आ. दुकान में सनातन प्रभात के सदस्य बनाने की सेवा करना : केरल स्थित कोट्टयम् जनपद के धर्माभिमानी श्री. तंगच्चन की स्वयं की पुस्तकों की दुकान है । सेवा एवं व्यष्टि साधना का महत्व ज्ञात होनेपर उन्होंने अपनी दुकान में सनातन प्रभात के सदस्य बनाने की सेवा प्रारंभ की है । नवम्बर माह में उन्होंने २ सदस्य बनाए हैं ।

२ इ. साधना और सेवा तत्परता से प्रारंभ करनेवाले श्री. विवेक ! : श्री. विवेक (अवस्था २६ वर्ष ) धर्माभिमानी हैं । एक माह पूर्व वह ३ अन्य धर्माभिमानियोंके साथ पहली बार रामनाथी आश्रम गए थे । वहां से लौटनेपर प्रति १५ दिनों में वह कोची सेवाकेंद्र में सेवा हेतु एवं रहने के लिए आते हैं । वह व्यष्टि साधना का प्रयास भी करते हैं । उन्हें उनके गांव के एक धर्माभिमानी व्यक्ति से संपर्क हेतु कहा गया था । तब उन्होंने तत्परता से उस व्यक्ति से संपर्क किया तथा उसका ब्यौरा भी दिया । वह अपने मित्रों को भी साधना के विषय में बताने लगे हैं ।

२ ई. पंचांग का भाषांतर मल्यालम भाषा में करने की सिद्धता दर्शाना : पालक्काड जनपद के एक व्यक्ति ने मल्यालम पंचांग के विषय में कहा कि ‘‘आपका पंचांग उत्कृष्ट है । पंचांग का भाषांतर करने हेतु आपको सहायता की आवश्यकता हो, तो मैं अवश्य सहायता करूंगा ।’’

– कु. प्रणिता सुखठणकर और कु. अदिती सुखठणकर, कोची, केरळ.

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