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धर्मांतरण रोकने हेतु संपूर्ण देश में धर्मांतरणबंदी कानून लागू किया जाना चाहिए ! – सुनील घनवट

‘न्यूज १८ लोकमत’ समाचारवाहिनी पर आयोजित परिचर्चा में हिन्दू जनजागृति समिति का सहभाग

महाराष्ट्र बीड जनपद के शिरसाळा तहसील के युवक इरफान खान पठान को मूकबधिर हिन्दुओं का बलपूर्वक धर्मांतरण करने के प्रकरण में हाल ही में गिरफ्तार किया गया । इस घटना से धर्मांधों द्वारा हिन्दुओं का बलपूर्वक धर्मांतरण किए जाने की, साथ ही इसके लिए खाडी देशों से हवाला के माध्यम से पैसों की आपूर्ति किए जाने की बात भी सामने आ रही है । उसके लिए कोडवर्ड का उपयोग किया जा रहा था । हाल ही में उत्तर प्रदेश में १ सहस्र लोगों का बलपूर्वक धर्मांतरण किए जाने की घटना सामने आई थी । इस प्रकरण में अन्वेषण विभाग जांच कर रहे हैं । इस पृष्ठभूमि पर न्यूज १८ लोकमत समाचारवाहिनी पर ‘धर्मांतरण का टूलकिट’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया । इसमें हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने भाग लिया । उनके साथ भाजपा विधायक राम कदम, शमशुद्दीन तांबोळी और मौलाना मुफ्ती असगर खोपटकर ने भी अपने विचार रखे । इस परिचर्चा का सूत्रसंचालन न्यूज १८ लोकमत के विशाल परदेसी ने किया । यहां हम इस कार्यक्रम का वृत्तांत दे रहे हैं –

मुंबई : हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने ऐसा प्रतिपादित किया कि धर्मांतरण के संदर्भ में हाल ही में उजागर हुई घटनाएं देश की सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत गंभीर हैं । ये धर्मांतरण की घटनाएं प्रमुखरूप से उत्तर प्रदेश में हुई हैं । धर्मांतरण करनेवाले धर्मांध उत्तर प्रदेश में अपनी आपराधिक गतिविधियां चलाकर गाजियाबाद भाग जाते हैं । उत्तर प्रदेश में अबतक हुए दंगों का मूल स्थान गाजियाबाद था । धर्मांधों ने गाजियाबाद में ही नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का पहली बार विरोध किया था । धर्मांधों ने गाजियाबाद में ही स्वामी यति नरसिंहानंद सरस्वती पर प्राणघातक आक्रमण किया था । इन सभी घटनाओं को देखते हुए धर्मांधों की ऐसी कार्यवाहियों की जडें उखाडकर फेंक देनी चाहिएं । इसलिए धर्मांतरण की गतिविधियां रोकने हेतु संपूर्ण देश में धर्मांतरण बंदी कानून लागू किया जाना चाहिए ।

भारत एक हिन्दू राष्ट्र है; इसलिए धर्मांतरण की घटनाएं पुनः न हो; इसके लिए मुख्यमंत्री को आश्‍वस्त करना चाहिए ! – राम कदम, विधायक, भाजपा

१. बलपूर्वक धर्मांतरण करना केवल धर्मांधता है । इसके लिए पाकिस्तानसहित विविध देशों से पैसा आता है, साथ ही हिन्दुओं को अपनी इच्छा के विरुद्ध धर्मांतरण करना पडता है, यह बहुत दुर्भाग्यजनक है । हिन्दू धर्म सदैव ही सहिष्णु और उदार रहा है । धर्मांध हिन्दुओं की इस वृत्ति का, साथ ही उनकी असहायता का लाभ उठाते हैं, यह अक्षम्य है । भारत एक हिन्दू राष्ट्र है; इसलिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को राज्य में ऐसी घटनाएं पुनः नहीं होगी, इसके प्रति हिन्दुओं को आश्‍वस्त करना चाहिए ।

२. पालघर में हिन्दुओं का बलपूर्वक धर्मांतरण चल रहा है । उसके संदर्भ में भी महाराष्ट्र सरकार ने कुछ नहीं किया । पालघर में साधुओं के हत्याकांड के प्रकरण में भी राज्य सरकार ने लिपापोती की । इस घटना में ये साधु भगवाधारी होने के कारण ही उनके साथ मारपीट कर उनकी हत्या की गई । मारपीट करनेवालों का भगवा रंग पर इतना क्रोध क्यों है ?

२. महाराष्ट्र में आकर हिन्दुओं के संदर्भ में अपशब्दों का प्रयोग करनेवाले शरजील उस्मानी पर कार्यवाही करना महाराष्ट्र सरकार का कर्तव्य था । उसके वक्तव्यों के कारण हिन्दू समाज की भावनाएं आहत हुईं; परंतु हिन्दू सहिष्णु होने के कारण कानून उनके साथ न्याय करेगा, इस आशा के कारण वे शांत रहे । राज्य सरकार ने इस संदर्भ में कुछ नहीं किया ।

मौलाना मुफ्ती असगर ने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा कि कुरआन में बलपूर्वक धर्मांतरण करना स्वीकार्य नहीं है । धर्मांतरण का यह प्रकरण यदि सत्य है, तो वह अनुचित है ।

मान्यवर विचारकों ने धर्मांतरण करनेवाले धर्मांधों का समर्थन करने का शमशुद्दीन तांबोळी द्वारा किए गए प्रयास को किया उजागर !

इस परिचर्चा में सहभागी शमशुद्दीन तांबोळी ने धर्मांधों की गतिविधियों को छिपाते हुए कहा कि भारत में अनेक अल्पसंख्यकों को आरोपी कहकर गिरफ्तार किया गया; परंतु कुछ समय उपरांत उन्हें निर्दोष प्रमाणित कर छोडा गया । यहां केवल समाचारों पर आधारित चर्चा की जा रही है । इसपर भाजपा विधायक राम कदम ने ‘यह वास्तविकता है । आप पालघर चलिए और वहां हो रहे धर्मांतरण को देखिए ।’ यह चुनौती देकर उनका प्रतिवाद किया । साथ ही कहा कि धर्मांतरण की हो रही घटनाएं और उसके लिए विदेशों से मिलनेवाले धन के संबंध में अन्वेषण विभागों के अधिकारी, पुलिस अधिकारी अरुणकुमार, साथ ही मौलवी उमर गौतम ने पुष्टि की है । श्री. सुनील घनवट ने उत्तर प्रदेश सरकार ने धर्मांतरण की घटनाओं को रोकने हेतु राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने का आदेश दिया है, यह उत्तर देकर शमशुद्दीन तांबोळी के धर्मांधों का समर्थन करने के कृत्य को उजागर किया ।

लव जिहाद का अस्तित्व ही न होने के वक्तव्य का श्री. सुनील घनवट द्वारा किया गया मुंहतोड प्रतिवाद

शमुशुद्दीन तांबोळी ने अपनी सुविधा के अनुसार वक्तव्य देते हुए कहा कि लव जिहाद के संदर्भ में बोला जाता है; परंतु अभीतक किसी भी न्यायालय में इस संदर्भ में कोई भी अभियोग प्रमाणिथ हुआ है । इसका श्री. सुनील घनवट ने स्पष्टता से और निर्विवाद प्रतिवाद करते हुए कहा, ‘‘देश में लव जिहाद के सहस्रों प्रकरण सामने आए हैं । केरल के वामपंथी मुख्यमंत्री ने भी लव जिहाद के अस्तित्व की बात स्वीकार की है । राष्ट्रीयस्तर की निशानेबाज तारा सहगल ने लव जिहाद का अस्तित्व होने की और उसका दंश स्वयं झेलने की बात खुलेआम स्वीकार की है । साथ ही देश के गुजरात, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश इन राज्यों में लव जिहादविरोधी कानून बनाया गया है ।’’

परिचर्चा के आरंभ में लव जिहाद का अस्तित्व स्वीकार न करनेवाले शमशुद्दीन तांबोळी ने यह वक्तव्य दिया कि श्री. सुनील घनवट का तर्कवाद सुनने के उपरांत यदि ऐसे एक-दो प्रकरण होंगे, तो भी मैं ऐसी घटनाओं की निंदा करता हूं; परंतु आप इसके सहस्रों प्रकरणों की बात बोलते हैं और वास्तव में केवल दो ही घटना बताते हैं । (गिर गए, तो भी नाक उपर की कहावत की भांति आचरण करनेवाले शमशुद्दीन तांबोळी ! तांबोळी यदि अपने धर्मांधप्रेम को दूर रखकर समाज में जाएंगे, तभी जाकर उन्हें समाज में लव जिहाद की दाहकता दिखाई देगी ! – संपादक)

परिचर्चा में श्री. सुनील घनवट के तर्कवाद के कारण ही उजागर हुआ शमशुद्दीन तांबोळी का दोगलापन !

इस परिचर्चा में शमशुद्दीन तांबोळी के वक्तव्यों से वे एक प्रकार से धर्मांधों का समर्थन कर रहे हैं, यह स्पष्ट हो रहा था । श्री. सुनील घनवट ने स्पष्टता से कहा, ‘‘जो अनुचित है, वह अनुचित ही है । आपने क्या कभी ऐसी अनुचित घटनाओं की शाब्दिक निंदा भी की है ?’’ तब शमशुद्दीन तांबोळी ने शाब्दिक निषेध व्यक्त किया; परंतु परिचर्चा के अंत में तांबोळी ने ‘जबतक अपराध प्रमाणित नहीं होता, तबतक हम निंदा भी क्यों करें ?’, ऐसा कहते हुए पुनः अपना मत बदल दिया ।

(कहते हैं) धर्मांधता की घटनाओं की ओर धर्म की नहीं, अपितु मानवता की दृष्टि से देखना होगा ! – शमशुद्दीन तांबोळी

धर्मांध गतिविधियां चलानेवाले विशिष्ट धर्म के कुछ मूट्ठीभर भी लोग नहीं है । घरवापसी की घयनाएं भी धर्मांतरण की भांति ही हैं । इसलिए ऐसी घटनाओं की ओर धर्म की दृष्टि से न देखकर मानवता की दृष्टि से देखना चाहिए । (जिहाद के नाम पर किए जानेवाले कृत्य मानवीय आधार पर नहीं, अपितु धर्म को सामने रखकर ही किए जाते हैं । इस पर तांबोळी का क्या कहना है ? – संपादक)

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