वैशाख शुक्ल २ , कलियुग वर्ष ५१
अखिल विश्वका नेतृत्व भगवे झंडेसे करना चाहिए ? ऐसी इच्छा कितने हिंदुओंमें हैं ? – राष्ट्रीय कीर्तनकार ह.भ.प.चारुदत्त आफळेबुवा
सातारा – अखिल भारतीय कीर्तन कुलकी सातारा शाखाद्वारा यहांके श्री कालाराम मंदिरमें आयोजित कीर्तन महोत्सवके ४ थे (चौथे) पुष्पमें राष्ट्रीय कीर्तनकार ह.भ.प.चारुदत्त आफळेबुवाने आवाहन किया था कि भारतकी भावी पीढीको संस्कारक्षम बनानेके लिए सनातन भारतीय नीति मूल्योंकी नितांत आवश्यकता है । अतः साधकोंको धर्मंशिक्षाद्वारा समाजजागृति करनेका व्रत लेना चाहिए । इस अवसरपर राष्ट्रीय कीर्तनकार पू. विवेकशास्त्री गोडबोले, मेजर जेनरल करांडे, आदि प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित थे ।
ह.भ.प.आफळेबुवाने आगे कहा कि
१. पूरे विश्वके धर्मांध तथा ईसाई विश्वमें अपना राज्य आनेके लिए अनुक्रमसे शुक्रवार एवं रविवारके दिन संगठितरूपसे प्रार्थना करते हैं । वर्तमानमें कितने हिंदुओंकी यह इच्छा है कि अखिल विश्वका नेतृत्व भगवे झंडेद्वारा होना चाहिए ?
२. धर्मांध हिंदुओंका बुद्धिभेद कर रहे हैं कि तुकाराम गाथा एवं कुराण एक समान हैं ।
३. स्वयंको ह.भ.प.पारनेरकर महाराजका नाम लेकर एक धर्मांधद्वारा १२८ वारकरियोंका धर्मपरिवर्तन किया गया ।
४. पुणेके कैम्प परिसरमें हिंदू लडकियोंको गलेमें क्रोस परिधान करने हेतु प्रति माह कुछ राशि दी जाती है । परिणामस्वरूप उस परिसरमें ३०० नन सिद्ध हुई हैं ।
५. कौन कहांका जाकीर नाईक अपने धर्मके देवी-देवताओंको गणपतिका नाम रखता है ? इसलिए समाजमें हिंदुओंके भ्रमित होनेसे उसका परिणाम हिंदुओंके धर्माचरणपर हो रहा है । आज न जाने कितने मंडलोंने जाकीर नाईकके कारण सार्वजनिक गणेशोत्सव बंद किए हैं । अतः आज प्रत्येकको स्वधर्मका कीर्तन करना चाहिए । स्वधर्मका कीर्तन अर्थात धर्मशिक्षा !
कार्यक्रमके आरंभमें प्रतिष्ठित व्यक्तियोंके करकमलोंद्वारा दीपप्रज्वलन किया गया । सूत्रसंचलन श्री. विलास देवीने तथा आभारप्रदर्शन श्री. अनिल वाळिंबेने किया । ९०० हिंदुओंने इस कीर्तनका लाभ उठाया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात