छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने सभी थाना प्रभारियों को आदिवासी इलाकों में ईसाई मिशनरियों और धर्मांतरित आदिवासियों की गतिविधियों पर नजर रखने के सख्त निर्देश दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ईसाई मिशनरियों द्वारा नियमित रूप से आदिवासी इलाकों में जाकर लोगों को धर्मांतरण का लालच दिया जा रहा है। इसको लेकर सुकमा के पुलिस अधीक्षक ने जिले के सभी पुलिस थाना अधिकारियों को मिशनरियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए हाई अलर्ट पर रखा है।
सुकमा के एसपी सुनील शर्मा ने सर्कुलर में कहा है, “ईसाई मिशनरी आदिवासी को धर्म परिवर्तन के लिए राजी करने के लिए जिले के कई क्षेत्रों में नियमित रूप से कार्य कर रहे हैं। इसके चलते स्थानीय आदिवासियों और धर्मांतरित ईसाइयों के बीच संघर्ष की स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता है।”
गौरतलब है कि कई आदिवासी इलाकों में मिशनरियों और आदिवासियों के बीच संघर्ष एक बड़ा मुद्दा है। साथ ही दूरदराज के इलाकों में नौकरी, पैसा, भोजन और अन्य तरह का लालच देकर आदिवासियों को ईसाई धर्म के प्रति लुभाने की खबरें अक्सर आती रहती हैं।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, एसपी ने जिला अधिकारियों को खुफिया तंत्र को अलर्ट पर रखने का निर्देश जारी किया है। सर्कुलर में कहा गया है, “जिले में रहने वाले ईसाई मिशनरियों और धर्मांतरित आदिवासियों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखें और अगर उनका कोई भी कार्य संदिग्ध लगे तो तत्काल इसकी रिपोर्ट करें।”
मीडिया से बात करते हुए पुलिस अधिकारी ने कहा कि आसपास के कुछ जिलों से हमें धर्म परिवर्तन के कारण संघर्ष की सूचना मिली थी। इइसे देखते हुए खुफिया तंत्र को अलर्ट कर किया गया है ताकि सुकमा में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो और सामाजिक सद्भाव कायम रहे। शर्मा ने अपने अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को खुफिया तंत्र के माध्यम से धर्म परिवर्तन की गतिविधियों पर नजर रखने और जानकारी जुटाने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि सभी को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है।
हालाँकि, सुकमा एसपी के ताजा आदेश ने ने ईसाई संगठनों को नाराज कर दिया है। छत्तीसगढ़ क्रिश्चियन फोरम के अरुण पन्नालाल ने कहा है, “जिले के अधिकारियों से नागरिकों के संवैधिानिक अधिकारों की रक्षा की उम्मीद की जाती है न कि उसे दरकिनार करने की। बिना किसी जाँच के IPS अधिकारी कैसे निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि ईसाई मिशनरी धर्म परिवर्तन में शामिल हैं? हर भारतीय को किसी भी स्थान पर जाने और अपनी आस्था का पालन करने का अधिकार है।”
पन्नालाल ने पूछा है कि अधिकारी के पास अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए कोई आँकड़े हैं? क्या वे बता सकते हैं पिछले दो दशक में मिशनरियों ने कितने आदिवासियों का धर्मांतरण करवाया है या उन्हें इसके लिए लालच दी है? उन्होंने इसे नफरत फैलाने का एक प्रयास करार दिया। ईसाई संगठनों का यह भी आरोप है कि आदिवासी बहुल बस्तर में उनके समुदाय के लोगों को बार-बार प्रताड़ित किया जाता है।
संदर्भ : OpIndia