अद्यतन
- धारीदेवी मंदिरमें पूजा हेतु गए स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंदके साथ धक्कमधक्का
- उत्तराखंडके धारीदेवी मंदिरमें मूर्तिका स्थानांतरण स्थगित
- हिंदुद्रोही कांग्रेस शासनद्वारा मंदिरमें विद्यमान देवीकी शिला आधी काटकर विस्थापित करनेका प्रयास
वैशाख शुक्ल ७, कलियुग वर्ष ५११५
धारीदेवी मंदिरमें पूजा हेतु गए स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंदके साथ धक्कमधक्का
उत्तराखंडके हिंदुद्रोही कांग्रेस शासनकी तथा बांधका निर्माणकार्य करनेवाले आस्थापनकी उद्दंडता !
मुंबई : उत्तराखंडके श्रीनगरमें अलकनंदा एवं मंदाकिनी नदियोंके संगमपर बिजली उत्पन्न करने हेतु निर्माणकार्य करनेवाले बांधके कारण धारीदेवी द्वीप तथा उसपर स्थापित मंदिर पानीके नीचे जानेवाला है । हिंदू धर्माभिमानियोंके साथ ८१ वर्षके स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद (पूर्वाश्रमीके पर्यावरण तज्ञ जी.डी.अगरवाल) पिछले कुछ वर्षोंसे इसका विरोध कर रहे हैं । १२ मईको स्वामीजी इस मंदिरमें दर्शन हेतु गए थे, उस समय शासनद्वारा पूजाके लिए निषेध व्यक्त किया गया । (हिंदू साधुओंको हिंदुओंके ही मंदिरमें पूजा हेतु विरोध करनेवाली कांग्रेस शासन क्या कभी मुसलमानोंके मौलवियोंको मस्जिदमें नमाज पठन करने तथा चर्चमें पादरियोंको प्रार्थना करने हेतु विरोध कर सकती है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) इस विरोधका हिंदुओंद्वारा प्रतिरोध होनेके कारण दूसरे ही दिन उन्हें पूजा करने हेतु अनुमति दी गई । दूसरे दिन पूजा हेतु गए स्वामीजी तथा हिंदू धर्माभिमानियोंको बांधका निर्माणकार्य करनेवाले जीवीके आस्थापनके ४० दुष्ट व्यक्तियोंद्वारा धक्कामुक्की की गई ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
वैशाख शुक्ल ४ , कलियुग वर्ष ५११५
उत्तराखंडके धारीदेवी मंदिरमें मूर्तिका स्थानांतरण स्थगित
श्रीनगर (उत्तराखंड) : हिंदू धर्माभिमानी श्री.सजल श्रीवास्तवद्वारा यह जानकारी प्राप्त हुई है कि बिजली उत्पादन हेतु यहांकी अलकनंदा नदीपर निर्माण किए जानेवाले बांधके कारण धारीदेवी द्वीप तथा उसपर होनेवाला मंदिर पानीके नीचे जानेवाला है । स्थानीय हिदु इस बांधका विरोध कर रहे हैं । १३ मईको इस मंदिरमें देवीकी प्राचीन मूर्तिका स्थानांतण करनेका षडयंत्र राज्यके कांग्रेस शासनद्वारा तथा बांध निर्माण करनेवाले आस्थापनद्वारा आयोजित किया गया था । उसके विरोधमें हिंदु धर्माभिमानियोंद्वारा केंद्रशासनके पर्यावरण मंत्रालयके पास न्यायके साथ इसे स्थगित करनेकी मांग की गई गई । साथ ही इस बांधके विरोधमें हिंदुओंद्वारा सर्वोच्च न्यायालयमें अभियोग भी प्रविष्ट किया गया है ।
भाजपा तथा संघ परिवारका हिंदूद्रोह !
भाजपा तथा संघके हिंदुद्रोहके कारण ही हिंदू उनसे दूर जा रहे हैं, इस बातका पता उन्हें चले, वही सुदिन होगा !
उत्तराखंडमें कांग्रेस शासनके सत्तासे पूर्व भाजपाकी सत्ता थी; किंतु उन्होंने धारीदेवी द्वीप एवं मंदिरकी रक्षा हेतु, साथ ही बांधका निर्माण कार्य निरस्त हो, इसलिए किसी भी प्रकारका प्रयास नहीं किया । साथ ही इस कालावधिमें हिंदुओंद्वारा आंदोलन किया जा रहा था, उस समय रा.स्व.संघ, विहिंप, बजरंग दलद्वारा हिंदुओंको सहयोग प्राप्त नहीं हुआ । अब कांग्रेसकी सत्ता आनेके पश्चात संघ परिवारका यह संगठन तथा उमाभारती बांधके लिए विरोध कर रहे हैं । इस संदर्भमें हिंदुओंका कहना है कि इसमें उनका ढोंगीपन ही सामने आ रहा है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
वैशाख शुक्ल ३ , कलियुग वर्ष ५११५
स्वयंभू धारी देवी मंदिर उत्तराखंडके टिहरी बांधके पानीके नीचे जानेवाला है !
हिंदुद्रोही कांग्रेस शासनद्वारा मंदिरमें विद्यमान देवीकी शिला आधी काटकर विस्थापित करनेका प्रयास
धर्माभिमानी हिंदुओंका बांधको तीव्र विरोध !
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श्रीनगर (उत्तराखंड) – उत्तराखंडके श्रीनगर(गवाल)में अलकनंदा नदीके बीच छोटे द्वीपपर स्वयंभू धारी देवी माताका प्राचीन मंदिर है । उत्तराखंडमें निर्माण किए गए इस टिहरी बांधके कारण इस मंदिरके पानीमें जानेकी आशंका है । यहांकी धारी देवीकी स्वयंभू शिला आधी भूमिमें तथा आधी भूमिके ऊपर है । अतः शासनद्वारा १३ मईको भूमिके ऊपरका हिस्सा काटकर उसे ऊंचाईपर विस्थापित करनेका प्रयास है । इस बातके लिए यहांके धर्माभिमानी हिंदुओंद्वारा तीव्र विरोध किया जा रहा है । इससे पूर्व मकरसंक्रातिके दिन शिलाका स्थानांतरण किया जानेवाला था, किंतु हिंदुओंद्वारा किए गए विरोधके कारण वह निरस्त हुआ । शिला आधी काटनेके लिए हिंदुओंद्वारा विरोध हो रहा है । साथ ही यह बात भी ध्यानमें आ रही है कि बांधका पानी पूरे परिसरमें फैलनेवाला है, इसलिए विस्थापित स्थानपर भी पानी जाएगा । ऐसा होते हुए भी शासन स्थानांतरणका कारण बताकर हिंदुओंको मूर्ख बना रहा है, हिंदुओंद्वारा ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं । वर्तमानमें इस द्वीपपर मंदिरके चारों ओर विद्युत उत्पत्ति केंद्र हेतु खंभे खडे किए जा रहे हैं ।
शंकराचार्यजीका मौन आश्चर्यजनक – हिंदुओंद्वारा आलोचना
धर्माभिमानी हिंदुओंद्वारा इस प्रकारकी आलोचना की जा रही है कि हिंदुओंके संत, शंकराचार्य, धर्माचार्य, आदिको इस मंदिरके विषयमें जानकारी दी गई है । ऐसा होते हुए भी उन्होंने इस संदर्भमें कोई भी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की । इस संदर्भमें उनका मौन आश्चर्यजनक है । किंतु उन्हें इसका उत्तर देना ही पडेगा । (शंकराचार्य, धर्माचार्य, संत, महंत इस प्रकारका आचरण कर रहे हैं, तो हिंदुओंको क्या उनके प्रति कभी श्रद्धाकी भावना जागृत होगी ? वर्तमानमें हिंदू धर्मकी इस दयनीय स्थितिमें भी निष्क्रिय रहनेवाले उपर्युक्त सभी अपराधी हैं । यदि वे सभी हिंदू धर्मकी रक्षा हेतु संगठित होकर कृत्य करें, तो इस देशमें हिंदू राष्ट्र स्थापित होनेमें विलंब नहीं लगेगा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
गंगाका अस्तित्व नष्ट करनेका षडयंत्र
धारी देवीके मंदिर हेतु लडनेवाले हिंदू धर्माभिमानी श्री.सजल श्रीवास्तवजीद्वारा बताया गया कि अंतरराष्ट्रीय मानकके अनुसार गंगा नदीके समान नदियोंको “एए’’ प्रकारकी श्रेणी दी जाती है । अतः ऐसी नदियोंपर बांध निर्माण करनेकी अनुमति नहीं दी जाती । केवल गंगा नदीको “सीसी’’ मानक दिया गया है । गंगा नदीको “एए’’ श्रेणी नहीं दे सकते, तो विश्वकी किसी भी नदीको इस प्रकारकी श्रेणी नहीं दे सकते । (हिंदुओंके श्रद्धास्थानोंकी रक्षा हेतु लडनेवाले धर्माभिमानी श्री.सजल श्रीवास्तवजीका अभिनंदन! इस प्रकारके कृत्यशील हिंदू सर्वत्र होने चाहिए !-संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात