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धर्मांतरण कोई समस्या नहीं, अपने घर में सम्मान न मिले तो दूसरे के घर जाएंगे ही :

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और ‘हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM)’ के अध्यक्ष जीतन राम मांझी के महादलितों के धर्मांतरण का बचाव किया है। गया में पिछले कई वर्षों से सिलसिलेवार तरीके से ईसाई धर्मांतरण की साजिश का खुलासा हुआ है। कई गांवों में अंधविश्वास के आधार पर धर्मांतरण का जाल फैलाया गया। मांझी ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हिन्दू धर्म के भीतर भेदभाव धर्मांतरण का बड़ा कारण है।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “धर्म को लेकर भेदभाव ही धर्मांतरण का प्रमुख कारण है। जब अपने घर में मान न मिले तो स्वभाविक है लोग दूसरे घरों में जाएंगे ही। धर्म-परिवर्तन से हिंदुस्तान की एकता पर कोई खतरा नहीं है क्योंकि यह धर्मनिरपेक्ष (Secular) देश है। यहाँ आपको इसकी स्वतंत्रता है कि आप अपने मन के अनुसार धर्म पालन कर सकते हैं, इसका प्रचार-प्रसार कर सकते हैं।”

मांझी ने कहा कि ऐसी स्थिति में कौन किस धर्म में जा रहा है, उनकी समझ में ये कोई समस्या का विषय नहीं है। HAM सुप्रीमो ने कहा कि जब अपने घर में मान, इज्जत व मर्यादा न मिले और दूसरी जगह मान इज्जत और मर्यादा मिल रही है तो स्वाभाविक है लोग वहीं जाएँगे। मांझी ने साथ ही कहा कि घर के मालिक को समझना चाहिए कि आखिर ये लोग क्यों जा रहे हैं और क्या आपके यहाँ उनका विकास संभव नहीं है?

साथ ही जीतन राम मांझी ने कहा कि आप छुआछूत की बात करते हो, लेकिन याद रखने की ज़रूरत है कि जब-जब अपना घर लचीला होता है, तब-तब उस धर्म का प्रचार हुआ है। साथ ही उन्होंने कहा कि जब-जब धर्म कड़ा हुआ है, तब उसका प्रचार हुआ है। साथ ही उन्होंने कहा कि एक मुख्यमंत्री जब किसी मंदिर में जाते हैं तो उनके निकलने के बाद उसे धोया जाता है। उन्होंने पूछा कि इसे क्या समझा जाए?

उन्होंने दावा किया कि महादलितों की उपेक्षा से उनकी भावनाओं को ठेस पहुँची, जिसके बाद उन्होंने धर्म-परिवर्तन किया। साथ ही ये दावा भी कर बैठे कि महादलित बिना किसी दबाव के ये सब कर रहे हैं। उन्होंने इसे देश की सुरक्षा के लिए खतरा होने की बात भी नकार दी। उन्होंने कहा कि अगर स्थिति यही रही तो धर्म-परिवर्तन की कई अन्य घटनाएँ भी सामने आएँगी। इस दौरान उन्होंने बाबसाहब भीमराव आंबेडकर की भी प्रशंसा की।

बता दें कि गया के महादलितों को एक साजिश के तहत निशाना बनाया जा रहा है, ऐसा कई मीडिया रिपोर्ट्स से खुलासा हुआ है। सिर्फ पिछले 2 वर्षों में ही जिले के लगभग आधा दर्जन गांवों में धर्मांतरण हुआ है। ध्यान देने वाली बात ये भी है कि जिन लोगों पर धर्मांतरण कराने के आरोप लगे हैं, उनमें अधिकतर पहले हिन्दू हुआ करते थे। गया के नैली पंचायत के बेलवादीह गांव में 50 हिन्दू परिवारों द्वारा ईसाई मजहब अपनाए जाने की खबर आई थी।

इसी तरह 6 वर्ष पहले मानपुर प्रखंड के खंजाहापुर गांव में 500 लोग हिन्दू से बौद्ध बन गए थे। टेकारी के केवड़ा, मुफ्फसिल के दोहारी, अतरी के टेकरा, बोधगया के अतिया और गया सदर के रामसागर टैंक इलाके में धर्म-परिवर्तन की घटनाएँ सामने आई हैं। डोभी से लेकर बाराचट्‌टी तक, कई गांवों में धर्मांतरण की ख़बरें सामने आती रहती हैं। इसके पीछे अंधविश्वास को कारण बताया जा रहा है। सालों से इसके पीछे लगे गिरोह इसकी तैयारी करते हैं।

संदर्भ : OpIndia

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