नासिक (महाराष्ट्र) : सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का आदर्श हम सभी को अपने सामने रखना चाहिए और ईश्वरीय कार्य में सम्मिलित होना चाहिए । उन्होंने प्रत्येक कृत्य और सेवा से हमें यह सिखाया है । उन्होंने हमें अष्टांग साधना भी सिखाई है । उन्होंने विविध विषयों पर ग्रंथसंपदा की निर्मिति कर ज्ञानशक्ति प्रदान की है । वे ज्ञानगुरु, सविश्वगुरु एवं जगद्गुरु हैं । हिन्दू जनजागृति समिति के युवा संगठक श्री. हर्षद खानविलकर ने यह मार्गदर्शन किया । समिति की ओर से गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में स्वरक्षा प्रशिक्षणवर्ग से जुडनेवाले धर्मप्रेमियों के लिए ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा व्याख्यान का आयोजन किया गया थश । उसमें वे ऐसा बोल रहे थे । कार्यक्रम का सूत्रसंचालन समिति की कु. पूजा काळुंगे ने किया । व्याख्यान के आरंभ में शौर्यजागृति अभियान का वीडियो दिखाया गया ।
धर्मप्रेमियों द्वारा व्यक्त मनोगत !
१. साक्षी पवार : परात्पर गुरुदेवजी का कार्य सुनकर ऐसा लगा कि उनके प्रति शब्दों में चाहे कितनी भी कृतज्ञता व्यक्त की, अल्प ही है । (इस समय बोलते हुए साक्षी की आंखों में भावाश्रु आए ।)
२ .सुमित : परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के कार्य से मैं जुड गया, इसके प्रति कृतज्ञता प्रतीत होती है । ऐसा कार्य कहीं भी देखने को नहीं मिलता ।