शत्रु राष्ट्र चीन के कार्यक्रम में उपस्थित रहनेवाले साम्यवादी नेताओं के विरोध में सरकार फौजदारी अभियोग प्रविष्ट करे ! – अधिवक्ता गौरव गोयल, सर्वोच्च न्यायालय
कोई भी विचारधारा देशभक्ति की तुलना में बडी नहीं हो सकती; परंतु शत्रु राष्ट्र चीन से मित्रता रखनेवाले वामपंथी विचारधारा के नेताओं को केवल अपनी विचारधारा महत्त्वपूर्ण लगती है । उनका भारत एवं भारतीय संस्कृति से कोई भी लेना-देना नहीं है । एक ओर हमारे सैनिक सीमा पर चीन के विरोध में लड रहे हैं, तो दूसरी ओर ‘कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चायना’ के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हाल ही चीनी दूतावास में आयोजित कार्यक्रम में देश के प्रमुख साम्यवादी नेताओं ने उपस्थित रहकर चीन, साथ ही चीन की नीतियों की प्रशंसा की । यह देशद्रोह है । यह आंतकवादी कृत्यों से कम संकटदायक नहीं है तथा भारत को विभाजित करने का कार्य है । भारत सरकार इन साम्यवादी नेताओं के विरोध में फौजदारी अभियोग प्रविष्ट करे, ऐसा प्रतिपादन सर्वोच्च न्यायलय के अधिवक्ता गौरव गोयल ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ‘भारत के वामपंथी चीन के गुलाम’ इस ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद में वे बोल रहे थे ।
इस समय अधिवक्ता गोयल ने आगे कहा कि, यही साम्यवादी लोग हिन्दुओं का तीव्र तिरस्कार करते हैं । साम्यवादियों ने विगत शतक में पूर्ण विश्व के करोडों लोगों का नरसंहार किया है । उनका सत्य स्वरूप अब सामने आया है । यह कार्यक्रम समिति के जालस्थल (वेबसाईट) Hindujagruti.org, यू-ट्यूब और ट्विटर द्वारा हजारों लोगों ने देखा ।
युवा ब्रिगेड के लेखक और मार्गदर्शक श्री. चक्रवर्ती सुलिबेले ने कहा कि ‘भारत को पहले से ही अर्थात कांग्रेस के शासनकाल में भी चीन से संकट था । साम्यवादियों का इतिहास भारत विरोधी ही रहा है । यह लोग देश की तुलना में अपने दल के सिद्धांत को बडा मानकर भारत को विभाजित करने का प्रयास कर रहे हैं । शिक्षा सहित विविध क्षेत्रों में उन्होंने जाल फैलाया है, यह लोग कभी भी भारत के पक्ष में नहीं रहेंगे, यह हमें ध्यान रखना चाहिए । इनके विरोध में कार्यवाही होने तक हमें निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए ।’
सनातन संस्था के धर्मप्रचारक श्री. अभय वर्तक ने कहा कि, ‘1962 के भारत-चीन युद्ध के समय चीन का समर्थन करने की साम्यवादियों की जो विचारधारा थी, आज भी वही है और आगे भी वही रहेगी । नक्सलवाद का शाप देनेवाले ये साम्यवादी लोग चीन की ‘स्लीपर सेल’ के समान कार्य करते हैं । सरकार को इस ‘स्लीपर सेल’ को नष्ट करना चाहिए । हिन्दुओं के त्योहार, ग्रंथ से लेकर भारत की सीमा पर होनेवाले विकास कार्यों का ये ‘साम्यवादी’ निरंतर विरोध करते हैं । भारत के टुकडे करने के लिए ही वे कार्यरत है । छत्रपति शिवाजी महाराजजी ने भी हिंदवी स्वराज्य का विरोध करनेवालों को सबक सिखाया । हमें भी महाराज का आदर्श सामने रखकर विविध मार्गों से देश के विरोध में कार्यरत साम्यवादी विचारधारावाले संगठन, दल पर प्रतिबंध लगने तक तथा उन्हें कारावास में भेजने तक यह संघर्ष जारी रखना चाहिए ।’