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बेलगांव (कर्नाटक) – धर्मांध के स्वामित्ववाले होटल ने विज्ञापन के द्वारा किया हिन्दू साधुओं का घृणास्पद अनादर !

हिन्दुओं के तीव्र विरोध के उपरांत होटल के व्यवस्थापकीय निदेशक ने की क्षमायाचना

  • धर्मांधों को उनकी बिर्याणी का प्रसार करने के लिए हिन्दू संतों की आवश्यकता क्यों पडी ? उसके लिए उन्होंने उनके धर्मगुरुओं का उपयोग क्यों नहीं किया ? इससे होटल मालिक की धर्मांधता दिखाई देती है । हिन्दुओं को असहिष्णु बोलनेवालों को इसका उत्तर देना चाहिए !
  • अन्य समय पर अल्पसंख्यकों के विरुद्ध कुछ भी हुआ, तो स्वयं कार्यवाही करनेवाली पुलिस हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत होने पर हाथ पर हाथ धरे बैठती है । हिन्दूओं के संगठित होकर आपत्ति दर्शाने पर ही पुलिस द्वारा कार्यवाही की जाती है, इसे ध्यान में लें ! यही स्थिति अल्पाधिक मात्रा में संपूर्ण भारत में दिखाई देती है । क्या इसे पुलिस की धर्मनिरपेक्षता कहें ?
उक्त चित्र को प्रकाशित करने के पीछे किसी की भी धार्मिक भावनाएं आहत करने का उद्देश्य नहीं है, अपितु जानकारी हेतु यह चित्र प्रकाशित किया गया है । 

बेलगांव (कर्नाटक) : यहां के धर्मांधों के स्वामित्ववाले नियाज होटल द्वारा उनकी बिर्याणी का विज्ञापन करने के लिए हिन्दू साधुओं का घृणास्पद अनादर किए जाने की घटना हाल ही में सामने आई है । इसके विरोध में विश्‍व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने बेलगांव के पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन प्रस्तुत कर इस घटना पर तीव्र आपत्ति दर्शाते हुए इस होटल के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने की मांग की है । इसके कारण कोई भी अप्रिय घटना न हो; इसके लिए पुलिस प्रशासन ने शहर में स्थित इस होटल की विविध शाखाओं में ताले लगा दिए हैं तथा होटल के बाहर पुलिसकर्मियों की नियुक्ति की गई है । (अनुचित कृत्य करनेवालों को सुरक्षा देने की अपेक्षा उन पर कठोर कार्यवाही करना आवश्यक है, इसे ध्यान में लीजिए ! – संपादक)

१. बेलगांव स्थित नियाज होटल ने सामाजिक माध्यमों से उनके द्वारा बनाई जानेवाली बिर्याणी का पोस्टर (विज्ञप्ति) प्रसारित की है । उसमें एक हिन्दू संत को उनके भक्तों को संबोधित करते हुए दिखाया गया है । इस चित्र के उपर ‘नियाज की बिर्याणी खाने के उपरांत गुरुजी की प्रतिक्रिया !’ लिखा गया है तथा उसके नीचे ‘बलिदान नहीं, बिर्याणी दीजिए !’ लिखा गया है ।

२. इसके साथ ही हमारी बिर्याणी अन्यों द्वारा बनाई गई बिर्याणियों से कहती है, ‘अहं ब्रह्मास्मि’ (मैं ब्रह्म हूं) ऐसा लिखकर हिन्दुओं के महान श्‍लोक का भी अनादर किया गया है ।

३. सौदागर ने कहा है कि हमारे विज्ञापन के कारण जिनकी भावनाएं आहत हुई हैं, उनसे हम सार्वजनिक रूप से क्षमायाचना क रते हैं । हमारे यहां काम करनेवाले, मेरा मित्रमंडल एवं ग्राहक विभिन्न जाति-धर्मों के हैं । देश की सभ्यता का आदर किया जाना चाहिए और देश की प्रगति के लिए सभी को एकत्रित काम करना चाहिए । अतः इसके कारण किसी को ठेस पहुंची हो, उनसे हम क्षमा मांगते हैं । इसके आगे ऐसा नहीं होगा, इसकी ओर हम ध्यान देंगे ।’ (एक ओर देश की सभ्यता का आदर किया जाना चाहिए, ऐसा कहना और दूसरी ओर हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत करनेवाला विज्ञापन प्रकाशित करना दोहरी नीति है ! – संपादक)

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