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पुनः एक बार भारतमाता के मस्तक पर हिन्दू राष्ट्र का मुकुट स्थापित करने का निश्‍चय करेंगे – हिन्दू जनजागृति समिति

  • हिन्दू जनजागृति समिति के अंतर्गत स्वरक्षा प्रशिक्षण उपक्रम के माध्यम से १ से १४ अगस्त की अवधि में ऑनलाइन पद्धति से स्वतंत्रतागाथा शौर्यजागृति व्याख्यान शौर्यपूर्ण एवं राष्ट्रभक्तिपूर्ण वातावरण में हुआ संपन्न !

  • १०० से अधिक व्याख्यानों के माध्यम से हिन्दू जागृति का अविष्कार !

मुंबई : भारतमाता की स्वतंत्रता के लिए अनेक क्रांतिपुत्रों ने अपना घर-बार त्याग कर प्राणों का बलिदान देकर इस मातृभुमि हेतु शौर्य का परिचय दिया; परंतु जब हम आज की स्थिति देखते हैं, तो जिन राष्ट्रपुरुषों ने अथवा क्रांतिकारियों ने इस मातृभुमि के लिए शौर्य का परिचय दिया, उनका शौर्यशाली इतिहास इस देश में सिखाया नहीं जाता । विगत ७४ वर्षों में हमें उचित शौर्यशाली इतिहास सिखाने से वंचित रख जाने से आज पुनः भारतमाते के टुकडे किए जा रहे हैं । हिन्दुओं की धमनियो में युगों-युगों से बहनेवाले रक्त में निहित शौर्य का पुनः एक बार जागरण करने का समय अब आ चुका है । भारतमाता को पुनः एक बार उसका वैभव प्राप्त कर दिलाना आवश्यक है । आज की युवा विदेशी आकर्षण की बलि चढ रहा है । इसलिए हम सभी पुनः एक बार हमारे राष्ट्र को भारतमाता का स्वरूप देकर उसके मुकुट पर हिन्दू राष्ट्र का मुकुट स्थापित करने का प्रयास करेंगे । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ऑनलाइन पद्धति से स्वरक्षा प्रशिक्षण उपक्रम के माध्यम से लिए गए स्वातंत्र्यगाधा शौर्यजागृति व्याख्यान में यह आवाहन किया गया । १ से १४ अगस्त की अवधि में स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में क्रांतिपुत्रों का अभिवादन करने हेतु उक्त व्याख्यानों का बडी मात्रा में आयोजन किया गया । भगवान श्रीकृष्ण की कअपा से १०० से अधिक व्याख्यानों के माध्यम से हिन्दू युवकों में राष्ट्रभक्ति का बीज बुआने का प्रयास किया गया । महाराष्ट्र, गोवा एवं कर्नाटक के १ सहस्र ७०० राष्ट्रप्रेमी युवकों ने इन व्याख्यानों का लाभ उठाया ।

क्षणिकाएं

१. व्याख्यान से प्रेरणा लेकर अनेक युवकों ने स्वरक्षा प्रशिक्षण वर्गो एवं राष्ट-धर्म के कार्य में सम्मिलित होने की इच्छा व्यक्त की ।

२. अनेक युवकों ने अभिप्राय व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार की अखण्डित जागृति होनी चाहिए और यह समय की मांग है ।

३. इन सभी व्याख्यानों के नियोजनों में स्वरक्षा प्रशिक्षण उपक्रम के सभी धर्मप्रेमियों ने उत्साह एवं लालसा के साथ सेवा की ।

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