माघ कृष्ण पक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११६
पेरिस में चार्ली हेब्दो हमले में शामिल शेरिफ काउची को पुलिस ने मार गिराया है। काउची जार्ली हेब्दो के पत्रकारों सहित १२ लोगों के नरसंहार में शामिल था जोकि एक समय कट्टर जेहादी रह चुका है। काउची के खिलाफ २००८ में मुकदमा भी चला था जब यह येमन जाकर अल कायदा में शामिल होने जा रहा था।
काउची पूर्व में एक पिज्जा डिलिवरी करने की नौकरी करता था। लेकिन जिस तरह से काउची कट्टर जिहाद के नाम पर खूंखार आतंवादी बन गया उसने इसकी खूनी चेहरे को दुनिया के सामने कर दिया है।
२००८ में चला मुकदमा
शेरिफ काउची को जेहाद के नाम पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के चलते १८ महीनों की जेल की सजा सुनाई गयी थी। शेरिफ पर अल कायदा में शामिल होने के लिए येमन जाने का आरोप था जिसके चलते उसे जेल की हवा भी खानी पड़ी थी। हालांकि उसकी रिहाई के बाद उसपर कड़ी नजर रखी जा रही थी कि रिहाई के बाद वह किसी खूनी वारदात को अंजाम न दे।
ट्रायल के दौरान यह बात सामने आयी कि काउची ने धर्मगुरु से शिक्षा ली जिसने उसे जिहाद के लिए उकसाया है। काउची ने बताया कि शहीद की मौत मरना शान की बात है और इसके बाद मैंने धर्म की लड़ाई शुरु करने का फैसला लिया। उसने सुनवाई के दौरान बताया कि शहीद की मौत मरना हमेशा से ही फक्र की बात है। साथ ही उसे फिदायी हमले में मरने के भी फायदों को बताया गया।
२००७ में ली ट्रेनिंग
काउची जिस दौरान अल कायदा की ओर झुक रहा था उसी समय काउची पेरिस के एक युवा ग्रुप में शामिल हुआ था। इस दौरान काउची ने ट्रेनिंग ली जिसने उसे धर्म के लिए लड़ाई को लड़ने के लिए और मजबूत किया।
काउची के अनुसार जो ट्रेनिंग दी गयी वह शुरुआती चरण की थी। हालांकि हमें हथियार नहीं दिये गये लेकिन हथियारों के स्केच दिखाये गये थे और उनके इस्तेमाल के बारे में भी बताया गया था।
स्त्रोत : वनइंडिया