असम के मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए निर्णय से अन्य राज्य भी बोध लें ! – हिन्दू जनजागृति समिति का आवाहन
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा द्वारा कोरोना के कारण बाधित हुए राज्य के हिन्दू पुजारी और नामघरों को (छोटे मंदिरों को) 15 हजार रुपए की कोरोना सहायता राशि देने का निर्णय प्रशंसनीय है । हिन्दू जनजागृति समिति उनके इस निर्णय का स्वागत करती है । पहले भी उन्होंने धार्मिक स्थल के आसपास के 5 कि.मी. परिसर में मांस बिक्री करने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था । इस प्रकार के निर्णयों से अन्य राज्य भी बोध लें, ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति ने किया है ।
कोरोना महामारी के कारण विगत डेढ वर्ष से सब कुछ लगभग ठप्प हो गया था । अनेकों ने अपने रोजगार गवांए । सभी क्षेत्रों की आय घट गई है, जिसमें मंदिरों का भी समावेश है । कोरोना के कारण मंदिर में आनेवाले श्रद्धालुओं की संख्या अत्यल्प हो जाने के कारण मंदिर की आय भी अत्यल्प हो गई है । जिस कारण अनेक मंदिरों से पुजारियों को निलंबित करना पडा है । इसलिए मंदिरों पर निर्भर पुजारियों को बडे आर्थिक संकट का सामना करना पड रहा है । ऐसे समय में पुजारियों को 15 हजार रुपए की सहायता करने से कुछ मात्रा में संबल मिलेगा । हिन्दू जनजागृति समिति ने कोरोना काल में महाराष्ट्र के मंदिरों के लिए इस प्रकार की सहायता की मांग की थी ।
केवल अल्पसंख्यक के नाम पर देश के अनेक राज्यों के मदरसे और मस्जिदों में काम करनेवाले इमाम, मौलवी, अजान देनेवाले इत्यादि को प्रति मास विविध राज्यों की सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है । किन्तु वैसी सहायता किसी भी सरकार द्वारा बहुसंख्यक हिन्दू पुजारियों को एवं मंदिरों को नहीं दी गई है । इसके विपरित हिन्दुओं के अधिकांश समृद्ध और विशाल मंदिरों का सरकारीकरण कर, वहां की संपत्ति लूटने का कार्य विविध राज्य शासनों ने किया है । ऐसी स्थिति में मंदिर के पुजारियों और नामघरों को अनुदान देने का निर्णय बहुसंख्यकों की भावनाओं का आदर करता है । इस निर्णय की पृष्ठभूमि पर अन्य राज्य सरकारें भी मंदिरों और वहां के पुजारियों की सहायता करने का निर्णय ले, ऐसी समिति की भूमिका है ।