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इमरान खान के मंत्री ने माना- तालिबान का संरक्षक है पाकिस्तान

अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने के बाद से ही पाकिस्तान के साथ उसके संबंधों को लेकर सवाल उठते रहे हैं। तालिबान ने पाकिस्तान को अपना ‘दूसरा घर’ कहा है। वहीं इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री शेख राशिद ने कबूला है कि पाकिस्तान तालिबान का संरक्षक है।

हम न्यूज चैनल के कार्यक्रम ‘ब्रेकिंग प्वाइंट विद मलिक’ में राशिद ने कहा, “हम तालिबान नेताओं के संरक्षक हैं। हमने लंबे समय तक उनकी देखभाल की है। उन्हें पाकिस्तान में पनाह दी, शिक्षा दी और आशियाना दिया। हमने उनके लिए सब कुछ किया है।” पिछले सप्ताह भी एक इंटरव्यू के दौरान अमेरिका की निंदा औऱ तालिबान का स्वागत करते हुए मंत्री ने खुलासा किया था कि पाकिस्तान लंबे समय तक अमेरिकी सेना को अपने यहाँ रखने की इच्छुक नहीं है।

ज्ञात हो कि राशिद पाकिस्तान के वही मंत्री हैं, जिन्होंने कभी कहा था कि पाकिस्तान के पास ‘स्मार्ट बम’ विकसित करने की तकनीक है, जो भारत में केवल हिंदुओं को मार डालेगी और मुसलमानों को बख्श देगी। उनका ताजा कबूलनामा ऐसे वक्त में आया है जब इमरान खान सरकार तालिबान से उसका किसी भी तरह का सरोकार नहीं होने का दिखावा कर रही है। ऐसा इसलिए कि जैसे-जैसे तालिबान अफगानिस्तान में अपनी स्थिति मजबूत करता जा रहा है, वैसे-वैसे ही पाकिस्तान को तालिबान की मदद से कश्मीर पर ‘फतह’ का अपना सपना और साकार होता सा नजर आने लगा है।

पाकिस्तान के तालिबान प्रेम का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक पाकिस्तानी समाचार चैनल पर बोलते हुए इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की नेता नीलम इरशाद शेख ने कहा था कि ‘तालिबान हमारे साथ हैं’ और वे कश्मीर को जीतने में मदद करेंगे।

अब शेख राशिद की टिप्पणी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी द्वारा यह कहे जाने के बाद आई है कि अफगानिस्तान का समर्थन करने के लिए पाकिस्तान रचनात्मक भूमिका अदा करता रहेगा। कुरैशी ने अफगानिस्तान को अपना नया पसंदीदा पड़ोसी बनाते हुए कहा, “विश्व समुदाय को अफगानिस्तान के लोगों की आर्थिक मदद करने औऱ वहाँ के हालात को स्थिर करने के लिए अफगानिस्तान के साथ जुड़े रहना जरूरी है।”

हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी एक इंटरव्यू के दौरान तालिबान को ‘सामान्य नागरिक’ की संज्ञा दी थी। जिहादी कार्रवाइयों को सही ठहराते हुए पाक पीएम ने दावा किया था कि तालिबान के सत्ता में आने से अफगान लोगों ने ‘गुलामी की जंजीरों’ को तोड़ दिया है।

पाकिस्तान से प्रगाढ़ संबंध की उम्मीद में तालिबान

ऐसा नहीं है कि सिर्फ पाकिस्तान ही तालिबान के बारे में बात करता है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने भी एक टीवी इंटरव्यू में पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को लेकर बात की थी। मुजाहिद ने भारत के साथ भी अच्छे संबंध स्थापित करने की बात करते हुए कहा था, “पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान अपनी सीमा साझा करता है। जब मजहब की बात आती है तो हम पारंपरिक रूप से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं, दोनों देशों के लोग एक-दूसरे के साथ घुल-मिल जाते हैं। इसलिए हम पाकिस्तान के साथ संबंधों को और गहरा करने की उम्मीद कर रहे हैं।”

गौरतलब है कि अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह तालिबान को पनाह देने के लिए पाकिस्तान की लगातार कड़ी आलोचना करते रहे हैं। वे लगातार दोनों देशों में पनप रहे आतंकी संगठनों के बीच गहरे संबंधों की बात करते रहे हैं।

पिछले सप्ताह काबुल में हुए बम विस्फोट में 100 लोगों के मारे जाने के बाद सालेह ने इस बात को दोहराया था, “हमारे पास मौजूद हर सबूत से पता चलता है कि काबुल में सक्रिय इस्लामिक स्टेट खुरासान (आईएस-के) की जड़ें तालिब और हक्कानी नेटवर्क में पैबस्त हैं। तालिबान का आईएसआईएस के साथ संबंधों से इनकार करना पाकिस्तान द्वारा क्वेटा शूरा के मामले में इनकार की तरह ही है। तालिबों ने मौलवियों से बहुत अच्छी सीख ली है।” इससे पहले, सालेह ने पाकिस्तान पर आतंकवादी कारखाने और शिविर स्थापित करने का आरोप लगाया था जो अफगानिस्तान में अराजकता पैदा करने के लिए तालिबान को विस्फोटक सामग्री प्रदान करते हैं।

संदर्भ : OpIndia

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