संस्कृत की वैज्ञानिकता एवं समृद्धता की ओर संपूर्ण विश्व आकर्षित हो रहा है ! – आनंद जाखोटिया, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान राज्य समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति
नई देहली : ‘संस्कृत एक मृत भाषा है अथवा वह नित्य व्यवहार के लिए निरुपयोगी है’, ऐसा कहना अनुचित है । आज जर्मनी के १४ और ब्रिटेन के ४ महाविद्यालयों में संस्कृत सिखाई जा रही है तथा १७ देशों में संस्कृत का अध्ययन हो रहा है । संस्कृत की वैज्ञानिकता एवं समृद्धता के कारण संपूर्ण विश्व उसकी ओर आकर्षित हो रहा है । हिन्दू जनजागृति समिति के मध्य प्रदेश एवं राजस्थान राज्य समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने ऐसा प्रतिपादित किया ।
भारत सरकार की ओर से ‘विश्व संस्कृत दिवस’ के उपलक्ष्य में संस्कृत सप्ताह का आयोजन किया गया था । उसके उपलक्ष्य में हिन्दू जनजागृति समिति ने ट्वीटर लाइव का आयोजन किया था । इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री. जाखोटिया बोल रहे थे । यू ट्यूब के माध्यम से भी इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया ।
श्री. जाखोटिया ने आगे कहा, ‘‘ संस्कृत के स्वर एवं व्यंजन हमारे शरीरविज्ञान से संबंधित हैं । स्वरों एवं व्यंजनों का अचूकता से उच्चारण करने से उनसे निकलनेवाले तरंग शरीर के विशिष्ट अंग से और एक विशिष्ट क्रम से निकलते हैं, इसका हम अनुभव कर सकते हैं । संस्कृत में प्रचुर शब्दसंपदा है, जो अन्य किसी भाषा में नहीं है । यह शब्दसंपदा व्यक्ति को अपना भाव प्रकट करना सिखाती है । जब हम श्रीरामरक्षा, श्रीविष्णुसहस्रनाम जैसे संस्कृत श्लोकों का उच्चारण करते हैं, तब लयबद्धता, संस्कृत शब्दों से निकलनेवाली ऊर्जा, चेतना, उत्साह एवं उससे प्रकट होनेवाले भाव का अनुभव होता है । क्या किसी अन्य भाषा में यह वैभव है ? इसीलिए संस्कृत को देववाणी अथवा भाषाआें की जननी कहा गया है । अतः लोगों को अपने नित्य जीवन में संस्कृत का अनुसरण कर ऋषि-मुनियों द्वारा लिखे गए विविध विषयों पर आधारित प्राचीन शास्त्रों का अध्ययन कर भारत को विश्वगुरु पद पर आसनस्थ करना चाहिए ।’’
इस कार्यक्रम को देखने हते यू ट्यूब की लिंक : https://bit.ly/3y4P349