सन् 1921 में मालाबार में हुए हिन्दुओं के नरसंहार को किस तरह ‘मोपला कृषि विद्रोह’ का नाम देकर इतिहास में पढ़ाया जाता रहा, इसका अब खुलासा हो चुका है। अब केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस बात को दोहराया है कि ‘मालाबार विद्रोह’ एक ‘कृषि विद्रोह’ था और वरियमकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी इसका नेता था। उन्होंने इस झूठे नैरेटिव को आगे बढ़ाया है कि मोपला अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई थी।
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शनिवार (28 अगस्त, 2021) को मोपला नरसंहार को लेकर अपनी पार्टी CPI(M) के स्टैंड को स्पष्ट किया। केरल विधानसभा के अध्यक्ष एमबी राजेश पहले ही जिहादी वरियमकुन्नथु कुंजाहम्मद की तुलना क्रांतिकारी भगत सिंह से कर चुके हैं। पिछले कई सप्ताह में पहली बार सार्वजनिक रूप से दिखे पिनाराई विजयन जब मीडिया के सामने आए तो उन्होंने इसी स्टैंड को दोहराया।
एमबी राजेश की टिप्पणी पर राज्य के भाजपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। विजयन ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम व्यक्तिगत बलिदानों, सशस्त्र क्रांतियों और कृषि विद्रोहों से बना है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों को भगाने में इन सबका योगदान था और किसी को भी नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने मोपला नरसंहार को ‘अंग्रेजों के साथी जमींदारों के खिलाफ संघर्ष’ करार दिया। उन्होंने दावा किया कि कुछ जगह ये भटका, लेकिन हाजी ने सभी को साथ रखा।
इस दौरान उन्होंने कुछ पुस्तकों का उदाहरण दिया, जिसमें हाजी का महिमामंडन किया गया है। लेकिन, इस दौरान वो ये बताना भूल गए कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में धर्मांतरण का क्या काम? मुख्यमंत्री और उनकी वामपंथी पार्टी को इस बात का जवाब देना चाहिए कि मोपला मुस्लिमों ने इस तथाकथित ‘कृषि विद्रोह’ में हिन्दुओं को ही क्यों निशाना बनाया? हिन्दू महिलाओं के बलात्कार क्यों हुए? क्या ये भी ‘अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध क्रांति’ थी?
Variamkunnath was a freedom fighter: Pinarayi on Malabar Rebellion. @vijayanpinarayi https://t.co/ECnworYF25 via @NewIndianXpress
— TNIE Kerala (@xpresskerala) August 29, 2021
असल में उनका ये बयान मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए है, क्योंकि केरल में मुस्लिमों की जनसंख्या 27% के करीब है। राज्य में ‘मुस्लिम लीग (IUML)’ नामक पार्टी भी सक्रिय है, जिसकी जड़ें भारत का विभाजन कराने वाले मुस्लिम लीग में हैं। पार्टी के पास 15 विधायक और 4 सांसद भी हैं। ISIS ने केरल को आतंकी भर्ती का अड्डा बना दिया है। तालिबान में भी यहाँ के कुछ लोग शामिल हैं। ऐसे में मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए हिन्दुओं के नरसंहार को भी जायज ठहराया जा रहा है।
मोपला मुस्लिमों द्वारा हिन्दुओं का नरसंहार: ‘मालाबार विद्रोह’ की सच्चाई
इस नरसंहार में इसमें सबसे विवादित नाम वरियामकुननाथ कुंजाहमद हाजी का ही आता है। वो मालाबार में ‘मलयाला राज्यम’ नाम से एक इस्लामी सामानांतर सरकार चला रहा था। ‘इस्लामिक स्टेट’ की स्थापना करने वाला कोई व्यक्ति स्वतंत्रता सेनानी कैसे हो सकता है? ‘द हिन्दू’ अख़बार को पत्र लिख कर उसने हिन्दुओं को भला-बुरा कहा था। अंग्रेजों ने उसे मौत की सज़ा दी थी। अब उस पर फिल्म बना कर उसके महिमामंडन की तैयारी हो रही है।
डॉक्टर आंबेडकर लिखते हैं, “अंग्रेजों के खिलाफ को तो जायज ठहराया जा सकता है, लेकिन मोपला मुस्लिमों ने मालाबार के हिन्दुओं के साथ जो किया वो विस्मित कर देने वाला है। मोपला के हाथों मालाबार के हिन्दुओं का भयानक अंजाम हुआ। नरसंहार, जबरन धर्मांतरण, मंदिरों को ध्वस्त करना, महिलाओं के साथ अपराध, गर्भवती महिलाओं के पेट फाड़े जाने की घटना, ये सब हुआ। हिन्दुओं के साथ सारी क्रूर और असंयमित बर्बरता हुई। मोपला ने हिन्दुओं के साथ ये सब खुलेआम किया, जब तक वहाँ सेना न पहुँच गई।”
हाल ही में भारत सरकार ने ‘मालाबार विद्रोह’ में शामिल लोगों के नाम ‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानियों’ की सूची से हटाने का फैसला लिया। विद्रोह के नाम पर उस समय 10,000 से भी अधिक हिन्दुओं का नरसंहार किया गया था। 1921 में लगभग 6 महीनों तक ये कत्लेआम चलता रहा था। इतिहास की समीक्षा के लिए बनी समिति ने पाया कि इस पूरे ‘विद्रोह’ के दौरान ऐसे कोई भी नारे नहीं लगाए गए, जो राष्ट्रवादी हों या फिर अंग्रेज विरोधी हों।
संदर्भ : OpIndia