२ सहस्र किलो स्वर्ण आभूषण पिघलाए जाएंगे !
- तमिलनाडू में हिन्दूद्वेषी द्रमुक (द्रविड मुन्नेत्र कळघम् अर्थात द्रविड प्रगति संघ) के कार्यकाल में और क्या होगा ? मंदिरों में समर्पित किए गए आभूषणों का क्या करना है, यह सुनिश्चित करने का अधिकार हिन्दुओं के संतों तथा धर्माधिकारियों का है ; परंतु, मंदिर सरकार के नियंत्रण में होने के कारण, यह हिन्दू-द्रोही निर्णय लिया जा रहा है ।
- मस्जिदों और चर्च का सरकारीकरण कर, उससे प्राप्त धन का उपयोग मौलिक सुविधाओं के लिए करने का विचार धर्मनिरपेक्ष सरकारों द्वारा क्यों नहीं किया जाता ? क्या द्रमुक की सरकार इसका उत्तर देगी ?
चेन्नई : तमिलनाडू का ‘हिन्दू रिलिजियस एन्ड चैरिटेबल एंडोवमेंट (हिन्दू धार्मिक एवं धर्मादाय) विभाग’, हिन्दुओं के मंदिरों में समर्पित किए जानेवाले छोटे आभूषणों को सोने की सलाखों में रूपांतरित कर, उन्हें बैंको में जमा करनेवाला है । इन आभूषणों को बैंक में रखकर, मंदिरों की विकास परियोजनाओं और मंदिरों के कल्याण हेतु अन्य योजनाओं के लिए धन एकत्रित किया जाएगा । प्रस्तुत प्रक्रिया करने हेतु, उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त अधिकारी के नेतृत्व में २ मंडलीय समितियों का गठन किया जानेवाला है । धर्मादाय विभाग के मंत्री पी.के. सेकर बाबू ने हाल ही में विधानसभा में यह जानकारी दी ।
Tamil Nadu: Revenue from gold will be used to build temple infrastructure, says minister P K Sekar Babu https://t.co/ZUm2JWVpFv
— TOIChennai (@TOIChennai) September 5, 2021
१. सेकर बाबू ने कहा, कि इन आभूषणों को गत १० वर्षों से मंदिरों की तिजोरियों में पडे हुए हैं । इन आभूषणों को पिघलाकर, उनका सलाखों में रूपांतरण करने हेतु मुंबई की सरकारी रिफाइनरी में भेजने से पूर्व, उनमें स्थित मूल्यवान रत्नों और कंकडों को निकाला जाएगा और उसके उपरांत ब्याज की राशि में वृद्धि करने हेतु, इन आभूषणों को बैंक में रखा जाएगा ।
२. इस संदर्भ में, धर्मादाय विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “लगभग २ सहस्र किलो सोने को पिघलाकर उनसे सोने की सलाखें बनाई जाएंगी । वर्ष १९७८ से २०१० की अवधि में इस विभाग की ओर से यह प्रक्रिया की जाती थी । उसके उपरांत, अण्णाद्रमुक (अण्णा द्रविड मुन्नेत्र कळघम् – द्रविड प्रगति संघ) दल ने यह प्रक्रिया बंद की थी । आनेवाले २ सप्ताह में पडताल करनेवाले अधिकारी, सोने की सलाखें तैयार करने हेतु उपयोग किए जानेवाले सोने के संग्रह की पडताल करेंगे । इस पडताल का चित्रीकरण किया जाएगा तथा मंदिर के प्रांगण पर स्थित एल.ई.डी. स्क्रीन पर उसका प्रसारण किया जाएगा, साथ ही विभाग के जालस्थल पर भी उसका सीधा प्रसारण किया जाएगा । इस सोने को बैंक में रखे जाने पर मिलनेवाले ब्याज की राशि का उपयोग सभी प्रमुख मंदिरों में भक्तों को मौलिक सुविधाएं देने हेतु किया जाएगा ।”