‘रामसेतु की निर्मिति’ इस विषय के अंतर्गत भगवान श्रीराम के अभियांत्रिक ज्ञान की जानकारी दी जाएगी !
- मध्यप्रदेश शासन का अभिनंदनीय निर्णय ! भाजपा शासित प्रत्येक राज्य ने और केंद्र सरकार ने भी ऐसा निर्णय लेना चाहिए, ऐसा हिन्दुओं को लगता है !
- हिन्दू विरोधियों की ओर से मध्यप्रदेश शासन के इस निर्णय पर ‘शिक्षा का भगवाकरण’ ऐसा आरोप किए जाने पर आश्चर्य न लगे । अर्थात् शासन को ऐसा कितना भी विरोध हो, तो भी शासन पीछे न हटे । भारत की १०० करोड़ हिन्दू जनता मध्यप्रदेश शासन के साथ है, यह उन्हें ध्यान देना चाहिए । – संपादक, हिन्दूजागृति
भोपाल (मध्यप्रदेश) – राज्य की ‘शिक्षा नीति २०२०’ के अंतर्गत महाविद्यालय के पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है । कला विभाग के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को महाभारत, रामचरितमानस, योग और ध्यान के विषय में पढाया जाएगा ।
१. नए पाठ्यक्रम के अनुसार ‘श्री रामचरितमानस एप्लाइड फिलोसफी’ (श्री रामचरितमानस का प्रायोगिक तत्वज्ञान) इसे पर्यायी विषय के रुप में रखा गया है । इसके अंतर्गत अंग्रेजी के फाउंडेशन कोर्स में प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को सी. राजगोपालचारी की लिखी महाभारत की प्रस्तावना पढाई जाएगी । अंग्रेजी और हिन्दी के साथ योग और ध्यान इन दोनों विषयों को तीसरे फाउंडेशन कोर्स के रुप में पढाया जाएगा, ऐसा भी राज्य शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है ।
२. श्रीरामचरितमानस के अंतर्गत आने वाले अध्यायों में ‘वेद, उपनिषद और पुराणों के ४ युग’, ‘रामायण और श्रीरामचरितमानस में भेद’ और ‘दिव्य अस्तित्व का अवतार’ ये विषय भी पढाए जाएंगे । नए पाठ्यक्रमानुसार यह विषय व्यक्तित्व, विचार और चरित्र को अधिक सक्षम बनाने के लिए पढाया जाएगा । प्रभु श्रीरामचंद्र आज्ञाकारी पुत्र कैसे थे, इस संबंध में विद्यार्थियों को पढाया जाएगा ।
३. प्रमु श्रीरामचंद्र कितने कुशल अभियंता अर्थात इंजीनियर थे, इसकी भी शिक्षा दी जाएगी । ‘रामसेतु की निर्मिति,’ इस विषय के अंतर्गत विद्यार्थियों को भगवान श्रीराम के पास होने वाले अभियांत्रिकी ज्ञान की जानकारी दी जाएगी ।
४. श्रीरामचरितमानस के साथ २४ पर्यायी विषय दिए गए हैं इसमें मध्यप्रदेश के उर्दू गाने और उर्दू भाषा का भी समावेश है ।
विद्यार्थियों को महान व्यक्ति के रुप में विकसित करना है ! – उच्चशिक्षा मंत्री मोहन यादव
मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने बताया कि, ऐसी शिक्षा के कारण विद्यार्थियों को ‘सम्मान देना ,अर्थात् क्या ,’ और अन्य मूल्योंके साथ ही जीवन में आगे बढने की प्रेरणा मिलेगी । अब हमें विद्यार्थियों को सिखाना नहीं, तो उन्हे महान व्यक्ति के रुप में विकसित करना है ।