क्या तात्कालीन हौजों में गणेशमूर्तियों का विसर्जन करते समय और मूर्तिदान लेते समय भीड इकट्ठा नहीं होती ?
कोल्हापुर : प्रशासन ने अनेक जनपदों में गणेशमूर्ति विसर्जन के स्थानों पर भीड टालने का आवाहन किया है, साथ ही कुछ स्थानों पर बहते पानी में विसर्जन करने पर निर्बंध लगाए हैं, साथ ही श्री गणेशमूर्तियों का तात्कालिन हौजों में विसर्जन करने और मूर्तिदान करने का आवाहन भी किया है । क्या प्रशासन का यह कहना है कि क्या केवल बहते पानी के स्थानों पर ही भीड इकट्ठा होती है और तात्कालिक हौजों में विसर्जन करते समय और मूर्तिदान संकलन केंद्रों पर भीड इकट्ठा नही होती ? वहां भी भीड होने ही वाली है, तो केवल बहते पानी में विसर्जन पर ही निर्बंध क्यों ? हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने एक विज्ञप्ति प्रकाशित कर यह प्रश्न उठाया है । उन्होंने कोरोना महामारी के नाम पर हिन्दुओं की धार्मिक स्वतंत्रता बाधित करने का सीधा आरोप भी लगाया ।
श्री गणेशमूर्तियों का बहते पानी में विसर्जन करने पर निर्बंध लगा देने के निर्णय का गणेशभक्तोंसहित हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने तीव्र निषेध किया है । गणेशभक्तियों पर किसी भी प्रकार की जबरदस्ती न कर श्री गणेशमूर्तियों का बहते पानी में विसर्जन करने दिया जाए, यह मांग बडी मात्रा में उठ रही है । इस मांग को लेकर हिन्दू जनजागृति समिति और अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने ८ सितंबर को कोल्हापुर में उपजिलाधिकारी श्रावण क्षीरसागर से मिलकर उन्हें ज्ञापन प्रस्तुत किया । इस अवसर पर शिवसेना के कोल्हापुर जिलाउपप्रमुख श्री. संभाजीराव भोकरे, शिवसेना के करवीर तहसीलप्रमुख श्री. राजू यादव, श्री महालक्ष्मी देवस्थान भ्रष्ट्राचारविरोधी क्रियान्वयन समिति के सदस्य श्री. प्रमोद सावंत, सनातन संस्था के डॉ. मानसिंह शिंदे, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. बाबासाहेब भोपळे एवं श्री. शिवानंद स्वामी और हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. नीतेश कुलकर्णी उपस्थित थे ।
पुणे में निवासी उपजिलाधिकारी तथा अपर जिलादंडाधिकारी डॉ. जयश्री कटारे को ज्ञापन प्रस्तुत किया गया । इस अवसर पर शिवसमर्थ कोंकण ट्रस्ट के श्री. गणेश पवार और श्री गौड ब्राह्मण समुदाय के श्री. मनोहर उणेचा उपस्थित थे ।
इस विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि,
१. सरकार ने बार-बार कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर भीड टालने का आवाहन किया है । उसके लिए सार्वजनिक गणेशोत्सव पर अनेक निर्बंध लगाए गए हैं; परंतु व्यक्तिगत धर्माचरण से संबंधित कृत्यों पर निर्बंध लगाना उचित नहीं है; क्योंकि व्यक्तिगत धर्माचरण करना भारतीय संविधान की धारा २५ के अनुसार प्रदान किया गया धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है, जिसे कोई नहीं छीन सकता ।
२. हिन्दू समाज सहिष्णु एवं धर्मपरायण है; इसका अर्थ हिन्दुओं के धर्मांचरण पर निर्बंध लगाए जा सकते हैं, इस भ्रम में सरकार न रहे । राज्य के विविध राजनीतिक दलों की जनसभाएं और अन्य कार्यक्रमों में भीड इकट्ठा हुई तो चलता है; मदिरा के दुकानों के सामने भीड चलती है; परंतु ेकवल श्री गणेशमूर्तियों का बहते पानी में विसर्जन करना नहीं चलता । यह तो हिन्दुओं के धार्मिक अधिकारों पर अंकुश लगाने का कृत्य है, जिसकी हम निंदा करते हैं ।
३. कोरोना महामारी के संदर्भ में सभी नियमों का पालन कर नागरिकों को श्री गणेशमूर्तियों का बहते पानी में विसर्जन करने की सुविधा उपलब्ध करा देना सरकार का कर्तव्य है । सरकार यदि तात्कालिक हौजों और मूर्तिदान के अभियान चलाती हो और बहते पानी में विसर्जन करने पर प्रतिबंध लगाती हो, तो हम इसका तीव्रता से विरोध करेंगे ।