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संविधान यदि सेक्युलर है, तो अल्पसंख्यकों को दी गई सुविधाएं रद्द की जानी चाहिएं ! – रमेश शिंदे

‘सुदर्शन’ समाचारवाहिनी पर प्रसारित ‘बिंदास बोल’ कार्यक्रम में ‘गणेशोत्सव में हिन्दू राष्ट्र की मांग करने का संकल्प’ विषय पर ऑनलाइन परिचर्चा

श्री. रमेश शिंदे

पुणे : प्रत्येक हिन्दू परिवार को गणेशोत्सव के उपलक्ष्य में हिन्दू राष्ट्र लाने हेतु संकल्प लेना चाहिए । यह हमारी समष्टि साधना ही है । भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करते ही हिन्दुओं की समस्याओं का संपूर्ण समाधान होगा । अल्पसंख्यकों को अधिकार प्रदान करने हेतु संविधान के अनुच्छेद २६ से ३० में प्रावधान किए गए हैं । उनमें अल्पसंख्यकों को धर्म की शिक्षा देना, अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करना, साथ ही सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त करना जैसी सुविधाएं दी गई हैं । वर्ष १९७६ में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान में ‘सेक्युलर’ शब्द घुसाया, उसके उपरांत पंथनिरपेक्ष संविधान बन गई । इसके आधार पर संविधान यदि सभी को समान मानती है, तो अल्पसंख्यको और बहुसंख्यकों में भेद क्यों किया जाता है ? भारत में यदि अल्पसंख्यकों को रखना हो, तो संविधान सेक्युलर नहीं होगा और यदि संविधान सेक्युलर हो, तो अल्पसंख्यकों को दी जानेवाली सुविधाएं रद्द करनी चाहिएं; क्योंकि इस प्रकार सुविधाएं देना संविधानविरोधी है । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने ऐसा प्रतिपादित किया ।

श्री. सुरेश चव्हाणके

सुदर्शन न्यूज समाचारवाहिनी पर प्रसारित कार्यक्रम ‘बिंदास बोल’ में ‘गणेशोत्सव में हिन्दू राष्ट्र की मांग करने का संकल्प’ विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई । उसमें श्री. रमेश शिंदे बोल रहे थे । इस परिचर्चा का सूत्रसंचालन सुदर्शन समाचारवाहिनी के मुख्य संपादक श्री. सुरेश चव्हाणके ने किया । इस कार्यक्रम में संविधान विशेषज्ञ डी.के. दुबे ने भी अपने विचार व्यक्त किए ।

श्री. रमेश शिंदे द्वारा रखे गए अन्य सूत्र

१. ‘जे.एन्.यू.’ में हिन्दुओं को आतंकी कहा जाता है । वर्ष २००२ के गुजरात दंगों से हिन्दुओं को आतंकी दिखाने का प्रयास किया जाता है । मुसलमानों, ईसाईयों और अंग्रेजों ने भारत आकर यहां की संस्कृति नष्ट करने का प्रयास किया, महिलाओं पर अत्याचार कर उन्हें गुलाम बनाया; परंतु हिन्दुओं ने किसी भी संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास नहीं किया । इसलिए हिन्दू धर्म के संदर्भ में दी जानेवाली भ्रामक जानकारी का हमें विरोध करना चाहिए । जब धर्म की पुनर्स्थापना करने हेतु भगवान अवतार लेते हैं, तब हम अपनी मानसिकता को संकीर्ण क्यों रख रहे हैं ?

२. जब इस्लाम बढता है, तब जिहाद भी बढता है । हिन्दुस्थान से ही पाकिस्तान और बांग्लादेश बने । वर्ष १९९० में जब कश्मीर में इस्लाम बढा, तब एक रात में ही हिन्दू वहां से निष्कासित बन गए । आज के समय में तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता हथिया ली, तब लोग विमान को लटककर वहां से पलायन कर रहे थे । यह स्थिति हम यदि हम पर लाना नहीं चाहते हों, तो हमें हिन्दू राष्ट्र की मांग करनी होगी । हमारे त्योहार-उत्सवों, मंदिरों और परंपराओं को जीवित रखने हेतु हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए ।

संविधान से ‘सेक्युलर’ शब्द हटाकर ‘हिन्दू’ शब्द अंतर्भूत किया जाना चाहिए ! – डी.के. दुबे, संविधान विशेषज्ञ

डी.के. दुबे

प्रा. के.टी. शाह ने १५ नवंबर १९४८ को संविधान में ‘सेक्युलर’ शब्द अंतर्भूत करने का प्रस्ताव रखा था । तब ‘भारत-पाक के विभाजन के उपरांत भारत एक ही धर्म का देश रह गया है, अतः भारत हिन्दू राष्ट्र ही है; इसलिए संविधान में ‘सेक्युलर’ शब्द अंतर्भूत नहीं किया जा सकता । यह शब्द भ्रामक है ।’, यह निर्णय लिया गया था । (उसके उपरांत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल के समय संविधान में ‘सेक्युलर’ शब्द घुसाया ।) उसी समय संविधान में ‘हिन्दू’ शब्द अंतर्भूत किया जाना चाहिए था, जो नहीं किया गया । संविधानकर्ताओं के मत के अनुसार भारत हिन्दू राष्ट्र ही है । अब संसद में विधेयक लाकर संविधान से ‘सेक्युलर’ शब्द हटाकर ‘हिन्दू’ शब्द अंतर्भूत किया जाना चाहिए । इसके लिए ‘हिन्दू’ शब्द की परिभाषा सुनिश्चित की जानी चाहिए । भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किए जाने के उपरांत तुष्टीकरण की राजनीति समाप्त हो जाएगी । डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के मत के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति भाषा के आधार पर एक राज्य से दूसरे राज्य में जाएगा, तब वह अल्पसंख्यक कहलाएगा’, यह अल्पसंख्यक शब्द की परिभाषा थी । भारत में धर्म के नाम पर अल्पसंख्यक शब्द की परिभाषा की आवश्यकता नहीं है ।

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