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भगवान की संपत्ति लूटनेवाले भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही कब होगी ? – हिन्दू जनजागृति समिति

श्री तुळजाभवानी मंदिर की संपत्ति की लूट, तो मंदिर सरकारीकरण का दुष्परिणाम है !

श्री तुळजाभवानी मंदिर

मुंबई : करोडों हिन्दुओं के आस्था का केंद्र तथा महाराष्ट्र की कुलदेवता श्री तुळजाभवानी माता के प्राचीन आभूषणशें, वस्तुओं और प्राचीन मुद्राओं की चोरी के प्रकरण में लापता तत्कालीन धार्मिक व्यवस्थापक दिलीप नाईकवाडी को एक वर्ष उपरांत तुळजापुर पुलिस ने गिरफ्तार किया, केवल इतना पर्याप्त नहीं है । देवी की संपत्ति के लूट के प्रकरण की गहराई और कालखण्ड बडश है । केवल दिलीप नाईकवाडी ही दोषी हैं, इसकी संभावना अल्प है । इस प्रकरण के सूत्रधार, उस समय कार्यरत कनिष्ठ तथा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, साथ ही इस लूट में परोक्ष अथवा अपरोक्ष रूप से संलिप्त लोगों की संख्या भी अधिक है । इसलिए हिन्दू जनजागृति समिति ने एक विज्ञप्ति प्रकाशित कर पुलिस एवं प्रशासन इन सभी भ्रष्टाचाररियों पर कार्यवाही कब करेंगे ?, यह प्रश्न उठाया है ।

इस विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि,

१. २९ नवंबर २००१ से ३० नवंबर २०१८ की अवधि में दिलीप नाईकवाडी ने श्री भवानीदेवी के अतिप्राचीन आभूषणों, वस्तुओं और श्रद्धालुओं द्वारा समर्पित ३४८.६६१ गैम स्वर्ण, ७१६९८.२७४ ग्रैम चांदी की वस्तुओं और ७१ प्राचीन सिक्कों की चोरी की ।

२. इस प्रकरण में शिकायत प्रविष्ट कर उसकी निरंतर समीक्षा करनेवाले यहां के पुजारी संगठन के पूर्व अध्यक्ष किशोर गंगणे का हिन्दू जनजागृति समिति मन से अभिनंदन करती है । सभी भक्तों में इस प्रकार की जागरूकता होनी चाहिए ।

३. दिलीप नाईकवाडी पर अत्यंत कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए, जिससे इसके आगे कोई भी देवी की संपत्ति को लूटने का साहस नहीं दिखाएगा । पुलिस और प्रशासन को भी देवी के कोष से लूटे गए आभूषणों, सभी वस्तुओं और सिक्के पुनः प्राप्त मिलनेतक किसी के भी दबाव में न आकर कठोर कार्यवाही जारी रखनी चाहिए ।

४. इसमें संलिप्त दोषियों को संरक्षण देने का भले कितने ही प्रयास क्यों न हों; परंतु घोटालेबाजों को ‘भगवान के घर देर है; अंधेर नहीं’, इसे ध्यान में लेना चा हिए । हमारी यह श्रद्धा है कि आदिशक्ति श्री तुळजाभवानी ऐसी दुष्ट प्रवृत्तियों को दंडित किए बिना नहीं रहेंगी ।

वर्ष १९९१ से २००९ तक की अवधि में सैकडों करोड रुपए के घोटाले के प्रकरण में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा किया गया संघर्ष !

१. हिन्दू जनजागृति समितिर ने श्री तुळजाभवानी मंदिर में वर्ष १९९१ से २००९ तक की अवधि में सैकडों करोड रुपए का दानपेटी घोटाला और २६५ एकर भूमि घोटाले के विरुद्ध संवैधानिक पद्धति से निरंतर आवाज उठाई थी । इसके लिए समिति ने मुंबई उच्च न्यायालय के संभाजीनगर खंडपीठ में याचिका भी प्रविष्ट की थी ।

२. न्यायालय के आदेश के अनुसार राज्य आपराधिक अन्वेषण विभाग ने वर्ष २०१७ में गृह विभाग को इस घोटाले का ब्योरा प्रस्तुत किया; परंतु उसमें कौन दोषी है और किस पर कार्यवाही की गई, यह अभीतक उजागर नहीं हुआ है । इस लूट में संलिप्त दोषियों पर कठोर कार्यवाही की जाए, इस मांग को लेकर विधानसभा में तारांकित प्रश्न उपस्थित किए गए । विधानसभा में विधायकों ने आंदोलन चलाए और अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने संपूर्ण राज्य में आंदोलन किए; परंतु सरकार ने इस प्रकरण में संवेदनशीलता क्यों नहीं दिखाई ? मंदिर सरकारीकरण के कारण मंदिर की किस प्रकार लूट की जाती है, यही इस प्रकरण से प्रमाणित होता है ।

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