यदि विद्यालय द्वारा ऐसी कृति की गई है, तो कार्रवाई की जाएगी ! – प्रशासन
- प्रशासन को ऐसे विद्यालयों से ईसाई मिशनरियों निरस्त कर विद्यालय अपने नियंत्रण में ले लेना चाहिए । ध्यान दें कि हिन्दू मंदिरों का सरकारीकरण करने की पहल करने वाले शासक इस बारे में चुप हैं !
- यह हिन्दुओं के लिए लज्जास्पद है कि हिन्दू देश में हिन्दुओं की धार्मिक प्रथाओं और परंपराओं का पालन करने वाले लोगों द्वारा, ईसाई मिशनरी विद्यालयों का पिछले कई वर्षों से विरोध किया जा रहा है और ऐसे विद्यालयों पर स्थायी रूप प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है !– संपादक, हिन्दूजागृति
कांकेर (छ.ग.) – कांकेर के भानुप्रतापपुर में ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित सेंट जोसेफ स्कूल के छात्र अंश तिवारी को विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने चोटी काट कर विद्यालय में आने को कहा । अंश ने उनसे कहा कि चोटी भारतीय संस्कृति का प्रतीक है और उसने इसे काटने से मना कर दिया । फलस्वरूप, प्रधानाध्यापक ने उसे विद्यालय में आने से रोक दिया । इसकी सूचना भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष राजा पांडे को दी गई तब उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ विद्यालय जाकर विरोध किया । उन्होंने प्रधानाध्यापक के कक्ष में भगवा झंडा लहराया । घटना की जानकारी पुलिस को हुई तब उन्होंने प्रकरण शांत कराया । प्रकरण जब विशेष जिलाधीश जितेंद्र यादव के संज्ञान में आया, तो उन्होंने कहा कि यदि विद्यालय की ओर से इस तरह की कार्रवाई की गई हो तो विद्यालय के विरोध में कार्रवाई की जाएगी ।
सेंट जोसेफ स्कूल गत २० वर्षों से चल रहा है । वर्ष २०१९ में विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाने पर रोक लगा दी थी । तब भी विद्यालय का विरोध किया गया था । प्रशासन के समझाने के बाद प्रतिबंध हटा लिया गया।
स्त्रोत : भास्कर