केरल के प्रखर हिन्दू धर्मप्रेमी स्व. बिनिल सोमसुंदरम् का परिचय
एर्नाकुलम् (केरल) : यहां के अन्नपूर्णा फाऊंडेशन के अध्यक्ष एवं हिन्दू धर्मप्रेमी श्री. बिनिल सोमसुंदरम् का २३ अक्टूबर २०२१ को निधन हुआ । ४ वर्ष पूर्व स्व. बिनिल सोमसुंदरम् का हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ताओं के साथ संपर्क हुआ । उनमें हिन्दुत्व के लिए कार्य करने की अपार लालसा और लडाकू वृत्ति थी । वे हिन्दुत्वरक्षा हेतु सदैव तत्पर रहते थे । केरल में वामपंथी सरकार और अन्य पंथियों के विरोध के उपरांत भी वे निर्भयता से हिन्दुत्व का कार्य कर रहे थे । स्व. बिनिल को मधुमेह था । कुछ वर्ष पूर्व उन पर हृदयरोपण का शस्त्रकर्म किया गया था । ऐसी स्थिति में भी वे हिन्दूसंगठन के कार्य के साथ ही धर्मरक्षा के प्रत्येक अभियान में जान लगाकर प्रयास करते थे । ऐसे प्रखर हिन्दू धर्मप्रेमी स्व. बिनिल सोमसुंदरम् द्वारा राष्ट्र एवं धर्म पर होनेवाले आघातों के विरोधमें किए गए कार्य की जानकारी यहां दे रहे हैं
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा बिनिल सोमसुंदरम् की प्रशंसा की जाना
एक अधिवेशन के काल में श्री. बिनिल सोमसुंदरम् की परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी से भेंट हुई । तब परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने कहा, ‘‘श्री. बिनिल हसमुख हैं । वे हिन्दुत्व का बहुत अच्छा कार्य करते हैं । वे केवल ‘फील्ड वर्क (क्रियान्वयन के स्तर पर) ही नहीं, अपितु वे एक उत्तम वक्ता भी हैं । इसके अतिरिक्त वे अच्छा लेखन भी करते हैं । कार्यकर्ता को ऐसा ही होना चाहिए ।’’
१. स्व. बिनिल सोमसुंदरम् का गोवा के अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में क्रियाशील सहभाग
स्व. बिनिल सोमसुंदरम् का जीवन हिन्दुत्व के लिए कार्य करनेवालों के लिए सदैव प्रेरणादायक रहेगा । स्व. बिनिल सोमसुंदरम् वर्ष २०१९ में गोवा में संपन्न अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में सम्मिलित हुए थे । इस अधिवेशन में सम्मिलित होने पर उन्होंने कहा, ‘‘मुझे ऐसा लगता था कि केरल में केवल हम हिन्दुत्वनिष्ठ ही थोडा-बहुत विरोध सहन कर हिन्दू राष्ट्र हेतु कार्य कर रहे हैं; परंतु यहां आने पर यह ज्ञात हुआ कि संपूर्ण देश के इतने हिन्दुत्वनिष्ठ और उनके संगठन हमारे साथ हैं ।’’ इस अधिवेशन में उन्हें शबरीमला अभियान के विषय में अनुभवकथन करने का अवसर मिला । तब उन्होंने कुछ ही घंटों में उसकी तैयारी पूर्ण की । उन्होंने संपूर्ण विषय हिन्दी में बताया । उनका प्रस्तुतिकरण भी क्षात्रतेजयुक्त था ।
२. आद्य शंकराचार्यजी के पिता द्वारा पूजन किए गए शिव मंदिर के सामने स्थित अवैध चर्चा को गिराया जाना
केरल के कालडी में आद्य शंकराचार्यजी का जन्मस्थान है । वहां जिस शिव मंदिर में आद्य शंकराचार्यजी के पिता पूजा करते थे, उस मंदिर के सामने ही एक फिल्म के चित्रीकरण के लिए बिना अनुमति से चर्च का निर्माण किया गया था । उसके उपरांत भी उस चर्च को गिराया नहीं गया था । केरल में इस प्रकार अनेक स्थानों पर चर्चाें का निर्माण कर उन्हें स्थाई रखा गया है । इस चर्च को हटाने हेतु स्व. बिनिल के नेतृत्व में कुछ हिन्दुत्वनिष्ठों ने वैधानिक पद्धति से प्रयास किए; परंतु प्रशासन की ओर से कुछ भी कार्यवाही नहीं हुई । अंततः एक दिन स्व. बिनिल और उनके सहयोगियों ने उस अवैध चर्च को तोड दिया । उसके उपरांत विरोधियों द्वारा उन्हें बहुत कष्ट झेलना पडा ।
३. शबरीमला मंदिर के लिए संघर्ष करना
स्व. बिनिल ने वर्ष २०१८ में शबरीमला मंदिर की परंपरा की रक्षा हेतु हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ बडा संघर्ष किया । अपने शारीरिक बीमारियों की चिंता किए बिना वे जहां शबरीमला मंदिर स्थित है, उस पर्वत पर आंदोलन करने हेतु बैठे थे । उन्होंने पुलिस का विरोध सहन कर भी धर्मरक्षा के प्रयास नहीं छोडे । उसके उपरांत भी जब-जब मंदिर खोला जाता था, तब-तब वे परंपरा रक्षा हेतु वहां जाते थे । स्व. बिनिल के संगठन द्वारा प्रधानता लेने से संपूर्ण विश्वभर के अय्यप्पाभक्त इस आंदोलन में लाखों की संख्या में सम्मिलित हुए ।
४. राष्ट्रध्वज का अनादर रोकने हेतु और स्वतंत्रतासेनानियों की सूची से मोपला दंगे में सहभागी धर्मांधों के नाम हटाने हेतु किया गया कार्य
अ. एक बार एक महिला पार्षद ने स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में सामाजिक माध्यम पर की गई पोस्ट में (लेखन में) राष्ट्रध्वज का विकृत चित्र प्रसारित किया था । उसके विरोध में स्व. बिनिल से तुरंत ही ऑनलाइन प्राथमिकी पंजीकृत की । उसके उपरांत संबंधित महिला पार्षद ने सामाजिक माध्यम से यह आपत्तिजनक लेखन हटाया ।
आ. वर्ष २०१९ में भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय ने अपने जालस्थल पर ‘डिक्शनरी ऑप मार्टियर्स ऑफ इंडियाज फ्रीडम स्ट्रगल’ (भारत के स्वतंत्रता संग्राम में स्वतंत्रतासेनानियों के नाम का कोष) के विषय में लेखन प्रसारित किया था । उसमें केरल के स्वतंत्रतासेनानियों की सूची में मोपला दंगे में हिन्दुओं की हत्या करनेवाले लोगों के नाम अंतर्भूत थे । यह ज्ञात होते ही स्व. बिनिल ने तुरंत ही संबंधित मंत्रालय को ई-मेल के माध्यम से शिकायत भेजी । उसके उपरांत सांस्कृति मंत्रालय ने अपने जालस्थल से तुरंत ही ये नाम हटाए ।
५. हिन्दू जनजागृति समिति के कार्य में स्व. बिनिल सोमसुंदरम् का सहभाग
स्व. बिनिल सोमसुंदरम् को अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में सम्मिलित होने का अवसर मिलने के प्रति सदैव कृतज्ञता प्रतीत होती थी । ‘आपने मुझे निराशा से बाहर निकाला’, ऐसा वे बोलते थे । इतिहास, हिन्दुत्व, अध्यात्म इत्यादि विषयों का उनका अच्छा अध्ययन था । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ऑनलाइन पद्धति से आयोजित ‘चर्चा हिन्दू राष्ट्र की’ इस कार्यक्रम में वे सम्मिलित हुए थे । इस कार्यक्रम में उन्होंने लव जिहाद, टीकाकरण कार्यक्रम में धर्मनिरपेक्षतावादियों द्वारा हिन्दू-मुसलमान भेदभाव, केरल में मोपलाओं द्वारा भडकाए गए दंगें इत्यादि विषय पर आयोजित चर्चा में भाग लिया था । वे हिन्दी पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ के नियमित पाठक थे । उन्हें राष्ट्रभाषा के प्रति प्रेम था ।
६. विविध शारीरिक और आध्यात्मिक के कष्टों पर विजय प्राप्त कर स्व. बिनिल सोमसुंदरम् द्वारा साधना और हिन्दुत्व का कार्य किया जाना
स्व. बिनिल सोमसुंदरम् सदैव तमिलनाडू में स्थिति ट्रिच्ची के गुरुमां के आश्रम में जाते थे । वे माताजी द्वारा बताई गई साधना निष्ठापूर्वक करते थे । उन्हें चाहे कितने भी शारीरिक बीमारियां क्यों न हों; परंतु वे साधना में किस प्रकार की छूट नहीं लेते थे । एक बार उन्हें आध्यात्मिक कष्टों के लिए नामजपादि उपाय बताए गए थे । तब उन्हें इस विषय के प्रति बहुत जिज्ञासा उत्पन्न हुई । तब उन्होंने गोमूत्र से वास्तु की शुद्धि की । उसके उपरांत उनके घर में बहुत अच्छा परिवर्तन आया । तब से उनमें सनातन संस्था द्वारा बताई गई साधना और नामजपादि उपायों के प्रति श्रद्धा दृढ हुई । उन्होंने अंततक साधना और हिन्दुत्व का कार्य नहीं छोडा ।
स्व. बिनिल सोमसुंदरम् ने हिन्दुत्व के कार्य हेतु अपना सबकुछ समर्पित किया था । उनका जीवन हिन्दुत्वनिष्ठों और धर्मप्रेमियों के लिए प्रेरणादायक है । उन्हें सद्गति प्राप्त हो, यह श्रीगुरुचरणों में प्रार्थना !
(२३.१०.२०२१)