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अंतिम संस्कार के लिए इस्लाम कबूलने की शर्त, वाराणसी में हिंदू नट समुदाय ने पुलिस में की शिकायत

उत्तर प्रदेश की धर्मनगरी वाराणसी में नट समाज के कई लोगों ने इस्लाम में जबरन धर्मान्तरण के लिए उन पर दबाव बनाए जाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि उनके समुदाय के लोगों को दफनाने से रोका जा रहा है और इस्लाम अपनाने के बाद ही इसकी अनुमति देने की बात कही जा रही है। यह प्रकरण 30 अक्टूबर 2021 (शनिवार) का है। इस घटना की शिकायत स्थानीय फूलपुर थाने में की गई है। हिन्दू जागरण मंच ने भी प्रशासन से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।

घटना वाराणसी शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर फूलपुर थानाक्षेत्र के रामपुर गाँव की है। 29 अक्टूबर 2021 (शुक्रवार) को रामपुर गाँव की रहने वाली सुशीला देवी की मृत्यु हो गई थी। अगले दिन 30 अक्टूबर 2021 (शनिवार) को उनके पति सचाऊ नट अपने समुदाय के अन्य लोगों के साथ मृतका को दफनाने के लिए भरावर बस्ती पहुँचे, लेकिन उन्हें अंतिम संस्कार करने से रोक दिया गया। हिन्दुओं की नट जाति में मृत्यु के बाद शव को दफनाए जाने की परम्परा है।

ऐसा पहली बार हुआ था, जिसके चलते अंतिम संस्कार करवाने गए कई लोगों की समझ में कुछ आया ही नहीं। जब उन्हें रोकने की वजह पूछी गई तो अंतिम संस्कार से पहले इस्लाम कबूल करने की शर्त रख दी गई। इस घटना की जानकारी हिन्दू संगठनों को हुई तो वो घटनास्थल पर पहुँच गए। मौके पर पुलिस भी बुला ली गई।

पुलिस ने अंतिम संस्कार से रोकने वालों को दुबारा ऐसा न करने की चेतावनी दी। पुलिस की मौजूदगी में मृतका का अंतिम संस्कार लगभग 2 बजे हो पाया। इस प्रकरण में हिन्दू जागरण मंच के पदाधिकारी गौरीश सिंह ने बताया है कि इस्लाम कबूल करने का दबाव बनाने वाले लोग भी पहले हिन्दुओं के नट समाज से थे। धीरे-धीरे उन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया और अब बाकी नटों पर भी उसी का दबाव बनाया जा रहा है।

नट अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं। ऑपइंडिया के पास पीड़ितों द्वारा थाने में दी गई तहरीर मौजूद है। तहरीर में उन्होंने भू समाधि परम्परा में व्यवधान डाले जाने की शिकायत की है। प्रार्थना पत्र में यह भी बताया गया है कि भू समाधि स्थल उनकी परम्परागत जगह है। वह जमीन नटों के अनुसार सरकार द्वारा आबंटित है। शिकायत के अनुसार, जबरन इस्लाम कबूलने का दबाव बनाने वालों में चिल्लू नट, सबीर नट, लालचंद नट, सुभाष नट प्रमुख हैं।

हिन्दू जागरण मंच के पदाधिकारी गौरीश सिंह ने ऑपइंडिया को बताया कि धर्मान्तरण के बाद भी हिन्दू नाम रखने के पीछे सरकार और समाज को गुमराह करते हुए अनुसूचित जाति के लाभ लेते रहने की सोच और साजिश है। उन्होंने दावा किया कि 23 जून 2021 को उन्हें इसी स्थान पर एक बच्चे के खतना करवाने की सूचना मिली थी। उन्होंने बताया कि तब उन्होंने ऐसा करने वाले डॉक्टर के विरुद्ध पुलिस में शिकायत भी की थी।

पुलिस को दी गई शिकायत में भी वादी सचाऊ राम नट ने इस बात का दावा किया है। शिकायत के बिंदु 1 में कहा गया है कि लालचंद, चिल्लू, सबीर, सुभाष नट बिना प्रशासन को कोई सूचना दिए मुस्लिम धर्म कैसे स्वीकार कर सकते हैं? इस्लाम धर्म कबूलने का दबाव बनाने वाले ये तमाम लोग स्वयं के धर्मान्तरण का कोई प्रमाण भी नहीं दिखाते। इसी शिकायत में 24 जून 2021 को चिल्लू नट द्वारा अपने 3 बच्चों का खतना करवाने का भी दावा किया गया है। खतना करने वाले डॉक्टर का वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हुआ है।

पुलिस को दिए गए प्रार्थना पत्र में बताया गया है कि जिस भूमि पर इस्लाम कबूलने के बाद दफ़नाने का दबाव बनाया जा रहा, वह भूमि हिन्दू के नाम पर दर्ज है। ऐसे में किसी मुस्लिम द्वारा उस जमीन पर हक़ नहीं जताया जा सकता है। इसके साथ ही इस्लाम कबूल कर चुके नटों द्वारा अपने आधार कार्ड जैसे तमाम सरकारी कागज़ात में हिन्दू नाम रखकर सरकारी सुविधाएँ लेने पर भी सवाल खड़े किए गए हैं।

इस मामले में ऑपइंडिया ने स्थानीय पुलिस को सम्पर्क किया तो थाना प्रभारी फूलपुर द्वारा फोन नहीं उठाया गया।

संदर्भ : OpIndia

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