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‘ सार्वजनिक स्थलों पर नमाज क्यों ? ’ विषय पर ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद !

सार्वजनिक स्थलों पर अवैध नमाज रोकने के लिए गुरुग्राम के हिन्दू नागरिकों के समान संघर्ष करना आवश्यक ! – नीरज अत्री

पुलिस और प्रशासन राजनीतिक नेताओं के इशारे पर कार्य करते हैं, यह हम पूरे देश में विगत अनेक वर्षों से अनुभव कर रहे हैं । सार्वजनिक स्थलों पर होनेवाली अवैध नमाज पूरे देश की सभ्यता को चुनौती है । गुरुग्राम में सरेआम रास्तों पर आरंभ अवैध नमाज को वहां के हिन्दू नागरिक, साथ ही संगठनों ने जिस प्रकार का विरोध किया, वैसा विरोध पूरे देश में सभी ओर होना आवश्यक है, ऐसा प्रतिपादन विवेकानंद कार्य समिति के अध्यक्ष श्री. नीरज अत्री ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘सार्वजनिक स्थलों पर नमाज क्यों ?’ इस विषय पर आयोजित ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद में वे बोल रहे थे ।

विगत ७० वर्षों से देश में ‘वोट बैंक’ की राजनीति के लिए संविधान का पालन न करते हुए विशिष्ट समाज को छूट दी जा रही है । भारतीय संविधान के अनुसार ‘अन्यों के लिए बाधा उत्पन्न होगी, ऐसी कृति करने का अधिकार किसी को भी नहीं’, मात्र सार्वजनिक स्थलों पर नमाज पढने से रास्ते से जानेवाले पदयात्री, वाहनों के यात्री सभी को प्रतीक्षा करनी पडती है । इसलिए सार्वजनिक स्थलों पर होनेवाली अवैध नमाज रोकने के लिए न्यायालयीन मार्ग से संघर्ष करने की आवश्यकता है । इस विषय में याचिका प्रविष्ट करने के लिए अधिवक्ताओं को पहल करनी चाहिए, ऐसा मत सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता गौरव गोयल ने प्रस्तुत किया ।

मुस्लिम देशों में भी सार्वजनिक स्थलों पर नमाज पर प्रतिबंध; तब सेक्युलर भारत में यह नखरे क्यों ?

हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता श्री. नरेंद्र सुर्वे ने इस संदर्भ में कहा कि, ‘सार्वजनिक स्थलों पर नमाज पढने के लिए मस्जिद का स्थान अपर्याप्त होने का तर्क दिया जाता है, जो पूर्णत: अनुचित है । इसी प्रकार यदि हिन्दुओं ने पूजा-अर्चना, आरती इत्यादि के लिए मंदिर का स्थान अपर्याप्त है, हम सार्वजनिक स्थलों का उपयोग करेंगे, ऐसा कहा तो क्या उसे स्वीकारा जाएगा ? आज अनेक मुस्लिम देशों में सार्वजनिक स्थलों पर नमाज पढने पर प्रतिबंध है । किसी व्यक्ति ने ऐसा किया तो उससे बडा आर्थिक दंड वसूल किया जाता है । तब ‘सेक्युलर’ भारत में सार्वजनिक स्थानों पर अवैध पद्धति से नमाज पढने के लिए पुलिस द्वारा अनुमति क्यों दी जाती है ? एक ओर हिन्दुओं को सार्वजनिक गणेशोत्सव, नवरात्रोत्सव जैसे नियमित एवं वार्षिक उत्सवों की अनुमति प्राप्त करने के लिए बहुत संघर्ष करना पडता है ! वहीं दूसरी ओर गुरुग्राम जैसे आधुनिक शहर में पुलिस सुरक्षा में सार्वजनिक स्थानों पर नमाज करवाई जाती है, यह आश्‍चर्यजनक है । हिन्दुओं को इसके विरोध में संवैधानिक मार्ग से संघर्ष करना चाहिए ।’

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