धर्मशिक्षा के अभाव में हिन्दू परिजन अपने बच्चोंपर अंकुश भी नहीं लगा पाते और जिहादी युवक हिन्दुओं की बच्चियों को भगाकर अदृश्य हो जाते हैं और उनके साथी उन्हें पहचानने से भी इन्कार कर देते हैं । वास्तविक जिहादी को पाने के लिए, ऐसे जिहादियों के साथियों को भी बन्दी बनाया जाना अति आवश्यक है ।
पूर्वी देहली के छतरपुर क्षेत्र में लव जिहादियों पर दो अल्पवयस्क बच्चियों का अपहरण करने का आरोप लगाया गया है । पडोस में रहनेवाले दो जिहादी युवकों ने सर्वप्रथम उन्हें झूठे प्रेम जाल में फंसाया और उसके पश्चात वे उन्हें भगा ले गए । दोनों आरोपी उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद के रहनेवाले हैं ।
पिता के परिवाद पर ‘पुलिस’ ने आरोपियों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के अन्तर्गत प्रकरण प्रविष्ट किया है । बिहार का उक्त हिन्दू परिवार देहली के छतरपुर क्षेत्र के राजपुर गांव में रहता है । वहीं समीप ही एक भूखण्डपर ‘गद्दा’ और ओढनी (रजाई) बनाने का कार्य होता है, जहां लगभग २० मुसलमान युवक कार्य करते हैं । इन्हींमें से नदीम और सोनू खान ने दोनों अल्पवयस्क बच्चियों से मित्रता बढाई और भ्रमणभाष क्रमांकों का आदान-प्रदान हुआ । वे दूरभाषपर वार्तालाप करने लगे । इसके पश्चात एक दिवस दोनों आरोपी लडकियों को लेकर भाग गए ।
पीडिता के पिताका यह भी आरोप है कि एक आरोपी का बहनोई भी इस षड्यन्त्र में सम्मिलित है । वहीं, एक आरोपी नदीम का कहना है कि एक दिन तकिया विक्रय करने के लिए पीडित परिवार के घरकी ओर गया था, वहीं लडकियों से क्रमांक उसने लिया था; किन्तु उनके अनुपस्थित होने में उसका हाथ नहीं है । उनकी दोनों बेटियां छतरपुर के ही राजकीय कन्या विद्यालय में कक्षा सातवीं की छात्रा हैं । उन्होंने बताया कि ‘कोरोना’के कारण ‘ऑनलाइन क्लास’ चल रही थी तो एक ‘स्मार्टफोन’ उनकी बेटियों को दे दिया था । जिस दिन लड़कियां अनुपस्थित हुई थीं, उस दिन उस ‘मोबाइल’पर कई अनभिज्ञ क्रमांकों से दूरभाष आए थे; किन्तु उनपर वार्तालाप किया तो उन लोगोंने लडकियों के बारे में जानने से इन्कार कर दिया । परिवाद के पश्चात ‘कॉल डिटेल्स ‘के आधारपर पुलिस ने चार लोगों को अधिग्रहण में लिया है; किन्तु वास्तविक आरोपियों का अभिज्ञान अभी तक नहीं हो सका ।
संदर्भ : OpIndia