‘वारसा शिवशाहीरांचा, जागर हिंदुत्वाचा !’ कार्यक्रम द्वारा शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरेजी को श्रद्धांजली !
छत्रपति शिवाजी महाराज ने हमें सिखाया कि हिन्दुस्थान की स्वतंत्रता लक्ष्मी की गृहस्थी भगवे झंडे के साथ होनी चाहिए, ऐसी सत्ता, समाज और राष्ट्र निर्माण करना चाहिए । यह संदेश आगामी पीढी के प्रत्येक युवा के हृदय, बुद्धि और अंत:करण तक पहुंचाने का कार्य शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे ने किया । बाबासाहेब द्वारा किए गए कार्य इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा और उनके मार्ग का पालन कर उनके कार्य में वृद्धि करना, यही उन्हें खरी श्रद्धांजली होगी, ऐसा प्रतिपादन श्री शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान के संस्थापक पू. संभाजीराव भिडे गुरूजी ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ‘वारसा शिवशाहीराचा, जागर हिंदुत्वाचा’ इस ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद में बोल रहे थे ।
आगे पू. भिडे गुरूजी ने कहा ‘बाबासाहेब ने हिन्दुस्थान और हिन्दू समाज के लिए अपना जीवन समर्पित किया । जिस किसी को भी हमारा देश, संस्कृति, परंपरा विदेशियों के चंगुल से मुक्त हो तथा स्वाभिमानपूर्वक राष्ट्र के रूप में निर्माण हो, ऐसा लगता है, उनके लिए बाबासाहेब द्वारा लिखा गया शिवचरित्र ग्रंथ अत्यंत उपयोगी है । इस ग्रंथ का पारायण कर कृति करें ।’
इतिहासप्रेमी मंडल के संस्थापक-अध्यक्ष श्री. मोहन शेटे ने शिवशाहीर के संस्मरणों को बताते हुए कहा, ‘बाबासाहेब के निधन के कारण हमारी असीम हानि हुई है । बाबासाहेब मूलत: शोधकर्त्ता थे । विविध दुर्ग-किल्लों पर जाकर, यात्रा कर अनेक ऐतिहासिक कागज-पत्र एकत्रित किए, संदर्भ जांचें । इन सभी अध्ययन, शोध द्वारा ‘राजा शिवछत्रपति’ पुस्तक उन्होंने प्रकाशित किया । सामान्य व्यक्ति तक इतिहास पहुंचाने की लगन यह बाबासाहेब पुरंदरे की अलौकिकता है । बाबासाहेब स्वतंत्रता सैनिक भी थे ।’
वीररत्न बाजीप्रभु और फुलाजीप्रभु देशपांडे स्मारक प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री. कौस्तुभ देशपांडे ने कहा कि ‘बाबासाहेब के निधन से हमारा चलता-फिरता इतिहास लुप्त हुआ है, यह हमें स्वीकार करना होगा । हमारे देश और हिन्दुत्व की हानि हुई है । बाबासाहेब ने यदि इतिहास लिखा और संरक्षित न किया होता, तो आज की स्थिति अत्यधिक अलग होती और हमारी पीढी अलग दिशा में जाती ! बाबासाहेब जैसी एक व्यवस्था है, जिन्हें इतिहास पुर्नजीवित करना है; परंतु एक शासकीय व्यवस्था ऐसी भी है, जो उन्हें वह करने नहीं देती ।’
सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने कहा कि ‘स्वतंत्रता के पहले १० वर्ष और स्वतंत्रता के उपरांत के १० वर्ष का समय सम्मान से जीनेवाले छत्रपति शिवाजी के अपमान से भरा था । तत्कालीन प्रधानपंत्री पंडित नेहरु ने छत्रपती शिवाजी महाराज को ‘राह भटका देशभक्त’ और ‘लुटेरा’ कहा था । वैसी प्रविष्टि उनकी ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ पुस्तक में भी है । इस काल में इतिहास के सत्य को नष्ट किया गया था । १९५८-५९ के समय में शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्म से उनके अंतिम समय तक का इतिहास प्रमाणसहित ‘शिवचरित्र’ में प्रकाशित किया । छत्रपति शिवाजी महाराज ‘राह भटके देशभक्त’ नहीं; अपितु वे ‘मार्ग दिखानेवाले महापुरुष’ है, यह उन्होंने सिद्ध किया । बाबासाहेब का कार्य विवादों के परे है । सनातन संस्था से उनके घनिष्ठ संबंध थे ।’