‘महाराष्ट्र में दंगे रजा अकादमी का षड्यंत्र ?’ विषय पर ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद
वर्ष 2012 में मुंबई की रजा अकादमी ने करवाए दंगों में राष्ट्रीय संपत्ति का करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ था । उसकी वसूली अभी भी बाकी है । अब पुन: त्रिपुरा की घटना का कारण बताकर महाराष्ट्र के अमरावती, मालेगांव, नांदेड और अन्य भागों में बिना अनुमति मोर्चे निकालकर हिन्दुओं पर आक्रमण किया गया । हिंदुओं की और राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान किया गया । इसमें सहभागी दंगाईयों से हानि भरपाई वसूली जानी चाहिए । रजा अकादमी का इतिहास देखते हुए दंगों में उनके सहभाग की विस्तृत जांच कर उन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, ऐसी मांग अधिवक्ता सतीश देशपांडे ने की । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘महाराष्ट्र में दंगे – रजा अकादमी का षड्यंत्र ?’ विषय पर आयोजित ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद में वे बोल रहे थे ।
इस संवाद में अमरावती के दैनिक नवभारत के उपसंपादक श्री. अमोल खोडे ने कहा कि अमरावती में सभी नियम भंग कर निकाले गए मोर्चे में धर्मांधों ने तलवार, हथियार लेकर हिन्दू व्यापारियों को निशाना बनाया । पूरे शहर में उत्पात मचाया । इस उग्र जमाव को रोकने में पुलिस-प्रशासन पूर्णत: असफल हुआ । इस दंगे के कारण हिन्दुओं के मन पर हुए घाव कभी भी नहीं भरेंगे । धर्मांधों के इस मोर्चे को राजनीतिक समर्थन भी प्राप्त था । त्रिपुरा के ‘हिन्दू जागरण मंच’ के प्रदेशाध्यक्ष श्री. उत्तम डे ने कहा कि बांग्लादेश में हिन्दू और मंदिरों पर होनेवाले अत्याचारी आक्रमणों के विरोध में त्रिपुरा में अनेक स्थानों पर अनुशासित मोर्चे निकाले गए; परंतु राष्ट्रविरोधी शक्तियों ने कुछ प्रसारमाध्यमों के साथ मिलकर मुसलमानों पर अत्याचार होने का झूठा चित्र निर्माण किया । त्रिपुरा में ऐसा कुछ न होते हुए भी अफवाओं के आधार पर महाराष्ट्र में उत्पता मचाया जाता है, यह आश्चर्यजनक है ।’
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हिन्दुओं को स्वयं पर हुए अत्याचारों के विरोध में बोलने भी नहीं दिया जाता !
हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने कहा कि महाराष्ट्र के अमरावती, नांदेड इन स्थानों के दंगो द्वारा धर्मांधों को आतंक निर्माण करना था, यह उद्देश स्पष्ट हुआ । इन दंगों में हिन्दू बंधुओं सहित पुलिस को भी घायल किया गया । भविष्य में इस प्रकार के आक्रमणों से स्वयं की रक्षा होने के लिए हिन्दुओं को स्वरक्षा प्रशिक्षण लेना चाहिए । महाराष्ट्र के इन दंगों के विरोध में कठोर कार्यवाही करें, इसलिए विविध स्थानों पर पुलिस-प्रशासन को निवेदन दिए गए है; परंतु कुछ स्थानों पर पुलिस ने ‘निवेदन देने के पूर्व हमारी अनुमति लेनी होगी । निवेदन दिए जाने का समाचार प्रसारमाध्यमों को न दें’, ऐसा कहकर हिन्दू संगठनों पर दबाव निर्माण किया । क्या हिन्दुओं को उन पर होनेवाले अत्याचारों के विरोध में संवैधानिक मार्ग से आवाज उठाने का संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार भी ‘सेक्युलर’ भारत में नहीं है ?, ऐसा प्रश्न उन्होंने उपस्थित किया ।